चलती ट्रेन से लापता हुई कटनी की अर्चना तिवारी का 7 दिन बाद भी नहीं मिला सुराग

कटनी की अर्चना तिवारी का 7 दिन बाद भी नहीं मिला सुराग

चलती ट्रेन से लापता हुई कटनी की अर्चना तिवारी का 7 दिन बाद भी नहीं मिला सुराग

इंदोर:  उपकार गर्ल्स हॉस्टल में रहकर सिविल जज परीक्षा की तैयारी कर रही थी। अर्चना ट्रेन से रक्षा बंधन पर कटनी आ रही थी। सफर के दौरान उसने घरवालों से फोन पर बात की थी। लेकिन रास्ते में वो चलती ट्रेन से लापता हो गई ना ट्रेन में उसका सुराग मिला और ना ही स्टेशन पर।  अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर अर्चना गई कहां ?

अर्चना तिवारी अपने गर्ल्स हॉस्टल से कटनी अपने घर के जाने के लिए निकली और फिर ऐसे गायब हुई कि उसकी गुमशुदगी अब करीब हफ्ते भर बाद भी एक पहेली बनी हुई है।  उसका मोबाइल फोन भी रहस्यमयी तरीके से बीच रास्ते में स्विच्ड ऑफ हो गया। ऐसे में चलती ट्रेन से अर्चना कहां गायब हो गई? किसी के साथ अपनी मर्जी से गई या फिर कोई उसे जबरदस्ती कहीं लेकर चला गया? कहीं ऐसा तो नहीं कि वो किसी अनहोनी का शिकार हो गई? ऐसे कई सवाल फिलहाल इस गुमशुदगी के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं।

अभी तक इतना तो साफ है कि वो इंदौर से ट्रेन में सवार हुई थी और उसने भोपाल तक का सफर भी आराम से पूरा किया था, लेकिन इसके बाद आधी रात को अपनी सीट से कैसे गुम हो गई, फिलहाल पुलिस को यही पता लगाना है। इंदौर से कटनी तक के 689 किलोमीटर के फासले में अर्चना की गुमशुदगी का सच जानने के लिए उस ट्रेन की रूट की स्कैनिंग जरूरी है, जिससे अर्चना ने अपना सफर शुरू किया था।

7 अगस्त को अपने हॉस्टल से निकलकर अर्चना इंदौर रेलवे स्टेशन पहुंची और यहां से 18233 इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस में सवार हो कर घर के चली ट्रेन शाम 4 बजकर 10 मिनट पर इंदौर से रवाना होती है। अर्चना की गुमशुदगी की जांच कर रही पुलिस को उसके ट्रेन में सवार होने और सफर की शुरुआत करने की जानकारी मिल चुकी है ऐसे में पहेली उसके चलती ट्रेन से गायब होने की ही है।

अर्चना के पास इंदौर-बिलासपुर एक्सप्रेस ट्रेन का टिकट था एसी कोच नंबर बी-3 में बर्थ नंबर 3 उसके नाम पर बुक था, जो कि बिल्कुल दरवाजे के पास की टॉप बर्थ होती है। अर्चना अपनी बर्थ में बैठी भी थी, जिसकी पुष्टि पैसेंजर्स ने की है।  यहां तक कि इंदौर से चल कर जब ट्रेन भोपाल के करीब पहुंची थी, तो उसकी फोन पर अपनी चाची से बातचीत भी हुई थी तब रात के 10 बज कर 16 थे।

उसके अगले दिन सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर कटनी साउथ रेलवे स्टेशन पर उसे उतरना था, लेकिन अर्चना को लेने पहुंचे उसके घर वालों को तब जोर का झटका लगा, जब अर्चना अपनी कोच से बाहर ही नहीं निकली। नर्मदा एक्सप्रेस इस स्टेशन पर बमुश्किल पांच मिनट के लिए रुकती है। इसलिए इससे पहले कि घर वाले उसके बारे में जानकारी जुटा पाते, ट्रेन स्टेशन से आगे निकल चुकी थी।

कटनी स्चटेशन पर नहीं उतरी अर्चना

ऐसे में घर वालों ने उमरिया में रहने वाले अपने रिश्तेदारों को फोन कर अर्चना के ट्रेन से ना उतरने की जानकारी दी और कहा कि वो ट्रेन के कोच नंबर बी-3 में चढ़ कर अर्चना के बारे में पता करें। रिश्तेदारों ने कुछ ऐसा ही किया, लेकिन मामला तब और उलझ गया, जब अर्चना की बर्थ पर उसका बैग तो रखा मिल गया, लेकिन अर्चना का कोई भी अता-पता नहीं था।

को-पैसेंजर्स ने रात तक अर्चना को देखने की बात कही थी, लेकिन इसके बाद किसी को उसकी गुमशुदगी का कुछ भी पता नहीं चला। और तब अर्चना के घरवालों ने कटनी के रेल थाने में यानी जीआरपी में अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई, जिस पर जीरो एफआईआर दर्ज कर कटनी रेल पुलिस ने एफआईआर भोपाल ट्रांसफर कर दी अब इस मामले को लेकर कई थ्योरी सामने आ रही हैं।

थ्योरी नंबर-1

कहीं नर्मदा नदी में कोई हादसा तो नहीं हुआ? जाहिर है अब तक की ये कहानी ये इशारा करती है कि अर्चना ने इंदौर से भोपाल तक का सफर पूरा किया था और इसके बाद वो आगे भी गई थी, लेकिन इसके बाद वो बीच रास्ते में गुम हो गई। पुलिस ने जब उसके मोबाइल फोन की सीडीआर निकाली, तो पता चला कि उसका फोन नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन के आस-पास तक स्विच्ड ऑन था, लेकिन इसके बाद फोन ऑफ हो गया। ट्रेन नर्मदापुरम रात को 11 बज कर 26 मिनट पर पहुंचती है यहीं से होकर नर्मदा नदी भी गुजरती है ऐसे में एक आशंका इस बात की भी है कि कहीं वो चलती ट्रेन से नीचे नदी में गिर तो नहीं गई? कुछ इसी शक के चलते अर्चना की गुमशुदगी के बाद पुलिस की निगरानी में गोताखोरों और लाइफ सेविंग स्क्वायड ने उफनती नर्मदा नदी में अर्चना के लिए तलाशी अभियान भी चलाया, लेकिन इस कोशिश का भी कोई फायदा नहीं हुआ।

थ्योरी नंबर-2

ट्रेन से नीचे गिरने की आशंका के बीच एक थ्योरी इस बात की भी है कि कहीं अर्चना ने खुद ही अपनी जिंदगी के साथ कोई गलत फैसला तो नहीं कर लिया? लेकिन पुलिस को अब तक की जांच में इस थ्योरी को सपोर्ट करने वाली कोई बात पता नहीं चली है। क्योंकि आखिरी बार जब अर्चना की अपनी चाची से फोन पर बात हुई थी, तब वो बिल्कुल नॉर्मल साउंड कर रही थी, जिसकी पुष्टि चाची ने की है। ऊपर से अपनी किसी दोस्त या सहेली से ना तो कभी किसी परेशानी का जिक्र किया था और ना ही हॉस्टल से बाहर निकलने के उसके आखिरी सीसीटीवी फुटेज में ही वो कोई परेशान नजर आ रही थी। उसने हॉस्टल से निकलते हुए बाहर जाने के लिए की जाने वाली फॉर्मेलिटी भी पूरी की थी और हॉस्टल में साथ रहने वाली लड़की ने उसे सी-ऑफ भी किया था। यहां तक कि उसका कोई संदिग्ध मैसेज या नोट भी किसी को नहीं मिला है।

थ्योरी नंबर-3

भोपाल से नर्मदापुरम तक नर्मदा एक्सप्रेस का पूरा रूट घने जंगलों वाले इलाके से होकर गुजरता है अर्चना का बर्थ नंबर 3 था, जो कि दरवाजे के बिल्कुल पास होता है। कई बार इंसान आधी रात को नींद के झोंके में वॉशरूम जाने के लिए अपनी सीट से नीचे आता है और चूंकि वॉशरूम दरवाजे के पास होते हैं, तो मुसाफिरों के चलती ट्रेन से नीचे गिरने के मामले में भी सामने आते हैं। ऐसे में एक आशंका ये भी है कि कहीं अर्चना के साथ इसी जंगली इलाके में कोई अनहोनी तो नहीं हुई? वैसे भी सियार और तेंदुओं के साथ-साथ इस इलाके में टाइगर का भी मूवमेंट होने की बात कही जाती है। ऐसे में अर्चना कहीं किसी बड़ी मुसीबत में तो नहीं पड़ गई, पुलिस इस पहलू से भी मामले की पड़ताल कर रही है।

 

थ्योरी नंबर-4

क्या चलती ट्रेन से किसी ने कर लिया अगवा? किसी भी मामले की तफ्तीश में वैसे तो पुलिस सारे ऑप्शंस खोल कर चलती है और ऐसे में इस ऑप्शन से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि ऐसा होने की संभावना थोड़ी कम लगती है, क्योंकि अगर ट्रेन से किसी ने अर्चना को अगवा किया होता या फिर उसके साथ कोई ज्यादती हुई होती, तो बाकी मुसाफिरों ने कोई शोर-शराबा या चीख-पुकार तो सुनी होती। यहां तक कि भोपाल से नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन के बीच दूसरे स्टेशन पर ऐसी किसी एक्टिविटी की तस्वीरें या तो सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई होती या फिर किसी ने कुछ देखा होता, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं है।

थ्योरी नंबर-5

क्या अपनी मर्जी से कहीं चली गई अर्चना? आम तौर पर नौजवान लड़के लड़कियां अपने घरों से बगैर किसी को बताए हुए कहीं गायब हो जाते हैं, जब वो किसी अफेयर में हों और घर वाले रिश्ते को रजामंदी देने से इनकार कर रहे हों। लेकिन अर्चना के साथ ऐसी कोई बात अब तक सामने नहीं आई है पुलिस ने उसके मोबाइल फोन के सीडीआर की जांच की है, जिसमें उसका किसी लड़के के साथ लंबी या ज्यादा देर तक बातचीत करने का भी कोई प्रमाण नहीं मिला है, ऐसे में लव अफेयर में उसके कहीं चले जाने का भी फिलहाल कोई सुराग़ नहीं है।

जाहिर है इन तमाम थ्योरीज़ का होना और सारे ही थ्योरीज़ पर मामले की तफ्तीश का आगे न बढना इस केस को और उलझा रहा है। कटनी में अर्चना के घरवाले तो परेशान हैं ही, वहां के आम लोगों ने भी शहर की एक होनहार बेटी के यूं गुम हो जाने पर उसे ढूंढने का मिशन शुरू किया है। फिलहाल, तलाश जारी है लेकिन अर्चना की गुमशुदगी की पहेली जस की तस बनी हुई है।