MP NEWS : अंदर की बात : कौन है सबसे योग्य पीएस ?
शायद आपको सुनकर आश्चर्य लगे, लेकिन यह हकीकत है कि एक व्यक्ति मंत्रालय के बड़े साहेब से मिलने गया और बताया कि प्रमुख सचिव के कारण उनके कार्य रूक रहे हैं और हर मामले में विपरीत टिप्पणी करते हैं।

भोपाल. शायद आपको सुनकर आश्चर्य लगे, लेकिन यह हकीकत है कि एक व्यक्ति मंत्रालय के बड़े साहेब से मिलने गया और बताया कि प्रमुख सचिव के कारण उनके कार्य रूक रहे हैं और हर मामले में विपरीत टिप्पणी करते हैं। बड़े साहेब ने उनकी बात ध्यानपूर्वक सुना और कहा कि प्रमुख सचिव उनसे अधिक योग्य है और पूरी पारदर्शिता और नियम से कार्य करता है। इस कारण उनसे कुछ नहीं बोल सकता। आप उन्हीं से मिलिए यह सुनकर बडे साहेब से मिलने गया व्यक्ति दुबारा मंत्रालय नहीं गया और कहा कि मध्यप्रदेश में काम ही नहीं करना है।
जब मंत्री ने निलंबन रोका
एक कार्यपालन यंत्री विभाग के मंत्री के कार्यक्रम में नशे की हालत में पहुंच गया। मंत्री ने कार्यक्रम के दौरान पूछा कि कौन है यहां का कार्यपालन यंत्री तो सब इधर-उधर देखने लगे। इस बीच गाडी में बैठा एक व्यक्ति झूमते हुआ पहुंचा। मंत्री ने कहा कि यह तो नशे में है, इसे तत्काल निलंबित करे। मंत्री के निर्देश पर आनन फानन मेें कार्रवाई शुरू हो गई। अचानक एक फोन आया कि अपना आदमी है और निलंबन की कार्रवाई रोक दी गई। यह बात अलग है कि उसे वहां से हटाकर दूसरे जिले में पदस्थ कर दिया गया। साथ ही एक और जिले का प्रभार सौंप दिया गया। अब आप समझ गए होंगे की माजरा क्या है।
पुलिस महकमे में असमंजस की स्थिति
पुलिस विभाग में शायद पहली बार ऐसा हो रहा कि पदोन्नति के लगभग पांच माह बाद भी अधिकारियों की पदस्थापना में फेरबदल नहीं किया गया। जबलपुर जोन के आईजी अतिरिक्त प्रभार में हैं। चंबल जोन में दो आईजी है। दो जिले की कमान डीआईजी संभाल रहे हैं। होशंगाबाद एसपी की पदस्थापना के लगभग चार साल होने जा रहे हैं। एसपी होशंगाबाद खुद आला अधिकारियों और मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी दे चुके हैं। फिर भी कही कुछ नहीं हो रहा है। फील्ड में कई पद रिक्त हैं। इससे पुलिस महकमें में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
सरकार पर भारी पीएचई के दो इंजीनियर
केन्द्र सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन में मध्यप्रदेश में हुए भ्रष्टाचार की इस समय पूरे देश में चर्चा है, लेकिन भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। किसी इंजीनियर को यदि प्रमुख सचिव द्वारा भ्रष्टाचार व काम न करने के आरोप में निलंबित किया जाता है तो राजनैतिक दवाब में एक सप्ताह में वही पदस्थ कर दिया जाता है। रीवा संभाग मेे पदस्थ अधीक्षण यंत्री पीएचई एस एल धुर्वे और कार्यपालन यंत्री सिंगरौली राजनैतिक रूप से इतने पावरफुल है कि विधानसभा में सवाल उठने के बाद प्रमुख सचिव द्वारा मांगी गई जानकारी भी नहीं दे रहे हैं। प्रमुख अभियंता पीएचई ने प्रमुख सचिव की नाराजगी और पूर्व में भेजे गए पत्रों की जानकारी तत्काल उपलब्ध कराने के लिए गत 16 मई को पत्र लिखा है। क्या ऐसे नाफरमान अफसरों से जलजीवन मिशन के कार्य होंगे। इस मामले में मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव को संज्ञान लेकर कठोर कार्रवाई करना चाहिए।