संचार साथी ऐप: सुरक्षा या निगरानी? देश में मचा नया डिजिटल बवाल”

सोचिए. अगर किसी के पास ऐसा ऐप हो, जो आपकी मरजी के बिना आपके फोन में झांक सके आपके मैसेज पढ़ सके, आपकी लोकेशन पता कर ले, यहां तक कि जब चाहे आपका माइक्रोफोन ऑन कर दे. कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार का नया ‘संचार साथी’ ऐप इसी तरह की ताकत रखता है

संचार साथी ऐप: सुरक्षा या निगरानी? देश में मचा नया डिजिटल बवाल”

सोचिए. अगर किसी के पास ऐसा ऐप हो, जो आपकी मरजी के बिना आपके फोन में झांक सके आपके मैसेज पढ़ सके, आपकी लोकेशन पता कर ले, यहां तक कि जब चाहे आपका माइक्रोफोन ऑन कर दे. कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार का नया ‘संचार साथी’ ऐप इसी तरह की ताकत रखता है.  विपक्ष इसे सीधा-सीधा जासूसी ऐप बता रहा है, जबकि सरकार का कहना है ये तो आपकी सुरक्षा के लिए है. 

ऐसे में सवाल ये है कि संचार साथी ऐप आखिर है क्या? विरोध क्यों हो रहा है? और क्या इससे आपकी प्राइवेसी खतरे में पड़ सकती है? चलिए, एक-एक करके समझते हैं…

सवाल 1: संचार साथी मोबाइल ऐप क्या है? 

ये सरकार का एक डिजिटल सेफ्टी प्रोजेक्ट है. जो 17 जनवरी 2025 को लॉन्च हुआ था...तो गुरू आपको बताते हैं  इसके फायदे 

  • खोया या चोरी हुआ फोन आप सभी नेटवर्क पर ब्लॉक कर सकते हैं।
  • फोन का IMEI असली है या नकली ये चेक कर सकते हैं।
  • आपके नाम पर कितने मोबाइल नंबर चल रहे हैं—ये भी पता चलता है।
  • कोई फ्रॉड वाला कॉल या मैसेज आए तो उसकी रिपोर्ट कर सकते हैं।
  • सरकार का दावा—“साइबर ठगी रोकने के लिए लाया गया ऐप है।

सवाल 2: नया बवाल क्या है?

सरकार ने 1 दिसंबर 2025 को कहा- अब हर नए स्मार्टफोन में ये ऐप प्री-इंस्टॉल होगा, और इसे हटाया नहीं जा सकेगा. फिर क्या बवाल तो होना ही था सो हो गया. सोशल मीडिया पर ऐप की परमिशन लिस्ट वायरल हो गई, जिसमें ये परमिशन दिखाई देती हैं. कैमरा, माइक्रोफोन, मैसेज, कॉल लॉग, कीबोर्ड, लोकेशन और कहा गया इन्हें बंद नहीं किया जा सकता. विपक्ष ने इसे निजता पर हमला, डिजिटल डिक्टेटरशिप और जासूसी तक बता दिया

सवाल 3: क्या ये ऐप सच में निगरानी कर सकता है?

एक्सपर्ट्स का कहना है. तकनीकी रूप से ये संभव है. क्योंकि ऐप को बहुत ब्रॉड परमिशन चाहिए. आपका डेटा एक सेंट्रल सर्वर पर जाता है. कानून के तहत ये डेटा पुलिस, CBI या अन्य एजेंसियों से शेयर किया जा सकता है. मतलब, अगर इसका गलत इस्तेमाल हो, तो फोन के मैसेज से लेकर लोकेशन तक बहुत कुछ देखा जा सकता है. 

सवाल 4: डेटा कितने समय तक रखा जाता है?

प्राइवेसी पॉलिसी में साफ टाइमलाइन नहीं है. बस इतना लिखा है. डेटा सुरक्षित रखा जाएगा और जरूरत पड़ने पर शेयर किया जा सकेगा. यही अस्पष्टता एक्सपर्ट्स को परेशान कर रही है. 

सवाल 5: क्या ऐप को जितनी परमिशन चाहिए, वो वाकई जरूरी हैं?

IMEI चेक, फ्रॉड रिपोर्टिंग और खोए फोन की ट्रैकिंग के लिए. IMEI, लोकेशन, फोन स्टेट, काफी है. लेकिन ऐप कैमरा, माइक्रोफोन और कीबोर्ड की भी परमिशन मांगता है. जो कोर फंक्शन के लिए जरूरी नहीं मानी जातीं.
इसी बात पर सवाल उठ रहे हैं.

सवाल 6: क्या पहले भी ऐसा विवाद हुआ है?

पेगासस स्पाइवेयर मामला याद होगा. उसमें पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स की जासूसी होने के आरोप लगे थे. हालांकि पेगासस एक गुप्त स्पाइवेयर था, जबकि संचार साथी एक सरकारी ऐप है, जो खुले तौर पर इंस्टॉल किया जाएगा.
लेकिन विपक्ष का तर्क है. सक्षम तो ये भी वैसी ही चीजें करने में है. 

सवाल 7: कई ऐप्स इतनी परमिशन मांगते हैं, फिर इसका विरोध क्यों?

क्योंकि मुद्दा ये है,  डेटा कौन ले रहा है, और उसका उपयोग कैसे होगा? निजी कंपनियों पर तो प्राइवेसी रेगुलेशन लागू होता है, लेकिन सरकारी ऐप में निगरानी का डर ज़्यादा बड़ा माना जा रहा है. 

सवाल 8: क्या इसे हटाना संभव है?

पहले कहा गया- हटाया नहीं जा सकेगा. इससे विवाद बढ़ गया. लेकिन अब टेलीकॉम मंत्री सिंधिया ने साफ कहा—
यूजर्स ऐप को अनइंस्टॉल कर सकेंगे. 

सवाल 9: मोबाइल कंपनियां और Apple क्या करेंगे?

कंपनियों के सामने मुश्किलें हैं. नए फोन में ऐप प्री-इंस्टॉल करना होगा. पुराने फोन में अपडेट से भेजना होगा. 120 दिन में रिपोर्ट देनी होगी. Apple के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि, उसकी पॉलिसी है कि सरकारी ऐप प्री-इंस्टॉल नहीं किए जा सकते. संभावना है कि Apple और कुछ कंपनियां कोर्ट का रुख करें. 

सवाल 10: यूजर्स को क्या सावधानियां रखनी चाहिए?

अभी ऐप वैकल्पिक है—तो चाहें तो डाउनलोड न करें.  ऑटो-अपडेट बंद रखें.  कैमरा, माइक्रोफोन, लोकेशन की परमिशन Ask Every Time पर रखें. फोन रीस्टार्ट करने के बाद चेक करें कि ऐप बैकग्राउंड में तो नहीं चल रहा. तो फिलहाल मामला साफ नहीं है. सरकार कहती है कि ये आपकी सुरक्षा के लिए है, विपक्ष कहता है कि ये आपकी प्राइवेसी छीनने की तैयारी है. असली तस्वीर तब ही साफ होगी जब ऐप की परमिशन, डेटा पॉलिसी और उसका इस्तेमाल पूरी तरह पारदर्शी तरीके से सामने आएगा.