ट्रंप टैरिफ से मंडीदीप उद्योगों पर दबाव, अब निर्यात के लिए उद्यमी तलाश रहे यूरोप एवं एशिया के बाजार

मंडीदीप की इंडस्ट्रीज अमेरिका द्वारा 50% टैरिफ बढ़ाने के बाद निर्यात के लिए यूरोप और एशिया जैसे नए बाजारों की तलाश कर रही हैं।

ट्रंप टैरिफ से मंडीदीप उद्योगों पर दबाव, अब निर्यात के लिए उद्यमी तलाश रहे यूरोप एवं एशिया के बाजार
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नितेश पटेल मंडीदीप

अमेरिका द्वारा भारत से निर्यात होने वाले उत्पाद जैसे ऑटो पार्ट्स, फार्मासूटिकल एवं टेक्सटाइल पर 27 अगस्त से 50% ऐलान के बाद से मंडीदीप की इंडस्ट्री अब निर्यात के लिए दूसरे बड़े बाजार का विकल्प तलाश रही जिसमें यूरोप, एशिया के कई देश के बाजार में ध्यान केंद्रित की तैयारी कर रही है। उद्योगपति मानते है कि टैरिफ बढ़ने से अमेरिका बाजार में उत्पाद महंगे होंगे और मांग कम होगी ऐसे में उत्पादन लागत को नियंत्रित करने के लिए कंपनियां कच्चे माल की लागत कम करने ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और ऑटोमेशन की दिशा में कदम उठाया जाना चाहिए।

उद्योग जगत की चिंता

एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष राजीव अग्रवाल का कहना है मंडीदीप से अमेरिका को ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल, फार्मासूटिकल, और रसायन आदि उत्पाद निर्यात किए जाते है जिन पर 50% टैरिफ लगने से वे अमरीकी बाजार में महंगे हो जाएंगे जिससे उनकी प्रतिस्पर्धा घटेगी जिससे उद्योगों पर लागत का दबाव बढ़ेगा।

रोजगार पर असर

उद्योग एसोसिएशन के सचिव नीरज जैन बताते है कि ऑर्डर कम होने से उत्पाद घटेगा उत्पाद कम होगा तो यूनिट चलाने के लिए लगत बढ़ेगी और मुनाफा का अंतर कम होगा जिससे कई लघु उद्योग और माध्यम उद्योग को घाटे का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में कंपनिया उत्पादन में कटौती करती है तो जाहिर है कि कर्मचारियों की छटनी संभव है और नई भर्ती पर रोक लग सकती है।

उद्यमियों की क्या होगी आगे की रूप रेखा

राजीव अग्रवाल के अनुसार नई रणनीति बनाने की आवश्यकता है, अब फोकस यूरोप, एशिया, मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों पर होगा जहां टैरिफ अपेक्षाकृत कम है। वही ऊर्जा दक्षता बढ़ाने, कच्चे माल की लागत कम करने ऑटोमेशन अपना कर उत्पादन सस्ता करने की योजना बनाई जा रही है जिससे उद्योगपति अपने उद्योग को सुचारू रूप से संचलन कर सके।

टेक्सटाइल, ऑटो और फार्मा इंडस्ट्रीज सहित अन्य सेक्टरों पर पड़ेगा प्रभाव

पिछले साल यहां की 63 कंपनिया ने 80से ज्यादा देशों को 20,256 करोड़ रुपए का निर्यात किया था जिसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 18% रही।