MP NEWS : CM डॉ.मोहन यादव की वन्य जीव संरक्षण की दिशा में बड़ी सौगात, गांधी सागर अभ्यारण्य चीतों का नया आशियाना
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव आज गांधी सागर अभ्यारण्य में दो चीतों को छोड़ने जा रहे है। कूनों के बाद अब गांधी सागर में भी चीतों का आशियाना बनने जा रहा है। मोहन सरकार का वन्य जीव संरक्षण की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम होगा।

मंदसौर. मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव आज गांधी सागर अभ्यारण्य में दो चीतों को छोड़ने जा रहे है। कूनों के बाद अब गांधी सागर में भी चीतों का आशियाना बनने जा रहा है। मोहन सरकार का वन्य जीव संरक्षण की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम होगा। गांधी सागर अभ्यारण्य नीमच और मंदसौर में फैला हुआ है। पर्यटन के हिसाब से भी इसे महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। चीतों की रिहाई से गांधी सागर क्षेत्र को पर्यटन की नई पहचान मिलने की उम्मीद है।
CM डॉ.मोहन यादव ने ट्वीट कर दी जानकारी
गांधी सागर अभयारण्य अब चीतों की नई आश्रय स्थली...
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) April 20, 2025
आज, 20 अप्रैल 2025 को गांधी सागर अभयारण्य में दो चीतों की पुनर्स्थापना, मध्यप्रदेश के लिए हर्ष एवं गौरव का विषय है।
इससे न केवल प्रदेश के वन्य संरक्षण के प्रयासों को नया बल मिलेगा, बल्कि पर्यटन एवं रोजगार के अवसरों में भी… pic.twitter.com/Yj5BXiEWBw
प्रदेश का दूसरा क्षेत्र जहां चीतों की बसाहट
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज प्रदेश को एक सौगात और देने जा रहे है। राज्य के वन्य जीव संरक्षण अभियान को एक और बड़ी सफलता मिलने जा रही है। कूनो नेशनल पार्क के बाद अब प्रदेश का गांधी सागर अभ्यारण्य चीतों का नया आशियाना बनने जा रहा है। गांधी सागर अभयारण्य अब प्रदेश का दूसरा ऐसा क्षेत्र होगा जहां चीतों की बसाहट की जा रही है।
वन्यजीव संरक्षण योजनाओं को नया आयाम
गांधी सागर अभ्यारण्य में दो चीतों को छोड़कर "चीता प्रोजेक्ट" के तहत मध्यप्रदेश की वन्यजीव संरक्षण योजनाओं को एक नया आयाम देंने जा रहे है। इससे गांधी सागर प्रदेश का दूसरा ऐसा स्थान बन जाएगा, जहां चीतों को फिर से बसाया जा रहा है। वर्तमान में कूनो पार्क में 26 चीते हैं और मई 2025 तक बोत्सवाना से 8 और चीतों को लाने की योजना है। राजस्थान और मध्य प्रदेश की साझेदारी से प्रस्तावित अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि साबित होगा। गांधी सागर अभ्यारण्य जैव विविधता से लेकर पुरातात्विक दृष्टिकोण तक हर दिशा में परिपूर्ण और समृद्ध है। यहां सलाई, तेंदू, और पलाश जैसे वृक्षों के साथ-साथ तेंदुआ, ऊदबिलाव और चिंकारा जैसे वन्यजीव भी पाए जाते हैं