रीवा में अमृत-2 योजना के तहत तेजी से हो रहा जल संरचना का विकास, 2026 तक 15 हजार घरों में पहुंचेगा नल का जल

रीवा नगर निगम क्षेत्र में अमृत-2 योजना के अंतर्गत जल आपूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ करने का कार्य तेजी से जारी है। योजना के तहत कुल 162 करोड़ रुपए की लागत से 18700 किलोलीटर क्षमता वाली 12 जल टंकियों का निर्माण और 462 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा है।

रीवा में अमृत-2 योजना के तहत तेजी से हो रहा जल संरचना का विकास, 2026 तक 15 हजार घरों में पहुंचेगा नल का जल

रीवा ।  रीवा नगर निगम में अधोसंरचनाओं का तेजी से विकास हो रहा है। शहर की जनसंख्या में भी तेजी से वृद्धि होने के कारण पेयजल, साफ-सफाई, सड़कों के विस्तार की आवश्यकता है। नगर निगम में अमृत-2 योजना के तहत पेयजल व्यवस्था के लिए कुल 18700 किलोलीटर क्षमता की 12 टंकियों का अलग-अलग स्थानों में निर्माण किया जा रहा है।

इसके साथ-साथ 462 किलोमीटर की पाइपलाइन भी बिछाई जा रही है। फरवरी 2026 तक परियोजना का कार्य पूरा होने पर 15 हजार घरों को नल कनेक्शन देकर स्वच्छ और मीठे पानी की आपूर्ति की जाएगी। शहर के जिन क्षेत्रों में अभी पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है वहाँ भी पानी की कमी दूर होगी।

इस संबंध में आयुक्त नगर निगम डॉ सौरभ सोनवड़े ने बताया कि अमृत-2 योजना के तहत 162 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य मंजूर किए गए हैं। संबंधित निर्माण एजेंसी द्वारा तेजी से निर्माण किया जा रहा है। कुठुलिया में बीहर नदी के किनारे एक इंटेकवेल, रॉ वाटर राइजिंग तथा एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य तेजी से चल रहा है।

इस योजना के तहत 12 टंकियों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से 4 का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। अनंतपुर में 1980 किलोलीटर, पचमठा में 850 किलोलीटर, आयुर्वेद कालेज के पास 2950 किलोलीटर, नीम चौराहा में 1550 किलोलीटर, खोभर में 2000 किलोलीटर, पद्मधर कालोनी में 1100 किलोलीटर क्षमता की टंकिया बनाई जा रही हैं।

इसी तरह बाल न्यायालय के पास 2360 किलोलीटर, चिरहुला में 1650 किलोलीटर, आरटीओ आफिस के पास 1050 किलोलीटर, इंदिरा नगर में 780 किलोलीटर, धोबिया टंकी में 2000 किलोलीटर तथा हाउसिंग बोर्ड कालोनी में 400 किलोलीटर क्षमता की टंकियों का निर्माण किया जा रहा है।

इस परियोजना में 34.74 किलोमीटर लम्बाई में क्लियर वाटर पाइपलाइन भी बिछाई जा रही है। परियोजना का कार्य पूरा होने पर शहर की पेयजल आवश्यकताओं की पूरी तरह से पूर्ति हो जाएगी