रीवा में शिक्षा विभाग की बड़ी गड़बड़ी! वेतन के लिए रिश्वत, फाइलें फंसी, शिक्षक परेशान

रीवा जिले में शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गया है। सिरमौर, जवा, गंगेव और अन्य विकासखंडों में हजारों शिक्षक वेतन, एरियर और फिक्सेशन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। बिना अनौपचारिक भुगतान के न तो फाइलें आगे बढ़ती हैं, न ही आदेश पारित होते हैं।

रीवा में शिक्षा विभाग की बड़ी गड़बड़ी! वेतन के लिए रिश्वत, फाइलें फंसी, शिक्षक परेशान

ऋषभ पांडेय 

रीवा। एक ओर सरकार शिक्षा को प्राथमिकता देने की बात करती है, वहीं ज़मीनी हकीकत इसके उलट तस्वीर पेश कर रही है। रीवा जिले में शिक्षा विभाग इन दिनों गहरे भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में है। जिले के विभिन्न विकासखंडों सिरमौर, जवा, त्योंथर, गंगेव और रायपुर सहित कई क्षेत्रों में हजारों शिक्षक वेतन संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं।

सूत्रों के मिली जानकारी अनुसार शिक्षकों के वेतन, एरियर और वेतन फिक्सेशन से जुड़े मामलों में प्राचार्यों, लिपिकों और BEO कार्यालयों में ‘रेट लिस्ट जैसी व्यवस्था कायम हो चुकी है। बिना अनौपचारिक भुगतान के न तो आदेश आगे बढ़ाए जाते हैं और न ही फाइलें मंजूरी तक पहुंचती हैं।

संभागीय कोषालय कार्यालय तक पहुंचने से पहले ही फिक्सेशन की फाइलें रुकी बताई जाती हैं। शिक्षकों से अनुमोदन के लिए मोटी रकम की मांग की जा रही है। कई जगहों पर यह भी सामने आया है कि काम रोकने के लिए ‘सर्वर डाउन’ का बहाना बनाया जाता है, ताकि शिक्षक थक-हारकर व्यवस्था से समझौता कर लें।

यह भी पढ़ें- मप्र में बड़ी सियासी हलचल CM डॉ. मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष तोमर की बंद कमरे में मुलाकात

विकासखंड स्तर पर बना नया सिस्टम 

विकासखंड शिक्षा अधिकारियों और संकुल प्राचार्यों के स्तर पर रिश्वतखोरी अब सिस्टम का हिस्सा बन चुकी है। शिक्षकों की मानें तो अगर कोई शिक्षक सौदेबाजी का हिस्सा नहीं बनता, तो उसकी वेतन फाइल महीनों तक अधर में लटकी रह जाती है। कुछ मामलों में शिक्षकों को महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

यह भी पढ़ें- रीवा में CM डॉ. मोहन यादव की बड़ी घोषणा; त्योंथर में 400 एकड़ में इंडस्ट्रियल बेल्ट, 100 बेड का अस्पताल, ITI कॉलेज को मंजूरी

24 वर्षों बाद क्रमोन्नति, लेकिन राहत नहीं

हाल ही में प्राथमिक शिक्षकों को 24 वर्षों बाद क्रमोन्नति सूची में स्थान मिला, लेकिन इसके बाद जो राहत मिलनी थी, वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। फिक्सेशन के लिए संकुलों को कार्रवाई करनी थी और बीईओ कार्यालय से उसे ऑनलाइन अनुमोदन के लिए भेजना था। लेकिन अब इस प्रक्रिया में भी पैसे की मांग की जा रही है।

कलेक्टर-आयुक्त के निर्देश भी बेअसर

शिक्षकों के लंबित वेतन और एरियर भुगतान को लेकर रीवा संभाग के आयुक्त और जिला कलेक्टर द्वारा कई बार स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं, लेकिन अधिकारी और कर्मचारियों पर इनका कोई असर नहीं दिखाई दे रहा। विभागीय उदासीनता और मिलीभगत के कारण आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।