गुरमीत राम रहीम को बार-बार जमानत कैसे मिलती है? जानिए कानून क्या कहता है?

बार-बार पैरोल पर बाहर क्यों आते हैं राम रहीम, क्या कहता है कानून?

गुरमीत राम रहीम को बार-बार जमानत कैसे मिलती है? जानिए कानून क्या कहता है?

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम रेप, हत्या जैसे कई मामलों में दोषी करार दिए जा चुके हैं. बावजूद इसके वह पिछले कुछ सालों में कई बार पैराेल और जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं. ऐसे में आम जनता के बीच यह सवाल उठता है. कि एक सजा पाने वाले अपराधी को बार-बार जमानत या पैरोल कैसे मिल जाती है?  क्या यह कानून का दुरुपयोग है, या फिर कानून की कोई प्रक्रिया है. हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे कि गुरमीत राम रहीम को बार-बार रिहाई कैसे मिल जाती है, और इसके पीछे कानूनी प्रक्रिया क्या है.

राम रहीम पर कई मामले दर्ज  

पहले बात कर लेते हैं. कि राम रहीम पर आरोप और सजाएं क्या-क्या लगी हैं. उनके उपर 2002 में दो साध्वियों के साथ रेप. मामले में CBI ने 2017 में 20 साल की सजा,  पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में उम्रकैद, साथ ही उनपर अवैध नसबंदी और अन्य मामले अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज हैं. लेकिन फिर भी सच्चा सौदा के प्रमुख कई बार पैरोल पर जेल से बाहर आ चुके हैं. 

बार-बार पैरोल मिलने पर सवाल क्यों?

अब समझते हैं. कि पैरोल और जमानत पर क्या फर्क है. जमानत यानी की बेल, बेल तब दी जाती है. जब कोई आरोपी अभी दोषी नहीं ठहराया गया हो. यानी, उस पर अभी ट्रायल चल रहा हो, लेकिन, कुछ मामलों में दोषी को भी अपील के दौरान जमानत दी जा सकती है. बसर्ते अदालत को लगना चहिए कि अपील में दम है, और दोषी को रिहा करने के लिए पर्याप्त आधार हों, तो ही जमानत दी जा सकती है.वहीं पैरोल की अगर बात करें तो यह एक तरह की अस्थायी रिहाई होती है, जो एक दोषी व्यक्ति को कुछ खास परिस्थितियों में दी जाती है. जैसे किसी पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए, सेहत के चलते, सामाजिक सेवा जैसे मामलों में जमानत दी जा सकती है. गुरमीत राम रहीम को अधिकतर बार पैरोल या फरलो पर रिहा किया गया है. लेकिन, उनकी रिहाई ऐसे समय में हुई जब किसी न किसी राज्य में विधानसभा के चुनाव थे. और जो इस बार रिहाई उसके जन्मदिन के मौके पर मिली है.  

कानून क्या कहता है?

भारतीय जेल कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार हर दोषी कैदी को पैरोल या फरलो की मांग का अधिकार है.  जेल प्रशासन, पुलिस और सरकार की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया जाता है. कोई भी कैदी, चाहे वह VIP हो या आम नागरिक अगर नियम पूरे करता है. तो उसे पैरोल दी जा सकती है. गुरमीत राम रहीम हरियाणा की रोहतक जेल में बंद हैं और उन्हें पैरोल देने का फैसला हरियाणा सरकार की मंजूरी से होता है. राज्य सरकार की सिफारिश और जेल विभाग की रिपोर्ट के आधार पर ही उन्हें छोड़ा जाता है. 

लगातार मिल रही रिहाई से हो रहा विरोध?

गुरमीत राम रहिम को 14वीं बार जमानत मिली है. जिसका विरोध भी हो रहा है. इससे पहले भी उनकी अस्थाई रिहाई को विरोध हुआ है. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने हरियाणा सरकार के फैसलों को बार-बार अदालत में चुनौती दी है. लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ. जनवरी 2023 में एसजीपीसी ने डेरा प्रमुख को हरियाणा सरकार के बार-बार पैरोल और छुट्टी दिए जाने के खिलाफ सबसे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाज खटखटाया था. अगस्त 2024 में जब हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी, तो एसजीपीसी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जेल अधिकारियों का कहना है. कि राम रहीम को कभी भी विशेष फायदा नहीं दिया गया. गुरमीत राम रहीम को बार-बार मिलने वाली जमानत या पैरोल पर कानूनी प्रक्रिया के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक पहलू भी जुड़े हुए हैं.  जबकि कानून सभी को बराबरी से पैरोल मांगने का अधिकार देता है, लेकिन जब किसी VIP कैदी को बार-बार रियायतें मिलती हैं तो न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं. इसलिए जरूरी है. कि सरकारें और न्यायपालिका ऐसे मामलों में पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता बरतें, ताकि आम जनता का भरोसा कानून में बना रहे.