दिव्या देशमुख बनीं शतरंज की वर्ल्ड चैम्पियन

भारत की 19 साल की दिव्या देशमुख ने इतिहास के पन्नों में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करवा लिया है। वे फिडे वुमन वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला शतरंज की खिलाड़ी बन गई हैं। उन्होंने फाइनल में कोनेरू हम्पी को मात दे दी है।

दिव्या देशमुख बनीं शतरंज की वर्ल्ड चैम्पियन

भारत की किशोर शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने अपने करियर की सबसे बड़ी सफलता हासिल की है. सोमवार को यहां हमवतन और अपने से कहीं अधिक अनुभवी कोनेरू हम्पी को टाईब्रेकर में हराकर फिडे महिला विश्व कप का खिताब जीता. इस जीत से 19 साल की दिव्या ने ना सिर्फ यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीता बल्कि साथ ही ग्रैंडमास्टर भी बन गईं जो टूर्नामेंट की शुरुआत में असंभव लग रहा था.

वह ग्रैंडमास्टर बनने वाली सिर्फ चौथी भारतीय महिला और कुल 88वीं खिलाड़ी हैं। नागपुर की इस खिलाड़ी ने शनिवार और रविवार को खेले गए दो क्लासिकल मुकाबलों के ड्रॉ होने के बाद टाईब्रेकर में जीत दर्ज की। सोमवार को समय नियंत्रित टाईब्रेकर की पहली बाजी में सफेद मोहरों से खेलते हुए दिव्या ने हम्पी को फिर से ड्रॉ पर रोका लेकिन दूसरी बाजी में काले मोहरों से खेलते हुए उन्होंने दो बार की विश्व रैपिड चैंपियन को हराकर 2.5-1.5 से जीत दर्ज की. 

आपको बता दें कि इस शानदार जीत के साथ ही दिव्या देशमुख भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर भी बन गई हैं. ग्रैंडमास्टर की उपाधि शतरंज की दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित मानी जाती है और इसे हासिल करना किसी भी खिलाड़ी के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक होता है. इस जीत के बाद दिव्या को इनामी राशि के रूप में लगभग 43 लाख रुपये मिलेंगे. वहीं हम्पी को करीब 30 लाख रुपये मिलेंगे.