मध्यप्रदेश ने मनाया गौरव का ‘अभ्युदय’ – संस्कृति, परंपरा और प्रगति का भव्य संगम

मध्यप्रदेश ने अपने 70वें स्थापना दिवस पर भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में आयोजित तीन दिवसीय आयोजन अभ्युदय मध्यप्रदेश के माध्यम से संस्कृति, परंपरा और विकास का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया

मध्यप्रदेश ने मनाया गौरव का ‘अभ्युदय’ – संस्कृति, परंपरा और प्रगति का भव्य संगम

मध्यप्रदेश ने अपने 70वें स्थापना दिवस पर भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में आयोजित तीन दिवसीय आयोजन अभ्युदय मध्यप्रदेश के माध्यम से संस्कृति, परंपरा और विकास का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया.  सोमवार की शाम इस आयोजन के समापन पर पूरा भोपाल गर्व और उत्साह से झूम उठा. 

विरासत और विकास साथ-साथ: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल और उत्तर प्रदेश के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता विशेष रूप से उपस्थित रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि “मध्यप्रदेश में विरासत के संरक्षण के साथ तीव्र गति से विकास कार्य किए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम विरासत और विकास दोनों को साथ लेकर चल रहे हैं. 

उन्होंने बताया कि प्रदेश में डेढ़ वर्ष में 18 नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं, आयुर्वेदिक शिक्षा में मध्यप्रदेश अग्रणी है और सभी जिलों में पीएम एक्सीलेंस कॉलेज व पुलिस बैंड इकाइयां गठित की गई हैं. डॉ. यादव ने कहा कि राजा भोज और सम्राट विक्रमादित्य जैसे नीतिनिष्ठ शासकों की स्मृति में ऐसे सांस्कृतिक आयोजन आगे भी जारी रहेंगे, ताकि नई पीढ़ी अपने इतिहास और मूल्यों से प्रेरणा ले सके. 

सम्राट विक्रमादित्य” महानाट्य ने छुआ दिल

आयोजन का मुख्य आकर्षण रहा भव्य महानाट्य “सम्राट विक्रमादित्य”, जिसे उज्जैन की विशाला सांस्कृतिक एवं लोकहित समिति ने प्रस्तुत किया. निर्देशक संजय मालवीय के नेतृत्व में 150 कलाकारों ने तीन मंचों पर सम्राट विक्रमादित्य के जीवन, न्यायप्रियता और प्रजावत्सलता को प्रभावशाली ढंग से सजीव किया.  ऊंट, हाथी, घोड़े, पालकियां और महाकाल मंदिर के भव्य प्रतिरूपों ने दर्शकों को प्राचीन युग की अनुभूति कराई. सिंहासन बत्तीसी” और “बेताल पच्चीसी” की झलकियों ने लोगों को भावविभोर कर दिया. 

संगीत और लोकनृत्यों से गूंजा मंच

महानाट्य के बाद सुप्रसिद्ध गायिका स्नेहा शंकर ने अपने सुरीले स्वर से वातावरण को सुरभित किया. उनके गीतों में संवेदना और समर्पण का सुंदर संगम देखने को मिला. दोपहर में आयोजित लोक एवं जनजातीय नृत्य प्रस्तुतियों ने प्रदेश की विविधता को मंच पर साकार किया. 

सीधी के संतोष यादव ने अहिराई लाठी नृत्य,

टीकमगढ़ के शिशुपाल सिंह ने मोनिया नृत्य, खंडवा की अनुजा जोशी ने गणगौर नृत्य, उज्जैन की स्वाति उखले ने मटकी नृत्य, सागर के अरविंद यादव ने बधाई नृत्य, सुरगुजा के लालबहादुर घासी ने घसियाबाजा नृत्य, सिवनी के संदीप उइके ने गोंड जनजातीय गुन्नूरसाई नृत्य प्रस्तुत किया. 

 2000 ड्रोन शो में दिखा “विरासत से विकास” का सफर

समारोह के अंतिम दिन रात को 2000 ड्रोन के माध्यम से आसमान में इतिहास रचा गया. “विरासत से विकास” थीम पर आधारित इस शो में मध्यप्रदेश की संस्कृति, उद्योग, विज्ञान, रोजगार और भविष्य की झलकियां उभरीं. 
दर्शकों ने इस अद्भुत दृश्य का तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया. 

भ्युदय का संकल्प” लेकर हुआ समापन

तीन दिनों तक चले इस ऐतिहासिक आयोजन का समापन “अभ्युदय का संकल्प” के साथ हुआ. 
इस अवसर पर प्रदेशवासियों ने यह संकल्प दोहराया कि मध्यप्रदेश अपनी सांस्कृतिक जड़ों को सहेजते हुए विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा.