SGMH में संविदाकारों का अटका साढ़े 52 लाख का भुगतान

रीवा | श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय अंतर्गत संजय गांधी अस्पताल में मेंटीनेंस के कार्यों का टेण्डर कराया गया था। संविदाकारों ने कार्य भी पूरा कर दिया, अब उनकी राशि अस्पताल प्रबंधन ने रोक दी है। खास बात यह है कि भुगतान न मिल पाने से कार्य पूरा कर चुके संविदाकारों ने अब आगे काम करने से सीधे मना कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया है कि संजय गांधी एवं सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कई कार्य टेण्डर के द्वारा संविदाकारों के माध्यम से कराए गए थे। कार्य पूरा हो जाने के बाद जो बिल प्रबंधन के पास लगाया गया है, उसका भुगतान करने में कॉलेज प्रबंधन अब आनाकानी करने लगा है। ऐसी स्थिति में ठेकेदार के कर्मचारियों को दो-दो महीने से वेतन ही नहीं मिल पाया है। 

इन कार्यों का हुआ था टेण्डर
श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा संजय गांधी एवं सुपर स्पेशलिटी के लिए जो टेण्डर की प्रक्रिया की गई थी, उसमें लिफ्ट आॅपरेशन का कार्य पंचसूल कांस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था। 1 अक्टूबर 2020 से 31 दिसम्बर तक किए गए कार्य का बिल 3 लाख 38 हजार 127 रुपए लगाया गया है, जिसका भुगतान अब तक नहीं हो पाया है। वहीं 33 केव्ही सब स्टेशन एवं डीजी सेट के लिए किए गए टेण्डर में कार्य का जिम्मा नेशनल ट्रेडर्स को मिला था। 15 अक्टूबर 2020 से अब तक किए गए कार्य की राशि 9 लाख 86 हजार 855 की है, इसका भुगतान भी रोक दिया गया है।

आॅपरेशन एवं मेंटीनेंस फायर एलार्म का कार्य पंचसूल कांस्ट्रक्शन कंपनी को मिला था। उक्त कार्य 1 अक्टूबर 2020 से 30 जनवरी 2021 तक किया गया। जिसमें 3 लाख 308 रुपए का भुगतान संविदाकार को नहीं हो पाया है। एएमसी इंटरनेशनल इलेक्ट्रिफिकेशन का कार्य भी पंचसूल कांस्ट्रक्शन द्वारा किया गया। जिसका बिल 9 लाख 30 हजार 535 रुपए का लगाया गया है। भुगतान अभी नहीं हो पाया है। सेंटर एसी प्लांट के कार्य का जिम्मा ब्लू स्टार को दिया गया था, जिसका भी भुगतान 2 लाख 21 हजार 848 रुपए प्रबंधन द्वारा नहीं किया गया है। जबलपुर की कंपनी कोनी एलीवेटर को लिफ्ट मेंटीनेंस का कार्य टेंडर में दिया गया था। उक्त कार्य 12 जून से शुरू किया गया है। जिसका भुगतान 18 लाख रुपए बकाया है। जबकि गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल के ओपीडी हॉस्टल मेंटीनेंस का कार्य कर रही पंचसूल कांस्ट्रक्शन कंपनी का भुगतान 6 लाख 70 हजार 841 रुपए रोक दिया गया है।

प्रशासकीय स्वीकृति बन रही वजह
संविदाकारों को टेंडर के माध्यम से दिए गए कार्यों को पूरा कर लेने के बाद जब भुगतान की बारी आई, तब अस्पताल प्रबंधन प्रशासकीय स्वीकृति मांगने लगा है। ताज्जुब की बात यह है कि जो काम अस्पताल प्रबंधन का है, उसे संविदाकार कैसे पूरा कर सकते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति देने का अधिकार अस्पताल प्रबंधन को है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि भुगतान न करने की स्थिति में वह बहानेबाजी कर रहे हैं। वहीं कार्य कर चुके ठेकेदार अस्पताल प्रबंधन के इस क्रियाकलाप से दुखी होकर आगे काम करने से इंकार कर दिए हैं।