रीवा में शिक्षा विभाग का बड़ा फर्जीवाड़ा, न मृतक असली, न बेटा उसका, फिर भी मिल गई अनुकंपा नियुक्ति
ऐसी शिक्षिका को मृत मानकर नियुक्ति दी गई जो कभी पदस्थ ही नहीं रही

रीवा के शिक्षा विभाग में एक ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया है जिसे पढ़कर शायद आप भी हैरान रह जाएंगे, यहां एक महिला जिसने कभी शिक्षा विभाग में काम नहीं किया उसके नाम पर उसके बेटे को अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई और ताजुब की बात कि जिस व्यक्ति को महिला का बेटा बताया गया वह उसका बेटा भी नहीं। हैरत की बात तो यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने नियुक्ति आदेश जारी कर दिया फर्जी व्यक्ति ने जॉइनिंग दे दी और जब शिकायत हुई तो सारे फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हो गया।कथित तौर पर इस अनुकम्पा नियुक्ति में जिला शिक्षा अधिकारी एवं अनुकम्पा नियुक्ति प्रभारी राम प्रसन्न द्विवेदी की भूमिका संदिग्ध है। आनन फानन में जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा एक जांच टीम बनाई गई और 2 दिन के अंदर ही अपना दिया हुआ नियुक्ति आदेश रद्द कर दिया ,अब अधिकारी इस मामले में आगे जांच करने की बात कर रहे हैं जो हमेशा होता है। शायद अपने आप में यह एक ऐसा अनोखा मामला होगा जिसमें केवल फर्जी दस्तावेज के आधार पर किसी को अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई हो। इस मामले का खुलासा उस समय हो गया जब काल्पनिक महिला बेलाकली कोल को यह बताया गया कि वह शासकीय प्राथमिक शाला ढेरा में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ थी और सेवाकाल के दौरान 16 मई 2023 को उसका निधन हो गया। अनुकंपा नियुक्ति आदेश में कहा गया कि बेलाकली की मौत के बाद आश्रित सदस्य उसके पुत्र बृजेश कुमार कोल पिता शिवचरण कोल ग्राम पोस्ट परसिया तहसील त्योथर को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जोड़ौरी विकासखंड गंगेव जिला रीवा में चपरासी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है। बात दे रीवा जिले में सामान्य तौर पर अनुकंपा नियुक्ति पाना एक ऐसा समंदर है जिसे पार करने के लिए वर्षों लग जाते हैं
21 बिंदुओं की कड़ी जांच प्रक्रिया के बावजूद मिली फर्जी नियुक्ति
अनुकंपा नियुक्ति के लिए जो चेक लिस्ट होती है जरा उस पर एक नजर डालते हैं 21 बिंदुओं पर आधारित चेक लिस्ट में हर वह चीज मांगी जाती है जो सामान्य तौर पर नहीं बनाई जा सकती जिसमें कुछ मुख्य बिंदु है जैसे मृत्यु प्रमाण पत्र ,मूल निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र ,सजरा खानदानी, समस्त आश्रित परिवार का शपथ पत्र ,आवेदन करता का करेक्टर सर्टिफिकेट ,मृतक शासकीय सेवक की यूनिक आईडी, मृतक के शासकीय सेवा में स्थाई पद पर होने का प्रमाण पत्र, और इस तरह के समस्त प्रमाण प्राचार्य द्वारा प्रमाणित होना अनिवार्य है इन बिंदुओं पर नजर डालिए तो पता चलता है कि इस समंदर को गलत तरीके से पार करना मुमकिन नहीं है तो फिर इतना बड़ा घोटाला कैसे हो गया किसने किया कौन शामिल है इस तरह के कई सवाल है जिस पर अब पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है
ज्वाइनिंग के बाद मांगे दस्तावेज, फर्जी शिक्षक हुआ फरार
बताया गया है कि शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जोड़ौरी में ज्वाइनिंग करने के बाद स्कूल प्रबंधन द्वारा युवक से अपने और मृतक मां के दस्तावेज मांगे। युवक द्वारा अपने दस्तावेज तो दे दिए गए, लेकिन वह अब तथाकथित मां से संबंधित दस्तावेज कहां से लाता। एक दो दिन तक तो युवक टाल-मटोल करता रहा। कुछ दिनों बाद उसने स्कूल जाना ही बंद कर दिया। जिसके बाद स्कूल प्रबंधन को कुछ शक हुआ और प्राचार्य द्वारा इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की गई। मामला संदेहास्पद होने पर जब डीईओ ने जांच कराई तो पाया गया कि जिस मृतक महिला बेलाकली को युवक अपनी मां बता रहा था वह शिक्षा विभाग में कभी थी नहीं, यहां तक कि इस नाम की महिला युवक की मां भी नहीं है। इस प्रकार विभाग को पता चला कि युवक ने फर्जी दस्तावेज के माध्यम से नौकरी हासिल की है।
डीईओ ने फर्जी नियुक्ति पर मानवीय संवेदना का दिया हवाला
जिला शिक्षा अधिकारी सुदामालाल गुप्ता ने कहा कि मामला संज्ञान में आते ही जांच टीम गठित कर दी गई है। प्रथम सूचना के आधार पर नियुक्ति भी निरस्त कर दी गई है। गुप्ता का कहना है कि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में मानवीय संवेदना होती है कि विभाग के कर्मचारी का निधन हो गया है। तो परिवार के किसी सदस्य को नौकरी मिल जाए। हालांकि विभाग में पदस्थ बाबू की भूमिका संदिग्ध होने के सवाल पर टालमटोल कर भागते हुए नजर आए।