खजाना भरने सरकारी जमीन बेचने की तैयारी: विंध्य, महाकौशल और बुंदेलखंड की 12 अचल संपत्तियां चिन्हित
रीवा | आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार आय के मुकम्मल साधन के रूप में शासकीय संपत्तियों का इस्तेमाल करेगी। राजस्व में बढ़ोत्तरी के लिए आए दिन बड़े-बड़े फैसले लिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार प्रदेश भर में मौजूद सरकारी संपत्तियों को बेचने जा रही है। अभी तक 39 संपत्तियों को चिन्हित किया गया है, जिसमें महाकौशल और विंध्य बुंदेलखण्ड की 12 शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार की कहां, कितनी संपत्ति है, उसका क्या व्यावसायिक या अन्य उपयोग किया जा सकता है।
इसका प्रबंधन करने के लिए सरकार ने एक अलग से लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बनाया है। इसी विभाग द्वारा प्रदेश भर में सरकारी संपत्तियों की सूची तैयार कर उन्हें कारपोरेट घरानों को बेचने की तैयारी में है। हैरानी की बात यह है कि प्राइम लोकेशन पर स्थित सरकारी जमीनों को कलेक्टर रेट पर बेचा जा रहा है। मुख्य महाप्रबंधक एमपीआरडीसी एवं सपनि, उप सचिव प्रदीप जैन लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा बिक्री के लिए निवेशकों को आमंत्रित करने टेंडर जारी कर दिया गया है।
लगातार बढ़ रहा कर्ज
आर्थिक बदहाली के चलते करीब दो लाख 8 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे प्रदेश को उबारने और खाली खजाने को भरने के लिए सरकार ने सरकारी जमीनों को बेचने का निर्णय लिया है। सरकार ने सभी विभागों से उनकी संपत्ति का रिकॉर्ड मंगा लिया है। सरकारी तंत्र का कहना है कि ऐसी सभी संपत्तियों को नीलाम कर दिया जाएगा जो अनुपयोगी हो चुकी हंै।
लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग का मशविरा
लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग संपत्ति के रखरखाव के साथ उसके औचित्य का निर्धारण भी करेगा। लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग सभी सरकारी संपत्तियों का रजिस्टर तैयार करेगा। संपत्ति के बारे में नीति और गाइड लाइन तैयार कर सरकार को संपत्ति के बारे में राय देगा कि उसे बेचना उचित है या नहीं। जमीनों के मॉनीटाइजेशन के लिए विकल्प ढूंढ़ेगा, जिससे सरकार को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके। विभिन्न विभागों से विचार-विमर्श और समन्वय से काम करेगा। पीपीपी मॉडल में यह अन्य विभागों को सलाह भी देगा।
लोनिवि और सपनि के पास है अकूत अचल संपदा
प्रदेश में तकरीबन सभी विभागों के पास अचल संपत्तियां हैं। लोक निर्माण विभाग और सड़क परिवहन निगम के नाम से प्रदेश भर में अकूत अचल संपत्ति हैं। लोनिवि के कई रेस्ट हाउस महज कुछ हजार वर्गफिट में हैं लेकिन उनके आसपास सात से दस एकड़ जमीन खाली पड़ी हंै। सूत्रों की मानें तो सरकार ने लोक निर्माण विभाग और सड़क परिवहन निगम की कुछ संपत्तियां नीलाम करने की तैयारी कर रही है। वहीं, परिवहन विभाग ने भी सड़क परिवहन निगम की अचल संपत्तियों को बेचने का निर्णय किया है। इस तरह के आय जुटाने का प्रावधान इस बार के केन्द्रीय बजट में भी वित्त मंत्री द्वारा किया गया है। लिहाजा प्रदेश सरकार के लिए शासकीय संपत्ति बेचने का रास्ता आसान हो गया है।
संपत्ति का नाम, विभाग, जिला क्षेत्रफल
- लैंड पार्सल कॉटन एंड रूरल इंड. रीवा 4131.84 स्क्वायर फीट
- श्रम कल्याण केंद्र सतना श्रम विभाग सतना 11.2 एकड़
- रेशम केंद्र बघोर कॉटन एंड रूरल इंड. सीधी 9.43 हेक्टेयर
- शहडोल डिपो ट्रांसपोर्ट डिमार्टमेंट शहडोल 19140 स्क्वायर मीटर
- रेलवे साइडंग बिरसिंहपुर ऊर्जा विभाग शहडोल 1.421 हेक्टेयर
- पन्ना बस सब डिपो ट्रांसपोर्ट डिमार्टमेंट पन्ना 10007 स्क्वायर मीटर
- खाली भूमि कटनी मप्र ऊर्जा विभाग कटनी 6.715 हेक्टेयर
- चमड़े का कारखाना कॉटन एंड रूरल इंड. दमोह 1.11 एकड़
- सिंचाई कॉलोनी सिंचाई कॉलोनी छतरपुर 2.825 हेक्टेयर
- सिल्क सेंटर पोंडी कॉटन एंड रूरल इंड. मंडला 10 हेक्टेयर
- सिल्क सेंटर बरगी कॉटन एंड रूरल इंड. मंडला 10.09 हेक्टेयर
- हैंडलूम वीवर्स को-आॅप. कॉटन एंड रूरल इंड. जबलपुर 0.229 हेक्टेयर
संपत्ति बेचना ही विकल्प
सरकार के पास आय का कोई साधन नहीं है। सरकार ने टैक्स के अलावा आय के किसी भी विकल्प तैयार नहीं किया लिहाजा हालात यह हो गए हैं कि खर्चे चलाने के लिए संपत्तियां बेचनी पड़ रही है। फिलहाल प्रदेशभर में 39 संपत्तियों को सूचीबद्ध किया गया है। इन संपत्तियों को लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया गया है। जिनमें विंध्य, महाकौशल और बुंदेलखण्ड की शासकीय सम्पत्तियां शामिल हैं।