हिस्ट्रीशीटर भूमाफिया तक पहुंची जिलाबदर की नोटिस

सतना | देवस्थान व वन विभाग की जमीन पर कब्जा जमाकर लोगों को डराने धमकाने वाले चित्रक्ूट के हिस्ट्रीशीटर भूमाफिया पर प्रशासन का  शिकंजा धीरे-धीरे कसने लगा है। पुलिस अधीक्षक द्वारा भेजे गए जिलाबदर के प्रस्ताव पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए  यज्ञदत्त शर्मा को नोटिस जारी की गई है। सूत्रों के अनुसार नयागांव थाना पुलिस ने जिलाबदर की नोटिस की तामीली करा दी है। उधर वन विभाग भी अब अपनी जमीन को भूमाफिया के कब्जे से मुक्त कराने की कवायद में जुट गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जिला प्रशासन मुखारबिंद की कलेक्टर प्रबंधक दर्ज व वन विभाग की आराजियों को भूमाफिया से मुक्त कराने के लिए क्या कदम उठाता है? 

संतों में नाराजगी, सीएम से मिलने की तैयारी 

मुखारबिंद व वन विभाग की जमीन पर हुए कब्जे को लेकर संत समाज व स्थानीय समाजसेवी पुन: आंदोलित हो रहे हैं। संतों का कहना है कि चित्रक्ूट के विकास के लिए सरकारर अक्सर जमीन के टोटे का रोना रोती है लेकिन उन जमीनों को मुक्त कराने में सरकार रूचि नहीं दिखाती जो सार्वजनिक उपयोग की हैं। संतों का कहना है कि मुखारबिंद की जमीन आस्था का प्रतीक है अत: उसे तत्काल प्रभाव से मुक्त कराया जाना चाहिए जबकि वन विभाग के एक बड़े भूखंड का अतिक्रमण हटाकर सरकार श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं विकसति करती है। स्टार समाचार से बातचीत में संतों ने कहा कि जल्द ही संत समाज का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से भेंट कर सरकारी व धार्मिक महत्व की जमीनों को अतिक्रमणमुक्त करने की मांग रखेगा। 

वन भूमि को विलोपित कर किया अतिक्रामकों के नाम संत समाज व चित्रकूट के रहवासियों द्वारा लगातार अतिक्रमण हटाने की लगाई जा रही गुहार के बीच जब वन विभाग ने आराजी क्र. 1072 की जांच की तो पता चला कि उक्त आराजी में वन विभाग को विलोपित कर अतिक्रमणकारियों के नाम दर्ज कर दिए गए हैं। जाहिर है कि ऐसा उस दौरान पदस्थ वन अधिकारियों की लापरवाही व राजस्व अमले की सांठ गांठ से ही हुआ होगा। वन विभाग ने दस्तावेजों की पड़ताल करने के बाद एसडीएम कार्यालय में सीमांकन करने के साथ साथ नक्शा सुधार का आवेदन लगाया है ताकि विभाग की मूल आराजी का पता लगा अतिक्रमणकारियों को बेदखल किया जा सके।

दरअसल वर्ष 2015 में चौबेपुर चित्रकूट निवासी  कमलेश प्रसाद पांडे तनय बद्री प्रसाद पांडे ने हाईकोर्ट में याचिका क्रमांक-5497/2015 पीआईएल लगाई थी जिसमें मप्र शासन, कलेक्टर सतना, डीएफओ, फारेस्ट रेंज आफीसर, यज्ञदत्त शर्मा और गुलाब को पार्टी बनाया गया था। हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए कमलेश प्रसाद पांडे ने बताया था कि आराजी क्रमांक-1072 वन भूमि है जिस पर यज्ञदत्त शर्मा व अन्य लोगों ने कब्जा जमा रखा है। उस दौरान जांच में पाया गया था कि वन विभाग के एक बड़े भूखंड पर यज्ञदत्त शर्मा ने कब्जा जमा रखा है।

तमाम दस्तावेजों का परीक्षण व सभी तर्कों को सुनने के पश्चात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस  एएम खानविलकर और जज केके त्रिवेदी की अदालत ने फैसला दिया था कि अविलंब वन भूमि का अतिक्रमण ढहाया जाय। हाईकोर्ट के आदेश पर अमल हुआ और वनभूमि के अतिक्रमण को 24 नवंबर 2016 को प्रशासन ने बड़ी बड़ी मशीनें लगाकर ढहा दिया। विडंबना की बात यह रही कि वन विभाग का एक बड़ा भूखंड अतिक्रमण से मुकत कराया पर वन अधिकारियों ने इसे भुला दिया।   तत्कालीन कलेक्टर के तबादले के बाद भूमाफिया ने पुन: उसी वन भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है। 

दरअसल अतिक्रमणकारियों ने दस्तावेजों में हेरफेर कर आराजी क्र. 1072 के बड़े हिस्से पर अपना नाम दर्ज करा रखा है। हम सीमांकन व नक्शा सुधार के लिए एसडीएम कार्यालय में आवेदन कर  चुके हैं। लीगल प्रोसीडिंग पूरी होते ही अतिक्रमणकारियों को हटाकर विभाग जमीन पर अपना पजेशन लेगा। 
राजेश राय, डीएफओ  

हाईकोर्ट के निर्देश पर अतिक्रमण हटाया गया था। ऐसे में प्रशासन का दायित्व था कि वह जमीनों को अतिक्रमणमुक्त रहना सुनिश्चित करता। निश्चित तौर पर यह प्रशासन की बड़ी चूक है। 
एड. नित्यानंद मिश्रा