मऊगंज में खाद के लिए संघर्ष जैसे हालात, सूवे का अन्नदाता परेशान, व्यापारियों के दुकानों में दोगुनी रेट में बिक रही खाद, पूर्व विधायक ने भाजपा सरकार पर लगाए आरोप
रीवा जिले के मऊगंज एवं हनुमना क्षेत्रों में यूरिया खाद की भारी किल्लत बनी हुई है। सेवा सहकारी समितियों में खाद नदारद है, जिससे किसान घंटों लाइन में लगने के बावजूद खाली हाथ लौट रहे हैं। व्यापारी खाद को दोगुनी कीमत पर बेच रहे हैं, जबकि प्रशासन और विभागीय अधिकारी मौन हैं।

राजेंद्र पयासी-मऊगंज
मऊगंज एवं रीवा जिले में खाद की समस्या अभी भी बरकरार है सेवा सहकारी समितियों में खाद का टोटा लगा होने के कारण व्यापारी दोगुनी रेट पर खाद बिक्री कर रहे हैं उधर विपणन केंद्रों में खाद पाने के लिए दिन दिन भर किसान लाइन लगाए नजर आते हैं लेकिन खाद नहीं मिल पाती।
हालात कुछ इस कदर है कि विपणन केंद्रों में यूरिया खाद के लिए किसानों का जमावड़ा किसी जनसभा से कम नहीं दिखता। सुबह पांच बजे से ही किसान लाइन में लग जाते हैं लेकिन शाम तक हजारों किसानों में से कई को एक बोरी खाद भी नहीं मिल पाती।
विपरण केंद्रों में ऐसे भी हालत देखने को मिले कि भीड़ में महिलाएं छोटे बच्चों को गोद में लिए खड़ी रहीं और बुजुर्ग थककर जमीन पर बैठ गए। हालात इतने बिगड़ गए कि जिला प्रशासन के निर्देश पर मऊगंज एवं हनुमना भंडार गृह में पुलिस बल लगाए गए हैं फिर भी समस्या से निजात नहीं मिल पा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, मऊगंज में हाल ही में 50 टन यूरिया की खेप पहुंची थी। वितरण शुरू होते ही अफरा-तफरी मच गई। करीब 1000 किसानों को ही खाद मिल पाई, जबकि जरूरत इससे कई गुना अधिक है। पहले से मालूम होने के बावजूद मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं होने से किसानों में आक्रोश का माहौल बना हुआ है
किसानों ने कहा सेवा सहकारी समितियों में खाद नहीं पहुंच रही और व्यापारियों को कहां से मिल रही है। समितियों में खाद न मिलने से क्षेत्र के व्यापारी 265 रुपए प्रति बैग की यूरिया खुलेआम 500 से लेकर 600 रुपए प्रति बैग बिक्री कर रहे हैं।
लेकिन जांच अधिकारी जानकर भी अंजान बने हुए हैं। किसानों ने यहां तक आरोप लगाया कि कृषि विभाग के कुछ अधिकारियों की देखरेख में दोगुनी रेट पर व्यापारियों के यहां खाद बेची जा रही हैं।
विभागीय अधिकारियों पर किसानों द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता क्या है यह तो जांच उपरांत ही पता चलेगा लेकिन खाद की किल्लत जिम्मेदार प्रशासन की अनदेखी तथा व्यापारियों के यहां मची लूट से क्षेत्र का अन्नदाता अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है।
समितियों तक क्यों नहीं पहुंच रही खाद ?
खाद की समस्या से जूझ रहे क्षेत्र के किसानों ने कहा कि यह समस्या अब सिर्फ खाद की कमी नहीं, बल्कि प्रशासनिक विफलता का चेहरा बन चुकी है।मऊगंज में यूरिया खाद की किल्लत ने किसानों को असहाय बना दिया है।
भीड़ अफरा तफरी, कालाबाजारी और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति यह तस्वीर बताती है कि संकट अब गहरा चुका है। सवाल यह है कि जब सबूत मौजूद हैं, गवाह सामने हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही ? क्या इसी तरह लूट की छूट का दौर अनवरत चलता रहेगा और व्यापारियों के हाथ क्षेत्र का अन्नदाता लुटता रहेगा ?
सरकार किसानों के साथ कर रही अत्याचार- सुखेंद्र सिंह बन्ना
विपणन केंद्रों में खाद पानी के लिए उमरी किसानों की भीड़ और दिन दिन भर प्रतीक्षा करने के बाद भी खाद न मिलने की जानकारी मिलते ही शुक्रवार की दोपहर बाद मऊगंज के पूर्व कांग्रेस विधायक सुखेंद्र सिंह बन्ना विपणन केंद्र पहुंचे, स्थिति देखकर उन्होंने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा, श्री बन्ना ने कहा पूरे प्रदेश में खाद की भारी किल्लत है जो मिल भी रही है वह नकली है, खेत में घुलती तक नहीं।
भाजपा की यह 20 सालों की सरकार किसानों के साथ लगातार अत्याचार कर रही है। कहीं लाडली बहन के नाम पर, तो कहीं वोट चोरी करके सरकार बनाना और फिर सत्ता में आकर किसानों और युवाओं को परेशान करना है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मऊगंज और हनुमना क्षेत्र के सभी किसान खाद के लिए परेशान हैं किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है भाजपा सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है। उन्होंने कहा जो सरकार खाद, बीज, ट्रांसफार्मर और बिजली तक उपलब्ध नहीं करा सकती, उससे किसानों को क्या उम्मीद?
यहां खुलेआम कालाबाजारी हो रही है। व्यापारी एक बैग यूरिया 500 से 600 रुपये में बेच रहे हैं, लेकिन समितियों में एक बोरी भी नहीं मिल रही सरकार का यह रवैया किसानों के साथ खुलेआम अत्याचार है।
जिम्मेदारों ने कहा स्टॉक के अनुसार वितरण-
जिले के हनुमना गोदाम प्रभारी त्रिभुवन सेन ने बताया कि जो स्टॉक आया था, उसे वितरित किया गया, लेकिन भीड़ इतनी अधिक हो जाती है कि सभी को उपलब्ध कराना संभव नही है । भीड़ बढ़ने और अव्यवस्था की आशंका पर ही पुलिस को बुलाया गया। इधर मऊगंज तहसीलदार बीके पटेल ने कहा कि प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने और किसानों को समझाने में जुटा है ताकि कोई अव्यवस्था न फैले।