यूरिया आवंटन: सहकारी और निजी क्षेत्र को 50-50

सतना | रबी सीजन के लिये यूरिया की मांग समाप्त होने के साथ ही प्रदेश सरकार की ओर से सहकारी और निजी क्षेत्र को मिलने वाले 70-30 के आवंटन प्रतिशत में बदलाव किया गया है। जारी आदेश के तहत अब अगले आदेश तक प्रदेश में सहकारी और निजी क्षेत्र को बराबर-बराबर यानी 50-50 यूरिया मिलेगी। इस आदेश के बाद भी काद विक्रेताओं में कोई खुशी नहीं है। उनका कहना है कि यह कहानी नई नहीं बल्कि 27 सालों से चली आ रही है। इसका निजी क्षेत्र को कोई फायदा नहीं होगा बल्कि नुकसान ही उठाना पड़ेगा।

पीक अवर में फिर होगा बदलाव
खरीफ और रबी सीजन के दौरान यूरिया की भारी मांग और आपूर्ति के बीच रहने वाले भारी अंतर के समय किसानों को उचित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने प्रदेश सरकार द्वारा यूरिया आवंटन में मात्रा तय की जाती है। खरीफ सीजन में प्रदेश में आने वाली यूरिया की रैक से सहकारी क्षेत्र को 80 और निजी क्षेत्र को 20 फीसदी आवंटन मिलता था। 5 नंवबर को आदेश जारी कर सहकारी क्षेत्र में 70 व निजी क्षेत्र के 30 प्रतिशत के अनुपात को लागू किया गया। अब मध्यप्रदेश किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग मंत्रालय के अपर सचिव दिलीप कुमार द्वारा 11 फरवरी को जारी हुए आदेश में आवंटन के पुराने अनुपात में आंशिक संसोधन करते हुए दोनों क्षेत्रों को 50-50 कर दिया है। इस आशय का निर्देश मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ की ओर से 16 फरवरी को अपने सभी संभागीय व जिला कार्यालयों को भेजे गये हैं।

क्यों खुश नहीं हैं कारोबारी
50-50 अनुपात में आवंटन को लेकर क्या व्यापारियों को सरकार ने कोई राहत दी है? क्या उन्हें इस आदेश को लेकर खुश होना चाहिये? इन सवालों को लेकर शहर के खाद डीलरों में कोई खुशी नहीं है। ऐसा इसलिये है क्योंकि यह पहली बार नहीं हो रहा। 1993 में जब प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी तब कृषि मंत्री सुबाष यादव द्वारा अनुपात की व्यवस्था लागू की गई थी जो अभी भी चल रही है।

व्यापारियों का कहना है कि रबी सीजन के लिये यूरिया की अब जरूरत नहीं है लिहाजा मांग न होने से नई व्यवस्था लागू की गई। मार्कफेड के पास भण्डारण की अधिक क्षमता नहीं है क्योंकि उनके गोदामों में कम्पनी की खाद रखी रहती है। जो जगह बचती भी है उसमें पहले निकलने वाली मांग को देखते हुए डीएपी का भण्डारण किया जाता है। अब कम्पनियां अपने डीलरों पर यूरिया भण्डारण के लिये दबाव बनाएंगी। उन्हें यूरिया भण्डारण करना होगा और गोदाम का किराया तथा ब्याज भी भुगतना होगा। जब मांग निकलेगी तब मार्कफेड सक्रिय हो जाएगा। 

कृषि मंत्रालय द्वारा सहकारी और निजी क्षेत्र को यूरिया आवंटन के लिये नया अनुपात 50-50 का जारी किया गया है। इसको लेकर प्रदेश विपणन संघ की ओर से भी पत्र आ गये हैं। अब नये आदेश के अनुसार यूरिया आवंटन होगा।
नारेन्द्र प्रताप सिंह, जिला प्रबंधक मार्कफेड

यूरिया आवंटन का अनुपात साल में तीन बार बदलता है। आखिर में जब मांग नहीं होती तब उसे फरवरी से जून तक के लिये आधा-आधा कर दिया जाता है। इससे निजी क्षेत्र को कोई फायदा नहीं होने वाला।
उमाशंकर अग्रवाल, थोक खाद विक्रेता