चुनाव आयोग लोकतंत्र का प्रहरी या सत्ता का मोहरा,   Rahul vs EC चुनाव आयोग की निष्पछता पर सवाल 

भारतीय लोकतंत्र की नींव जिन संस्थाओं पर टिकी है, उनमें चुनाव आयोग सबसे अहम माना जाता है

चुनाव आयोग लोकतंत्र का प्रहरी या सत्ता का मोहरा,   Rahul vs EC चुनाव आयोग की निष्पछता पर सवाल 
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Rahul Gandhi vs EC: भारतीय लोकतंत्र की नींव जिन संस्थाओं पर टिकी है, उनमें चुनाव आयोग सबसे अहम माना जाता है, एक ऐसी संस्था जो निष्पक्षता, पारदर्शिता और भरोसे की प्रतीक रही है,  लेकिन, हाल के दिनों में इस संस्था की साख पर लगातार सवाल उठ रहे हैं.कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए, भाजपा की 'बी-टीम' कह रहे हैं. उनका कहना है कि आयोग अब सत्ता पक्ष के इशारों पर काम कर रहा है और विपक्ष की आवाज़ को दबाने का माध्यम बनता जा रहा है. ऐसे आरोपों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या चुनाव आयोग वाकई लोकतंत्र का प्रहरी बना हुआ है, या फिर सत्ता के हितों की पूर्ति का एक मोहरा मात्र बन गया है. 

राहुल गांधी का आरोप 

राहुल गांधी ने 7 अगस्त को कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 2024 लोकसभा चुनाव में कथित "मत चोरी" का आरोप लगाया. उन्होंने पांच तरह की फर्जी वोटिंग का हवाला दिया:डुप्लिकेट मतदाता, फेक मतदाता, bulk registrations, अमान्य तस्वीरें, फॉर्म 6 का दुरुपयोग. इन आरोपों को उन्होंने एटम बम बताया और अपनी छह महीने लंबी जांच का परिणाम.. चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को इन आरोपों के समर्थन में affidavit के साथ सबूत सबुत पेश करने को कहा. आयोग ने इसकी वजह भी बताई. जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि मैं पहले से संसद में संविधान की शपथ ले चुका हूं.  

अनुराग ठाकुर का आरोप 

राहुल गांधी आरोपों का अनुराग ठाकुर बड़े ही शायराना अंदाज में जवाब दिया,,तंज कसने के लिए उन्होंने मिर्जा गालिब की शायरी का सहारा लिया और कहा- कि धूल चेहरे पर थी आइना साफ करता रहा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का इतिहास 1952 से वोट चोरी का रहा है. संत समान नेता डॉ. भीमराव अंबेडकर को चुनाव हाराने के लिए कांग्रेस ने 74,333 वोटों की चोरी की. 


कांग्रेस शासन काल में चुनाव आयोग से जुड़े विवाद 
1975 में आपातकाल के दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर चुनावी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे.इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें पद का दुरुपयोग कर चुनाव जीतने का दोषी ठहराया, और लोकसभा सदस्यता निरस्त कर दि..इस निर्णय के बाद इंदिरा गांधी की सरकार पर संकट गहराने लगा. 1975 में आपातकाल के दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर चुनावी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें अपने पद का दुरुपयोग कर चुनाव जीतने का दोषी ठहराया, जिसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता निरस्त कर दि गई..  इस निर्णय के बाद इंदिरा गांधी की सरकार पर संकट गहराने लगा...स्थिति से निपटने के लिए इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल घोषित कर दिया..लोकतांत्रिक संस्थाओं पर व्यापक दबाव बनाया गया...  चुनाव आयोग जैसी स्वतंत्र संस्था भी राजनीतिक दबाव से अछूती नहीं रहीं.. आयोग को निष्पक्ष तरीके से कार्य करने से रोका गया और उसे सरकार के हित में निर्णय लेने के लिए बाध्य किया गया.