बलूचिस्तान के बगावत का सच: ISI की काली करतूतें, पाकिस्तान का दोहरा चेहरा

बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का हनन और हजारों लोगों का लापता होना एक गंभीर मुद्दा है, जिसमें पाकिस्तानी एजेंसी ISI का हाथ होने का आरोप है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद, बलूचिस्तान को कोई विकास या सुविधाएँ नहीं मिलीं, जबकि उसके संसाधनों का उपयोग पाकिस्तान ने अपने विकास के लिए किया, जिसके चलते 70% लोग अभी भी गरीबी में जी रहे हैं।

बलूचिस्तान के बगावत का सच: ISI की काली करतूतें, पाकिस्तान का दोहरा चेहरा

क्या पाकिस्तान के 2 टुकड़े होने वाले हैं..? क्या पाकिस्तान की आधी जनता बगावत करने वाली है..? क्या जल्द ही पाकिस्तान 2 देशों में बंटने वाला है..? दरअसल हाल ही में पाकिस्तान के बलूच लोगों ने पाकिस्तान से बगावत कर दी है. इतना ही नहीं बलूच लोगों ने भारत में बलूचिस्तान का दूतावास बनाने और उसे मान्यता देने को भी कह दिया है… साथ ही बलूच के लोगों ने UN से एक अलग देश बलूचिस्तान बनाने की भी मांग की है..

बलूचिस्तान का इतिहास और पाकिस्तान से अलगाव के कारण

सबसे पहले बात करते हैं बलूचिस्तान की। यह पाकिस्तान का एक प्रांत है। बलूचिस्तान का क्षेत्रफल पूरे पाकिस्तान का 46% है, लेकिन यहां की आबादी सिर्फ 1.5 करोड़ है, जो पाकिस्तान की कुल आबादी का केवल 6% है। बलूचिस्तान में जो लोग रहते हैं उन्हें बलूच कहते हैं।

1947 में जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो रहा था, तभी बलूचिस्तान की रियासत 'खान ऑफ कालात' ने खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया था। लेकिन यह आजादी ज्यादा दिन नहीं चली। पाकिस्तान ने खान पर दबाव डाला और 27 मार्च 1948 को पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान पर हमला कर उसे अपने कब्जे में ले लिया। तभी से बलूचिस्तान अपनी आजादी के लिए लड़ रहा है।

शुरू से ही पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के अधिकारों को छीना है। ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशंस के अनुसार बलूचिस्तान में पिछले 20 सालों में हजारों लोग लापता हुए हैं, और इसमें पाकिस्तान की आतंकवादी एजेंसी आईएसआई का हाथ है। प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों से भरपूर होने के बावजूद बलूचिस्तान में न तो कोई विकास हुआ है और न ही उन्हें कोई सुविधाएं दी गई हैं। बलूचिस्तान के संसाधनों का इस्तेमाल पाकिस्तान ने शुरू से ही अपने विकास के लिए किया है और बदले में बलूचिस्तान को सिर्फ गरीबी मिली है। बता दें कि बलूचिस्तान में 70% लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे हैं।

बलूचिस्तान के लोग अलग देश की मांग क्यों कर रहे हैं?

जैसा कि हमने आपको बताया कि पाकिस्तान का शुरू से ही बलूचिस्तान के खिलाफ रवैया खराब रहा है। बलूचिस्तान में बगावत का सबसे मुख्य कारण बलूचिस्तान की आबादी के साथ भेदभाव है। बीते कुछ सालों में पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के कई लोगों को मारा है। 1947 से ही बलूचिस्तान अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहा है। वर्तमान की बात करें तो कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसने बलूचिस्तान को अलग होने पर मजबूर कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तानी सेना लगातार बलूच लोगों को मार रही है। हर दिन आर्मी तीन से चार लोगों को जबरदस्ती उठा कर ले जा रही है फिर उनकी लाशें छोड़ जाती है। पिछले एक हफ्ते में पाकिस्तानी आर्मी 24 बलूच लोगों को उठा कर ले गई है जिनमें से 8 की लाशें मिली हैं।

हालाँकि बीएलए (बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी) जिसे बलूचिस्तान का सबसे बड़ा सशस्त्र संगठन माना जाता है, इसकी 6,000 से भी ज्यादा सदस्य संख्या है। बीएलए ने इस साल पाकिस्तान के खिलाफ कई कार्रवाई की हैं:

  • 4 जनवरी को 43 पाकिस्तानियों की मौत।
  • 1 फरवरी को 18 अर्धसैनिकों की हत्या।
  • 12 मार्च को ट्रेन हाईजैक जिसमें 200 पाकिस्तानी आर्मी की हत्या।
  • 16 मार्च को बस पर हमला जिसमें 90 सैनिकों की मौत।
  • 6 मई को 6 सैनिकों की मौत।
  • 7 मई को 12 सैनिकों की मौत।

इस तरह देखा जाए तो बलूचिस्तान भी अब पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दे रहा है।

क्या बलूचिस्तान एक अलग देश बन पाएगा?

इन सब के बीच अब सवाल है कि क्या बलूचिस्तान एक अलग देश बन पाएगा? किसी भी क्षेत्र को देश बनाने के लिए कुछ नियम और कानून होते हैं जिसके आधार पर देश बनाया जाता है, जैसे:

  1. स्थायी आबादी, परिभाषित क्षेत्र, कार्यशील सरकार और अन्य देशों के साथ संबंध बनाने की क्षमता होना।
  2. राज्य के पास एक निश्चित भूभाग होना चाहिए। उसकी सीमा के भीतर एक क्षेत्र हो।
  3. एक सक्रिय और स्थिर सरकार हो जो कानून बना सके और प्रशासन चला सके।
  4. साथ ही जब तक अन्य देश, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र सदस्य, उसे "देश" के रूप में मान्यता नहीं देंगे, तब तक वह व्यावहारिक रूप से देश नहीं कहलाएगा।

बलूचिस्तान ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी है, लेकिन वर्तमान में इसे किसी भी देश या संयुक्त राष्ट्र से औपचारिक मान्यता नहीं मिली है। बलूचिस्तान को मान्यता देना पाकिस्तान की संप्रभुता के लिए एक सीधी चुनौती के रूप में भी देखा जा रहा है। ऐसे में सवाल है कि क्या भारत बलूचिस्तान का साथ देगा जैसे 1971 में पूर्वी पाकिस्तान का दिया था? अगर ऐसा होता है तो जाहिर है कि भारत और पाकिस्तान के बीच भी युद्ध होने की संभावना बढ़ जाएगी।