उजड़ रहे जंगल और नर्सरी के वेश कीमती पौधे
समय रहते नहीं चेता गया तो उजड़ जाएंगे वन भूमि के औषधीय एवं मूल्यवान पौधे

राजेंद्र पयासी, मऊगंज
जिले के पहाड़ी क्षेत्र हनुमना जड़कुड़ पिपराही वहेराडावर शिवराजपुर शंकरपुर से लेकर सोहागी तक जाता है। इसका क्षेत्रफल कई हजार स्क्वायर किलोमीटर है। स्थानीय लोगों के मुताबिक कभी यह जंगली क्षेत्र विशाल रूप में फैला हुआ था परंतु गुजरते समय एवं बढ़ती जनसंख्या व मानव की आवश्यकता है ऐसी बढ़ती गई कि लगभग आधे से अधिक जंगली क्षेत्र का सफाया हो चुका है मानवीय अतिक्रमण रुकने का नाम नहीं ले रहा है जंगल माफिया द्वारा चोरी छिपे अवैध कटाई एवं जंगली जानवरों का शिकार तो कोई नई बात नहीं है यह सब प्रशासन की आंखों तले हो रहा है इन क्षेत्रों में लगभग रोज गस्त का प्रावधान है ऐसी स्थिति में अवैध कार्य का संचालन लोगों को निराश कर रहा है।
जंगली क्षेत्र में अवैध उत्खनन इतना अधिक किया गया कि लगभग पहाड़ से कोई भी पत्थर शेष नहीं बचे प्रशासन का यद्यपि कहना है कि अब अबैध उत्खनन बंद है परंतु जंगलों की कटाई पर कोई रोक समझ में नहीं आ रहा वन विभाग द्वारा कितनी ही नर्सरियां नहीं लगाई गई सूचना के अधिकार के माध्यम से यदि जानकारी निकल जाए तो पता चलेगा कि कागजों में करोड़ों रुपए के नर्सरी प्रोजेक्ट एवं हरियाली प्रोजेक्ट लगाए गए होंगे परंतु धरातल पर यह सब सुन्य के बराबर है क्षेत्र में अवैध कब्जा करने के कारण नर्सरी में पत्थर तथा नर्सरी उजाड़ देने के कारण पशु बाहरी कृषि क्षेत्र में आ जाते हैं अन्यथा यदि नर्सरी एवं सुरक्षित जंगल होते तो भला आवारा पशु या जंगली जानवर क्या करने गांव में आएंगे। आलम तो यह है कि अवैध उत्खनन एवं जंगलों की कटाई से जंगली जानवर भी अब सुरक्षित नहीं है।
खुलेआम काटी जा रही जंगल की बेस कीमती लकड़ी-
जंगल क्षेत्र में मुख्य रूप से जो लड़कियां काटी जा रही है वह हरे पौधे होते हैं इसे बहुयात में सेंधा महुआ एवं तेदू कहुआ पलास जैसे बेस कीमती जलो इमरती एवं औषधीय पौधे शामिल है। जंगल की कटाई अनवरत जारी होने के कारण जंगली क्षेत्र धीरे-धीरे सिकुड़ता जा रहा है। वैसे तो वन की सुरक्षा हेतु पर्याप्त मात्रा में कर्मचारी लगाए गए हैं लेकिन सुरक्षा की अनदेखी के कारण आज भी जंगल के पौधे धीरे-धीरे गायब होते नजर आ रहे हैं।