विपक्ष ने फिर उठाए चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल, गौरव गोगोई ने उठाई लोकसभा में चर्चा की मांग

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल, गौरव गोगोई ने की संसद में चर्चा की मांग

विपक्ष ने फिर उठाए चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल, गौरव गोगोई ने उठाई लोकसभा में चर्चा की मांग

शिवेंद्र सिंह 

असम में कांग्रेस की सियासी गतिविधियां तेज़ हो गई हैं, और इसी बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में डिप्टी लीडर ऑफ अपोजीशन गौरव गोगोई ने एक बार फिर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. रविवार को असम कांग्रेस की कार्यकारिणी विस्तार की तैयारियों के बीच मीडिया से बातचीत में गोगोई ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा. कि "जनता के मन में चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर संदेह है. और सरकार मतदाता सूची में संशोधन जैसे अहम मुद्दे पर चर्चा से बच रही है. 

संवेदनशील मुद्दे को टाल रही सरकार

गौरव गोगोई ने मांग की कि लोकसभा में मतदाता सूची में संशोधन को लेकर चर्चा कराई जाए ताकि चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता पर जनता का भरोसा बहाल किया जा सके. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर इस संवेदनशील मुद्दे से बच रही है और यह कहीं न कहीं बीते विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हुई कथित गड़बड़ियों को छिपाने की कोशिश हो सकती है. जब गोगोई से पूछा गया कि सरकार का तर्क है कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र निकाय है .और किसी मंत्रालय के अधीन नहीं आता, इसलिए इस पर संसद में चर्चा संभव नहीं है. तो उन्होंने इस दलील को 'बेतुका' करार दिया.  गोगोई ने जोर देकर कहा. कि "मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री और सरकार करती है. ऐसे में आयोग की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठना स्वाभाविक है. जब सरकार नियुक्ति करती है, तो जवाबदेही से कैसे बच सकती है?

मतदाता सूची में विसंगतियां: गौराव गोगोई

उन्होंने यह भी जोड़ा. कि लोकतंत्र की बुनियाद निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया है. और यदि इस पर ही सवाल उठते हैं, तो पूरे लोकतंत्र पर खतरा मंडराने लगता है. गोगोई ने कहा.कि देश में कई स्थानों पर मतदाता सूची में विसंगतियां देखने को मिली हैं और यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि किसी भी मतदाता का नाम गलत तरीके से हटाया या जोड़ा न जाए. असम कांग्रेस की कार्यकारिणी की बैठक से पहले हुई इस टिप्पणी ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। माना जा रहा है कि कांग्रेस आने वाले समय में इस मुद्दे को और ज्यादा ज़ोर-शोर से उठाएगी और संसद में विपक्षी एकता के तहत इस पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाएगी.

गौरव गोगोई की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब देश में लोकतंत्र और संस्थाओं की स्वतंत्रता को लेकर बहस फिर से तेज हो गई है. विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाता रहा है और अब चुनाव आयोग को भी इस दायरे में लाया जा रहा है. अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या विपक्ष की इस मांग को गंभीरता से लिया जाएगा या नहीं.