Bhopal:राजधानी में शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल, टीन शेड के नीचे चल रहा सरकारी स्कूल

भोपाल में सांदीपनी शासकीय स्कूल टीन शेड के नीचे चल रहा है। सरकारी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।छात्राएं जमीन पर टाटपट्टी बिछाकर पढ़ाई कर रही हैं और AC के कमरों में बैठे जिम्मेदार अधिकारी शेड के स्कूल में बच्चों का भविष्य बर्बाद करने में लगे है।

Bhopal:राजधानी में शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल, टीन शेड के नीचे चल रहा सरकारी स्कूल

भोपान:भारत के संविधान के अनुच्छेद 21(ए) के तहत 14 साल तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार है, लेकिन राजधानी भोपाल में ही इसका उल्लंघन साफ दिखाई दे रहा है। भोपाल के कटारा हिल्स इलाके में स्थित एक शासकीय स्कूल टीन शेड के नीचे संचालित हो रहा है। बीते तीन साल से नई बिल्डिंग में शिफ्ट करने की बात कही जा रही है।

सांदीपनि स्कूल की दुर्दशा,शेड में पाठशाला

सांदीपनि स्कूल होने के बावजूद स्कूल की यह हालत है यानी आप समझ सकते हैं कि भीषण गर्मी, सर्दी में बच्चे किस तरह से पढ़ते होंगे और जब बारिश होती है स्कूल में पानी भर जाता है. एक तरफ बच्चियों को पढ़ाने और बढ़ाने की बात हो रही और दुसरी और ऐसी तस्वीरें शिक्षा विभाग के सिस्टम की पोल खोलती है। स्कूल के अंदर टेबल कुर्सी भी नहीं है. छात्राएं जमीन पर टाट पट्टी बिछाकर पढ़ाई कर रही हैं और AC के कमरों में बैठे जिम्मेदार अधिकारी शेड के स्कूल में बच्चियों का भविष्य बर्बाद करने में लगे है।

बारिश में छत से पानी टपकता है

स्कूल के प्राइमरी शिक्षक मनोज खरे बताते हैं कि नई बिल्डिंग बने तीन साल हो चुके हैं, लेकिन बच्चों की संख्या ज्यादा और जगह कम होने के कारण एक कक्षा में 80–90 बच्चे बैठते हैं। जगह की कमी से स्कूल दो शिफ्ट में चल रहा है और नए प्रवेश भी नहीं ले जा पा रहे। आगे उन्होने कहा कि गर्मी में कक्षाएं बेहद तपती हैं और बारिश में छत से पानी टपकता है।


 

छात्रों ने बताई अपनी परेशानी

स्कूल के छात्र गौरांश सेन का कहना है कि उनकी कक्षा में 84 बच्चे हैं। पढ़ाई तो होती है, लेकिन बैठने की बहुत दिक्कत है। गर्मी और बारिश में हालात और खराब हो जाते हैं। अन्य छात्र अंशुमन जाटव, मानवी मेहर और दीपिका मिश्रा ने भी बैठने, गर्मी और भवन की खराब स्थिति को लेकर परेशानी बताई।

अभिभावकों ने कहा भवन की हालत जर्जर

अभिभावक आशीष कुमार यादव का कहना है कि उनके बच्चे ने इसी साल सीएम राइज स्कूल में प्रवेश लिया है, लेकिन भवन की हालत जर्जर है। सामने नई बिल्डिंग तैयार है, फिर भी एक साल से सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। बारिश में बच्चे भीग जाते हैं और दीवारें गिरने का खतरा बना रहता है।

टीन शेड में पढ़ रहे बच्चें


स्कूल में पहली से बारहवीं तक की कक्षाएं संचालित होती हैं, लेकिन जगह की कमी के कारण बच्चों को 10×10 के कमरों और टीन शेड में पढ़ना पड़ रहा है। बच्चियों के लिए न पर्याप्त वाशरूम हैं और न ही बुनियादी सुविधाएं। एक पुरानी बिल्डिंग की छत भी गिर चुकी है, जिससे हमेशा खतरा बना रहता है।राजधानी के बीचों-बीच स्थित इस शासकीय स्कूल की हालत यह सवाल खड़ा करती है कि जब भोपाल में हालात ऐसे हैं, तो प्रदेश के अन्य इलाकों में बच्चों की शिक्षा की स्थिति कैसी होगी।