कागजों में तैयार हुए आंगनबाड़ी के किचेन गार्डेन

रीवा | महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा दो वर्ष पूर्व एक आदेश जारी हुआ था, जिसमें आंगनबाड़ी केन्द्रों के सामने किचेन गार्डेन तैयार करने की बात कही गई थी। हालांकि शासन द्वारा जारी आदेश को विभाग के अधिकारियों ने कितना पालन किया है यह जिले में खोली गई आंगनबाड़ी केन्द्रों को देखने से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। शासन के आदेश के इतर अधिकारियों ने कागजों में किचेन गार्डेन बनाकर विभाग को जानकारी दे डाली है। माना यह जा रहा है कि इस मामले में लाखों रुपए का घोटाला किया गया है।

फल और सब्जी का करना था उत्पादन
आंगनबाड़ी केन्द्रों के सामने किचेन गार्डेन तैयार करने की जो शासन की मंशा थी, उसमें यह था कि फल एवं पौष्टिक आहार तैयार कर आंगनबाड़ी केन्द्रों में आने वाले बच्चों को वितरण किया जाएगा। इससे बच्चों के साथ-साथ शासन को भी लाभ मिल पाता। हालांकि इस योजना पर विभागीय अधिकारियों ने जमकर पलीता लगाया। बच्चों के स्वास्थ्य को सुधारने के उद्देश्य से जारी इस आदेश की अधिकारियों ने धज्जियां उड़ा दिए हैं। गौरतलब है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन ही इस उद्देश्य को लेकर किया जा रहा है कि केन्द्रों में आने वाले बच्चों को पौष्टिक आहार की सुविधा दी जाए ताकि कुपोषण को दूर किया जा सके।

बावजूद शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पाया है। ऐसे में शहर से लेकर गांव तक संचालित 2791 मुख्य आंगनबाड़ी एवं 554 मिनी आंगनबाड़ी में किचेन गार्डेन नहीं दिख रहे हैं।किचेन गार्डेन बनाने के लिए शासन से आदेश तो जारी किया गया था परंतु  इसके लिए न तो राशि जिला स्तर पर पहुंची है और न ही आंगनबाड़ी केन्द्रों में। विभाग का आदेश हवा में उड़ गया है। बताया गया है कि कुछ आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्वयं के खर्च से किचेन गार्डेन तैयार किए गए थे लेकिन उसका भुगतान भी लटक गया है।

बैठने की जगह नहीं, कहां बनाएंगे किचेन गार्डेन
जिले में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों का जो हाल है, वह सर्वविदित है। गांव को अगर छोड़ दिया जाए तो शहर के अंदर ऐसी एक दर्जन से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्र हैं जहां पर बच्चों के बैठने के लिए जगह ही नहीं है। कच्चे घरों में चलने वाली इन आंगनबाड़ी केन्द्रों में खेलने-कूदने एवं बैठने तक की कोई जगह नहीं बची है। किराए के भवनों में चलने वाले आंगनबाड़ी केन्द्र में पहुंचने के लिए रास्ता तक नहीं है।