चित्रकूट दीपावली मेला पर्व के दूसरे दिन अन्नकूट में दिवारी नृत्य की धूम
भगवान राम की पावन कर्मस्थली पवित्र नगरी चित्रकूट धाम में परंपरागत रुप से लगने वाले पांच दिवसीय दीपावली मेला पर्व के दूसरे दिन अन्नकूट पर्व पर दिवारी लोक नृत्य की धूम है

भगवान राम की पावन कर्मस्थली पवित्र नगरी चित्रकूट धाम में परंपरागत रुप से लगने वाले पांच दिवसीय दीपावली मेला पर्व के दूसरे दिन अन्नकूट पर्व पर दिवारी लोक नृत्य की धूम है.रंग बिरंगी भेषभूषा के साथ मोरपंख और दूसरे हाथ में लाठी लेकर लाखों की संख्या में यदुवंशी मौनिये गांव गांव से जत्थों में ढोलक, नगड़ियों की थाप पर दिवारी लोक नृत्य करते चित्रकूट पहुंच कर भगवान कामदगिरि पर्वत की पांच किलो मीटर की परिक्रमा लगा रहे हैं
दिवारी लोक नृत्य भगवान कृष्ण का प्रिय
ऐसी मान्यता है कि दिवारी लोक नृत्य भगवान कृष्ण प्रिय नृत्य था. भगवान कृष्ण जब बाल्य अवस्था में ग्वाल बालों के साथ जंगल में गायों को चराने जाते थे,उस समय दिवारी नृत्य करने के साथ ही लट्ठ बाजी भी ग्वाल बालों के साथ करते थे. इसी कारण से आज भी कार्तिक मास में पूरे एक माह यदुवंशी बालक और युवा मौन साधना करते हैं, और दिवारी नृत्य करते हुए लट्ठ बाजी की कला का प्रदर्शन करते हैं.
दिवारी लोक नृत्य को लाखों की संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु
धर्म नगरी चित्रकूट धाम में भी अन्नकूट पर्व पर यदुवंशियों मौनियों का दिवारी लोक नृत्य और लट्ठ बाजी की कला को देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रृद्धालु भक्त यहां आते हैं. और भगवान कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करते हुए अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं.