क्या सच में इलेक्शन कमीशन पार्टी विशेष के लिए काम कर रहा है? कितनी सच्चाई है राहुल गांधी के दावों में?
देश में SIR को लेकर क्या विवाद हो रहा है, साथ ही राहुल गांधी का इलेक्शन कमीशन को लेकर दावा कितना सही है? क्या सच में इलेक्शन कमीशन देश के लिए नहीं बल्कि पार्टी विशेष के लिए काम कर रहा है? जानेंगे आज के एक्सप्लेनेर में.

बिहार में SIR की पहली लिस्ट 1 अगस्त को जारी की गई। वैसे तो SIR बिहार की वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए किया गया था, लेकिन जो लिस्ट सामने आई है उसने इलेक्शन कमीशन और SIR पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। लिस्ट में 65 लाख वोटर्स के नाम न होना, एक ही पते पर 269 वोटर्स का नाम होना और 3 लाख वोटर्स का एड्रेस 0 होना, ने इलेक्शन कमीशन की पोल खोल दी है।
65.64 लाख मतदाताओं के नाम काटे
1 अगस्त को SIR यानी की Special Intensive Revision का ड्राफ्ट जारी किया गया। पहले जहां बिहार में वोटरों की संख्या 7.89 करोड़ थी, वहीं यह संख्या SIR के बाद 7.24 करोड़ ही रह गई। इलेक्शन कमीशन ने वोटर लिस्ट से 65.64 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम ही काट दिए। जब इस पर सवाल किया गया तो इलेक्शन कमीशन ने कहा कि उनमें से 22.34 लाख वोटर्स की मृत्यु हो गई है, 36.28 लाख वोटर्स ने अपना पता बदल लिया और 7.01 लाख मतदाताओं के नाम डुप्लिकेट या अन्य गड़बड़ियों की वजह से हटाए गए हैं। हालांकि, जिन लोगों के नाम वोटर लिस्ट में नहीं आए उन्हें इलेक्शन कमीशन ने 1 महीने का समय दिया ताकि वो अपना नाम लिस्ट में ऐड करवा सकें।
लेकिन इसमें भी एक ट्विस्ट है। जिन लोगों का लिस्ट में नाम नहीं आया है, उन्हें अपनी वोटर ID बनवाने के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड या फिर पुराना वोटर ID कार्ड नहीं दिखाना, बल्कि उन्हें अपना जन्म प्रमाण पत्र, अपने जमीन के कागज, पासपोर्ट और अपना निवास प्रमाण पत्र दिखाना है। हैरानी की बात तो यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कमीशन से उन 65 लाख हटाए गए वोटरों की लिस्ट मांगी तो चुनाव आयोग ने यह सूची देने से साफ इंकार कर दिया। जिससे इलेक्शन कमीशन की क्रेडिबिलिटी यानी की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठते हैं।
कई मतदाताओं के पते “0”
इसके अलावा, SIR ड्राफ्ट में कई चौंकाने वाली गड़बड़ियां भी सामने आई हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2,92,048 मतदाताओं के पते “0”, “00” या “000” दर्ज हैं। मुजफ्फरपुर में एक ही पते पर 269 वोटर, जमुई में 247 वोटर और बिहार में एक कमरे वाले मकान में 80 मतदाता दर्ज हैं, वो भी अलग-अलग धर्म और जाति के। इस पर जब विपक्ष ने सवाल किया तो चुनाव आयोग ने कहा कि SIR में गृह संख्या यानी की एड्रेस पर काम नहीं हुआ है। ये गलतियां पहले से ही चली आ रही हैं। अगर कोई वोटर आवेदन करता है तो इसमें सुधार किया जाएगा।
चुनाव आयोग पर वोटों की चोरी इल्जाम
SIR से हटकर अगर देखा जाए तो राहुल गांधी चुनाव आयोग पर निष्पक्षता से काम न करने और वोटों की चोरी करने का इल्जाम लगा रहे हैं। राहुल गांधी ने तो वोट चोरी को लेकर हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया है। 8 अगस्त को राहुल गांधी ने एक प्रेजेंटेशन दिया जिसमें राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट और पोलिंग बूथ्स के CCTV फुटेज मांगे थे लेकिन चुनाव आयोग ने देने से ही मना कर दिया। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर कई सवाल खड़े किए हैं। जैसे चुनाव आयोग डिजिटल डेटा प्रोवाइड क्यों नहीं करवाता? जबकि आजकल ऑनलाइन का दौर है। दूसरा वोटर्स का एड्रेस सही से मेंशन क्यों नहीं है? एक ही एड्रेस पर या तो बल्क में वोटर्स हैं या फिर कई सारे वोटर्स के एड्रेस 0 हैं?
फॉर्म 6 का गलत इस्तेमाल
वोटर लिस्ट में डुप्लिकेट वोटर्स भी पाए गए हैं यानी एक ही आदमी के नाम पर कई सारे वोटर ID बने हुए हैं। कई वोटर्स की फोटो वोटर ID पर सही से नहीं है, जिसकी वजह से पता ही नहीं चल पा रहा कि ID है किसकी? इसके अलावा राहुल गांधी ने ये दावा किया है कि इलेक्शन कमीशन ने फॉर्म 6 का मिसयूज किया है। फॉर्म 6 फर्स्ट टाइम वोटर्स के लिए होते हैं, लेकिन राहुल गांधी का दावा है कि 90+ AGE के लोगों ने इसका इस्तेमाल किया है। ये सारी डिटेल्स राहुल गांधी ने अपने 6 महीने की एक विधानसभा में रिसर्च के बाद जारी की हैं। और ये दावा किया है कि चुनाव आयोग वोटों की चोरी कर रहा है।
सवाल?
ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या राहुल गांधी सच बोल रहे हैं? क्योंकि उन्होंने एड्रेस को लेकर जो दावा किया तो वो सच साबित हुआ है। इंडिया टुडे ने इस पर जांच की थी जिसके बाद ये साबित हुआ कि एक ही घर में 80 वोटर्स के होने का दावा सच है। ऐसे में सवाल है कि क्या सच में चुनाव आयोग वोटों की चोरी करवा रहा है? क्या सच में चुनाव आयोग बीजेपी के लिए काम कर रहा है? और अगर ऐसा नहीं है तो चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट को उन 65 लाख वोटर्स की लिस्ट क्यों नहीं दिखा रहा? क्यों चुनाव आयोग डिजिटल डेटा प्रोवाइड नहीं करवा रहा?