सिंहस्थ लैंड पुलिंग एक्ट निरस्त MP सरकार ने लिया वापस
सिंहस्थ लैंड पुलिंग एक्ट निरस्त एमपी सरकार ने लिया वापस बोले किसानों की भावना का किया सम्मान
उज्जैन में सिंहस्थ लैंड पुलिंग एक्ट को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद आखिर सरकार के बड़े फैसले के बाद खत्म हो गया। किसानों के विरोध और बढ़ते दबाव को देखते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक्ट को पूरी तरह निरस्त कर दिया। सरकार का कहना है कि यह कदम किसानों की भावनाओं का सम्मान करने और आगामी सिंहस्थ आयोजन को बिना किसी तनाव के संपन्न कराने के लिए उठाया गया है।
सरकार ने सिंहस्थ लैंड पुलिंग एक्ट वापस लिया
भारतीय किसान संघ ने 18 नवंबर को बड़े आंदोलन की तैयारी की थी, लेकिन उससे ठीक पहले सरकार ने किसानों की सभी मांगें मानते हुए एक्ट को खत्म कर दिया। इस फैसले के बाद सरकार और किसान संगठनों के बीच तकरार खत्म हो गई।
CM हाउस पर अहम बैठक
भोपाल में CM हाउस पर किसान संघ, बीजेपी पदाधिकारी, जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन की संयुक्त बैठक हुई। इसमें सिंहस्थ 2028 की तैयारियों पर विस्तार से चर्चा की गई. बैठक के दौरान साधु-संतों और किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर सहमति बनी। इसके बाद सरकार ने लैंड पुलिंग एक्ट को निरस्त करने का निर्णय लिया और संबंधित विभागों को आदेश जारी करने के निर्देश दिए।

बैठक में कौन-कौन रहे मौजूद
बैठक में बीजेपी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, किसान संघ के महेश चौधरी, कमल सिंह आंजना, अतुल माहेश्वरी, लक्ष्मीनारायण पटेल, भरत बैस और रमेश दांगी सहित कई प्रतिनिधि मौजूद थे। बीजेपी संगठन की ओर से नगर अध्यक्ष संजय अग्रवाल, जिला महामंत्री कमलेश बैरवा, जगदीश पांचाल और आनंद खींची शामिल हुए। किसान संघ ने मुख्यमंत्री के इस फैसले का स्वागत करते हुए आभार जताया।

अब आंदोलन नहीं, सिर्फ रैली
भारतीय किसान संघ ने घोषणा की कि 18 नवंबर को होने वाला बड़ा प्रदर्शन अब रद्द कर दिया गया है। एक्ट हटने के बाद अब केवल कम संख्या में किसान एक रैली निकालेंगे। संगठन का कहना है कि सरकार के फैसले के बाद विरोध का कोई कारण नहीं बचा है।
2000 करोड़ की योजना का पूरा खाका
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सिंहस्थ 2028 के लिए मेला क्षेत्र के विकास की बड़ी योजना बनाई थी। उद्देश्य था कि हर 12 साल में करोड़ों रुपये अस्थायी निर्माण पर खर्च न हों। इसके बजाय स्थायी सड़कें, बिजली ढांचा और अन्य निर्माण किए जाएं। उज्जैन विकास प्राधिकरण ने इसके लिए 1806 किसानों की लगभग 5000 सर्वे वाली जमीन को लैंड पुलिंग के जरिए विकसित करने की योजना बनाई थी। पहली बार सिंहस्थ क्षेत्र में 60 से 200 फीट तक की इंटर-कनेक्टेड सड़कें बननी थीं, जिससे भीड़ बढ़ने पर उसे आसानी से शिफ्ट किया जा सके। इस पूरे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत करीब 2000 करोड़ रुपये थी।

