पुलिस पर उठते सवाल: जब सुरक्षा देने वाला ही बन जाए भय का कारण

रीवा जिले में प्रियंका मिश्रा ने पुलिसकर्मी संतोष सिंह पर FIR दर्ज कराने के दौरान और जांच के समय अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया है। उन्हें कॉल पर एक घंटे तक मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जिसकी रिकॉर्डिंग उनके पास मौजूद है। प्रियंका ने निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

पुलिस पर उठते सवाल: जब सुरक्षा देने वाला ही बन जाए भय का कारण

रीवा (मध्यप्रदेश)। जब आम नागरिक संकट में होता है, तो सबसे पहले उसे जिस संस्था से उम्मीद होती है, वह है पुलिस प्रशासन। जनता मानती है कि पुलिस उनकी रक्षा करेगी, उन्हें न्याय दिलाएगी। लेकिन जब वही पुलिसकर्मी अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर नागरिकों के आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचाएं, तो सवाल उठना लाजमी है।

ऐसा ही एक मामला रीवा जिले के रायपुर कर्चुलियान थाने से सामने आया है, जहां 21 वर्षीय युवती प्रियंका मिश्रा ने एक पुलिसकर्मी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। युवती का कहना है कि पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद न केवल उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया, बल्कि उसे अपमानजनक व्यवहार का भी सामना करना पड़ा।

क्या है पूरा मामला?

प्रियंका मिश्रा, निवासी ग्राम सिरखनी, पोस्ट रामनई, थाना रायपुर कर्चुलियान, जिला रीवा, ने 10 अप्रैल 2025 को रायपुर थाने में एक FIR दर्ज कराई थी। FIR में उन्होंने अपनी चाची अंजू मिश्रा पर पत्थर मारने का आरोप लगाया था। इस शिकायत की जांच पुलिसकर्मी संतोष सिंह को सौंपी गई थी। प्रियंका का आरोप है कि FIR दर्ज कराने के समय भी संतोष सिंह ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। यही नहीं, 20 अप्रैल 2025 को शाम 7:40 बजे, संतोष सिंह ने उन्हें कॉल किया और लगभग एक घंटे तक अशोभनीय भाषा का प्रयोग करते हुए उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। इस बातचीत की कॉल रिकॉर्डिंग प्रियंका के पास उपलब्ध है।

मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का भी आरोप

प्रियंका मिश्रा ने यह भी आरोप लगाया है कि उनकी चाची अंजू मिश्रा एवं उनके मायके पक्ष – राम निरंजन तिवारी, मालती मिश्रा, और काजल मिश्रा – द्वारा उन्हें लगातार मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके अनुसार उनकी तस्वीरें उनकी अनुमति के बिना ली जाती हैं, उन्हें अजनबियों से जबरदस्ती मिलवाया जाता है, उनका पीछा करवाया जाता है। इन घटनाओं से त्रस्त होकर जब प्रियंका दोबारा शिकायत दर्ज कराने रायपुर थाने गईं, तो वहां के मुंशी द्वारा उन्हें अपमानजनक शब्द कहकर थाने से बाहर निकाल दिया गया। 

क्या यही है “जनता की पुलिस”?

यह पूरा मामला न केवल पुलिसकर्मी संतोष सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि पूरे पुलिस तंत्र की संवेदनशीलता और जवाबदेही को भी कठघरे में खड़ा करता है। एक युवती, जो पहले ही घरेलू हिंसा और उत्पीड़न से जूझ रही है, उसे जब पुलिस संरक्षण देने के बजाय दबाने की कोशिश करे, तो यह न केवल निंदनीय है, बल्कि न्यायिक दृष्टिकोण से भी अस्वीकार्य है। प्रियंका मिश्रा ने प्रशासन और उच्च अधिकारियों से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी पुलिसकर्मी व अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।