G7 2025: इज़राइल-ईरान युद्ध, ट्रंप का टैरिफ, ग्लोबल तनाव और भारत का एजेंडा

16-17 जून को हुए G7 सम्मेलन में वैश्विक नेताओं ने ईरान-इज़राइल युद्ध, रूस-यूक्रेन संघर्ष, AI और जलवायु परिवर्तन जैसे बड़े मुद्दों पर चर्चा की। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की मांग की और तकनीकी सहयोग व ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता दी।सम्मेलन में चीन की व्यापारिक नीतियों और मानव तस्करी जैसे विषयों पर भी गंभीर विमर्श हुआ। भारत G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन वैश्विक भूमिका के चलते लगातार आमंत्रित किया जाता है।

G7 2025: इज़राइल-ईरान युद्ध, ट्रंप का टैरिफ, ग्लोबल तनाव और भारत का एजेंडा

16 और 17 जून को दुनिया के 7 सबसे ताकतवर देशों ने मिलकर बैठक की.. इस बैठक में कई बड़े मुद्दों पर बातचीत हुई.. जिनमें इज़राइल और ईरान युद्ध सहित ट्रम्प के टैरिफ वॉर को भी शामिल किया गया. हम बात कर रहे हैं G7 बैठक की.. जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की.. ये सम्मेलन उस समय हो रहा है जब दुनियाभर में तनाव का माहौल है.. पश्चिम एशिया में ईरान और इज़राइल का युद्ध चल रहा है.. तो वहीं अमेरिका में ट्रम्प के टैरिफ वॉर ने ग्लोबल इकॉनमी में हलचल तेज कर दी है.. साथ ही यूरोप में रूस और यूक्रेन के बीच जंग ने भी दुनिया भर में तनाव बढ़ा दिया है..

ये सम्मेलन क्यों किया जाता है इसमें कितने देश शामिल हैं..? इस बार के G7 सम्मेलन में किन किन मुद्दों पर चर्चा हुई साथ ही भारत के लिए ये सम्मेलन क्यों जरूरी है..?

G7 क्या है..?

G7 यानी ग्रुप ऑफ सेवन ये सात विकसित देशों का एक समूह है.. जिसमें फ्रांस, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा शामिल हैं.. G7 की शुरुआत दुनिया भर में ऊर्जा संकट के बाद 1973 में आर्थिक और वित्तीय मामलों में मिलकर काम करने को लेकर हुई थी.. 1997 से 2013 तक रूस को भी G7 में शामिल किया गया था जिसके बाद इसे G8 नाम दिया गया था.. लेकिन 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया, जो अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ था, इसलिए उसे G8 से बाहर कर दिया गया और समूह फिर से G7 बन गया..

आज G7 एक ऐसा मंच है जहां ये देश दुनिया की बड़ी आर्थिक, पर्यावरण, सुरक्षा और विकास से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा करते हैं..

भारत इस सम्मेलन का हिस्सा क्यों नहीं है..?

भारत का G7 से संबंध.. भारत भले ही G7 का सदस्य नहीं है लेकिन 2019 से ही भारत नियमित तौर पर शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जाता रहा है.. लेकिन सवाल है कि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होते हुए भी इस सम्मेलन का हिस्सा क्यों नहीं है..?

इसका जवाब है प्रति व्यक्ति आय.. G7 में जितने भी देश शामिल हैं उनकी प्रति व्यक्ति आय काफी ज्यादा है जबकि भारत की प्रति व्यक्ति आय काफी कम है जिसकी वजह से भारत इस सम्मेलन का हिस्सा नहीं है.. दूसरा भारत एक विकासशील देश है न कि विकसित.. जबकि G7 के सभी सदस्य देश विकसित हैं.. इसलिए भी भारत इस सम्मेलन का हिस्सा नहीं है..

 इस बार के G7 सम्मेलन में किन किन मुद्दों पर चर्चा की गई..?

1. ईरान-इज़राइल युद्ध- ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे संघर्ष पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के नेता की स्थिति का पता होने की बात की, लेकिन फिलहाल कोई सैन्य कार्रवाई नहीं करने का निर्णय लिया।

2. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास और इसके नैतिक उपयोग पर चर्चा की गई। पोप फ्रांसिस ने AI के संभावित खतरों और इसके मानवीय पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया।

3. माइग्रेशन और मानव तस्करी- अवैध प्रवासन और मानव तस्करी के मुद्दे पर सहयोग बढ़ाने के लिए एक गठबंधन बनाने का निर्णय लिया गया। इसमें अफ्रीका से अवैध प्रवासन को नियंत्रित करने के उपायों पर चर्चा की गई।

4. रूस-यूक्रेन संघर्ष- सम्मेलन में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष पर भी बात हुई.. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की सम्मेलन में शामिल हुए, लेकिन उन्हें अतिरिक्त सैन्य सहायता नहीं मिली।

5. चीन की व्यापारिक नीतियाँ- G7 नेताओं ने चीन की व्यापारिक नीतियों, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहनों, स्टील और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में अनुचित व्यापारिक प्रथाओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इन प्रथाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का संकल्प लिया।

6. जलवायु परिवर्तन और विकास- हमेशा की तरह जलवायु परिवर्तन और अफ्रीका में विकास और ऊर्जा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई। इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने अफ्रीका में स्वच्छ ऊर्जा निवेश बढ़ाने की योजना प्रस्तुत की

ईरान-इज़राइल के बीच चल रहे युद्ध का असर G7 सम्मेलन में भी देखने को मिला.. अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने ईरान को परमाणु हथियार रखने से साफ मना किया.. साथ ही ट्रम्प बैठक बीच से ही छोड़कर अमेरिका वापस लौट गए..

भारत का इस सम्मेलन में क्या मुख्य एजेंडा था..?

भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद की आलोचना की और वैश्विक कार्रवाई की अपील की.. इसके साथ ही भारत ने G7 देशों के साथ संबंध को और मजबूत करने पर फोकस किया साथ ही कनाडा के साथ अपने संबंध और सुधारने को लेकर जोर दिया..

इसके अलावा AI और क्वांटम टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाना, ऊर्जा सुरक्षा और क्रिटिकल मिनरल्स में निवेश को आगे बढ़ाना.. और मल्टीपोलर व्यवस्था को प्रमोट करना जिससे कोई एक देश या दो देश पूरी दुनिया को न चला रहे हों इसपर फोकस करना था…