वन विभाग पर आरोप- पट्टे के नाम पर ली रकम, अब कर रहा आदिवासियों को बेघर!

रीवा जिले के डभौरा में आदिवासी परिवारों ने बीट गार्ड योगेश मिश्रा पर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे 100 वर्षों से वन भूमि पर रह रहे हैं। बीट गार्ड ने पट्टा दिलाने के नाम पर पैसे लिए, लेकिन अब झोपड़ियाँ हटाने का नोटिस देकर उन्हें उजाड़ने की कोशिश की जा रही है।

वन विभाग पर आरोप- पट्टे के नाम पर ली रकम, अब कर रहा आदिवासियों को बेघर!

रीवा जिले के डभौरा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम सोहावल खुर्द (बंधवा टोला) के आदिवासी परिवारों ने बीट गार्ड योगेश मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे करीब 100 सालों से एक जमीन पर रह रहे हैं, लेकिन अब बीट गार्ड उन्हें जबरन हटाने की कोशिश कर रहा है।

ग्रामीणों का आरोप है कि बीट गार्ड ने पट्टा दिलाने के नाम पर करीब एक साल पहले पैसे भी लिए थे, लेकिन आज तक पट्टा नहीं मिला, उल्टा नोटिस भेजकर झोपड़ियाँ गिराने की धमकी दी जा रही है।

ग्रामीणों का यह भी कहना है कि बीट गार्ड यह सब स्थानीय राजनीतिक के दबाव में कर रहा है। आदिवासी परिवारों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव और क्षेत्रीय विधायक से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए और बीट गार्ड के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।

वन विभाग का पक्ष

वन विभाग के अधिकारी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि, “जिन्हें सरकार द्वारा जमीन आवंटित की गई है, वे उससे ज्यादा जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। अगर कोई नया कब्जा किया गया है, तो विभाग नियमों के तहत कार्रवाई करेगा। आरोपों की जांच करवाई जाएगी।”

कलेक्टर को दिया गया आवेदन

गांव के निवासी दातादीन कोल ने रीवा कलेक्टर को आवेदन देकर बताया कि उनका परिवार कक्ष क्रमांक 282 के पास स्थित खसरा नंबर 13/3 की जमीन पर करीब 100 वर्षों से काबिज है।

वर्ष 2008-09 और 2015-16 में हुए सर्वे के दौरान उनके परिवार का नाम राजस्व रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया, जिससे वे पट्टा पाने से वंचित रह गए। दातादीन कोल ने मांग की है कि आदिम जाति कल्याण विभाग और वन विभाग को निर्देश देकर उन्हें पट्टा दिलाया जाए, ताकि उनके परिवार का जीवन यापन जारी रह सके।