गढ़ पंचायत में नाली निर्माण बना जन-सुरक्षा के लिए खतरा, आम जनमानस सहित स्कूली बच्चों की जोखिम में जान

मनगवां विधानसभा क्षेत्र की गढ़ पंचायत में नाली निर्माण कार्य को लेकर ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। बिना तकनीकी सर्वे और सार्वजनिक सूचना के की जा रही खुदाई पुराने जर्जर मकानों के लिए खतरा बन गई है। निर्माण स्थल पर सुरक्षा के अभाव में स्कूली बच्चों की जान जोखिम में है।

गढ़ पंचायत में नाली निर्माण बना जन-सुरक्षा के लिए खतरा, आम जनमानस सहित स्कूली बच्चों की जोखिम में जान

पब्लिक वाणी -गढ़

 मनगवां विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत गढ़ जनपद पंचायत क्षेत्र गंगेव की न केवल  बड़ी बल्कि घनी आबादी वाली पंचायत है, जिसकी बुनियाद बहुत पुरानी मानी जाती है। यहां आज भी सैकड़ों साल पुराने मकान मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश विना मजबूत नींव और बिना पिलर के खड़े हैं।

दुर्भाग्य की  बात यह है कि इतनी संवेदनशील और पुराने निर्माण वाली बस्ती में हाल ही में जो नाली निर्माण कार्य शुरू किया गया है, वह न तो तकनीकी दृष्टि से सुरक्षित है, न पर्यावरणीय रूप से उपयोगी और न ही जन-सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया है।

 सुविधा को दरकिनार कर सिर्फ बजट खपत का खेल-

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जनपद पंचायत और संबंधित विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने मात्र कागजी खानापूर्ति और बजट खपत के उद्देश्य से नाली निर्माण की एक सूची तैयार की और उसे बिना भौगोलिक व तकनीकी अध्ययन के मंजूरी दे दी।

यही वजह है कि जिस क्षेत्र में नालियां बनाई जा रही हैं. वहां पानी की अंतिम निकासी की कोई व्यवस्था ही नहीं है। पिछले कई वर्षों से पंचायत क्षेत्र में जब-जब नाली बनाई गई, वह कुछ समय बाद टूट गई, या फिर सरपंच बदलने के साथ ही उसे तोड़कर नया निर्माण प्रारंभ कर दिया गया। हर बार नई नाली, नया ठेका, और वही पुरानी लापरवाही।

बच्चों की सुरक्षा पर खतरा, हादसे की आशंका

सबसे गंभीर चिंता का विषय यह है कि जिस बाजार क्षेत्र में यह नाली बनाई जा रही है, वहीं पाल में कन्या शाला, प्राथमिक विद्यालय और आंगनबाडी केंद्र है। इस मार्ग से प्रतिदिन सैकड़ों स्कूली बच्चे आते-जाते हैं।

निर्माणाधीन नालियों के किनारे कोई सुरक्षा वैरिकेडिंग नहीं है, खुदाई के गड्ढे खुले पड़े हैं, और बारिश के मौसम में कीचड और फिसलन का आलम यह है कि कभी भी कोई मासूम बच्चा गंभीर हादसे का शिकार हो सकता है।

पुरानी बस्ती पर भी गिरने का खतरा 

गढ़ पंचायत की बस्ती आज भी पुराने जमाने की शैली में बनी हुई है। यहां के अधिकांश घर मिट्टी, पत्थर और लकड़ी से बने हैं, जो बिना पिलर और नींव के टिके हुए है। नाली को खुदाई ठीक इन मकानों के समीप की जा रही है, जिससे जल कटाव और कंपन के चलते घरों के ढहने का खतरा गया है।

एक ओर से नाली, दूसरी ओर बारिश का पानी हालात किसी भी बड़े हादसे को आमंत्रण दे रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने दी थी चेतावनी-

बीते कुछ वर्षों पूर्व स्वास्थ्य विभाग की एक विशेष टीम ने इसी बाजार क्षेत्र में फाइलेरिया और मच्छरजनित रोगों की जांच की थी, भारी मात्रा में संक्रामक मच्छरों की पुष्टि हुई थी। बावजूद इसके, आज तक इस क्षेत्र की जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करने की जिसमें दिशा में कोई टोस कार्य नहीं किया गया।

क्या जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी सिर्फ भूमिपूजन तक सीमित है?

स्थानीय जनप्रतिनिधियों चाहे वे पंचायत स्तर पर हों या विधायक-सांसद की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है। निर्माण कार्य की शुरुआत के पहले कोई सर्वे नहीं, कोई सार्वजनिक सूचना नहीं, कोई जन सुनवाई नहीं। आखिर यह लोकतंत्र किसके लिए है? क्या जनहित सिर्फ कागजों तक सीमित है और जमीन पर सिर्फ ठेकेदारी संस्कृति हावी है?

प्रशासन की चुप्पी भी चिंताजनक

क्या जनपद पंचायत गंगव ने इस कार्य की स्वीकृति देने से पहले कोई भू-प्राकृतिक सर्वे कराया था? क्या जिला कलेक्टर रीवा को इस निर्माण की जानकारी है? अगर है तो उन्होंने सुरक्षा और स्थायित्व का निरीक्षण क्यों नहीं कराया?

क्या संभागीय आयु को ऐसे निर्माणों की गुणवत्ता और आवश्यकता का सालाना आकलन नहीं करना चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब प्रशासन को देने होंगे। जनता अब सिर्फ मूकदर्शक नहीं रहेगी।

ग्रामीणों की मांग  जांच और दोषियों पर हो कठोर कार्रवाई

गढ़ पंचायत के नागरिकों ने जिला प्रशासन, संभागीय आयुक्त और सरकार से मांग की है कि इस पूरे निर्माण कार्य की स्वतंत्र तकनीकी और वित्तीय जांच करवाई जाए। यह जांच स्पष्ट करे कि किस आधार पर नाली निर्माण प्रारंभहुआ, बजट का कितना उपयोग हुआ, और क्या कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा है? की नहीं, पूर्व में बनी नली बयों क्यों कह रही है? दोषियों के ऊपर कार्यवाही हो और ग्रामीणों की हर संभव मदद हो।

अगर इसमें लापरवाही या भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है. तो जिम्मेदार अधिकारियों, इंजीनियरों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की जाए, जिससे भविष्य में ऐसे मनमाने निमांणों पर रोक लगे और जनता के जीवन व स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिशित हो।

यह सिर्फ गढ़ पंचायत की कहानी नहीं है, बल्कि मध्य प्रदेश की उन तमाम पंचायतों की हकीकत है, जहां जनता की आवाज विकास के नारों में दबा दी जाती है। वक्त आ गया है कि जनता सवाल पूछे और जवाबदेही तय करे।