जीएसटी के विरोध में अभूतपूर्व रीवा बंद: नहीं उठे दुकानों के शटर वाहनों के चक्के रहे जाम

रीवा | गुड्स एण्ड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) के विरोध में व्यापारिक संगठनों का देशव्यापी बंद का रीवा में अभूतपूर्व असर दिखा। शुक्रवार को पूरा दिन दुकानों के शटर नहीं खुले। साथ ही वाहनों के चक्के नहीं हिले। खास बात यह है कि सालों बाद गैर राजनीतिक बंद के माध्यम से केन्द्र सरकार को बड़ा संदेश देने की कोशिश सौ फीसदी प्रभावी दिखी। बसें नए और पुराने स्टैण्ड के खांचों में खड़ी रहीं। बंद का बस, ट्रक एसोसिएशन, चालक, परिचालक संघ ने भरपूर समर्थन दिया। बंद के दौरान आवश्यक सेवाएं, मेडिकल, दूध की दुकानें खुली रहीं। इस दौरान सुरक्षा बलों को मुस्तैद किया गया।

कन्फेडरेशन आॅफ  आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) एवं रेवांचल चेम्बर आॅफ कामर्स सहित रीवा के सभी प्रमुख व्यापारी संस्थाओं द्वारा जीएसटी में व्याप्त जटिल प्रावधानों के खिलाफ ई-कामर्स एवं फूड सेफ्टी स्टैण्डर्ड एक्ट के विसंगतिपूर्ण प्रावधानों के खिलाफ शनिवार को भारत बंद के साथ ही रीवा व्यापार भी पूर्णतया बंद रहा।

व्यापारी संगठन के नेता चेम्बर आॅफ कामर्स के अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा, कैट के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश ठारवानी, चेम्बर के उपाध्यक्ष गुलशन चड्ढा, सराफा संघ के अध्यक्ष सुधीर सोनी, सचिव मानिकलाल सोनी, रीवा कैट के अध्यक्ष अमरजीत सिंह लकी, युवा व्यापारी संघ के अध्यक्ष प्रणव कनौडिया, व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष महेश हिरवानी, सीए प्रशांत जैन, ओपी गुप्ता, टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सूर्यकांत मिश्रा, मनीष मलुकानी, अमित कोहली, मनजीत दुग्गल, गल्ला व्यापारी संघ के कमलेश गुप्ता, राजकुमार गुप्ता, किराना व्यापारी संघ से संजय गुप्ता, महेश गुप्ता, बस आॅनर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रहलाद सिंह, सचिव प्रमोद सिंह, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के लल्लन खान आदि ने कहा है कि केन्द्र सरकार ने महंगाई कम करने जीएसटी कानून बनाया। लेकिन महंगाई कम होने की जगह अधिक बढ़ गई। यही नहीं व्यापारी भी परेशान व प्रताड़ित हो रहा है।

लगातार व्यापारिक संगठन सरकार से जीएसटी के नए प्रावधानों को भारत के व्यापार को बचाने हटाने की मांग कर रहे हैं किन्तु सरकार व्यापारियों की मांग को नजरअंदाज कर रही है। जिस कारण कैट के आह्वान पर 26 फरवरी शनिवार को भारत बंद करने का निर्णय लिया गया। सभी व्यापारी संगठनों ने सर्वसम्मति से रीवा बंद की घोषणा की। पूरा दिन पूरा व्यापार पूरी तरह से बंद रहा।

सड़कों से ठेले रहे नदारद
व्यापारियों के भारत बंद आह्वान के दौरान शहर में बड़ी दुकानों के अलावा छोटी दुकानें भी पूरी तरह से बंद पाई गर्इं। इतना ही नहीं सड़कों में लगने वाले ठेले फुटपाथिये भी शनिवार को भारत बंद के दौरान अपनी दुकानों को पूरी तरह से बंद रखा। पूरे दिन शहर की सड़कें पूरी तरह से  सूनसान दिखीं। ऐसा यह पहला वाकया है जब व्यापारियों के आह्वान के बाद रीवा शत-प्रतिशत बंद देखा गया है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि बढ़ती हुई महंगाई से आमजन कितने त्रस्त हैं।

राजनैतिक पार्टियों द्वारा कई बार बंद का ऐलान किया गया है फिर भी रीवा आंशिक रूप से बंद देखा गया है। शनिवार को बड़ी दुकानों के अलावा छोटी दुकानों एवं ठेलों के बंद होने के बाद यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासन के प्रति व्यापारियों का गुस्सा चरम की स्थिति में है। छोटी दुकानें बंद होने से आम लोगों को चाय एवं गुटखा तक नहीं मिल पाया है। सुबह से लेकर शाम तक शहर की हलचल पूरी तरह से बंद रही।

टैक्स संगठन ने नहीं की लॉगिन
जीएसटी के प्रावधानों से खफा जहां व्यापारिक संगठनों ने बंद में हिस्सेदारी की, वहीं दूसरी तरफ टैक्स एडवोकेट्स एंड कंसल्टेंट्स एसोसिएशन सहित व्यापारी संघों द्वारा किये गए भारत बंद का पूर्ण समर्थन करते हुए अपने कार्यालय बंद रखे। बताया जा रहा है कि इस दौरान संगठन द्वारा पोर्टल में लॉगिन नहीं किया गया। इतना ही नहीं वाणिज्यिक कार्यालय के सामने एकत्र होकर विरोध व्यक्त किया गया। इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष सूर्यकांत मिश्रा, सचिव विवेक वर्मा, वरिष्ठ सलाहकार जीतेन्द्र मिश्रा,  लवलेश त्रिपाठी, अंकुर रिमारी, अभय सक्सेना, एसके झा, सत्येंद्र परमार सहित काफी संख्या में टैक्स सलाहकार व अधिवक्ता मौजूद रहे।

निकाली रैली, किया विरोध
कैट के राष्ट्रीय आह्वान पर आयोजित बंद के दौरान शहर में जहां व्यापारियों द्वारा स्वेच्छा से प्रतिष्ठान को बंद रखा गया था। वहीं व्यापार बंद के समर्थन में विभिन्न संगठनों के अलावा जिला अधिवक्ता संघ तथा संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा नगर में न केवल रैली निकाली गई बल्कि बंद को लेकर आवाज भी बुलंद की गई।

चालक-परिचालक व बस मालिक भी रहे हड़ताल पर
मोटरयान चालक-परिचालक संघ के द्वारा तीन सूत्रीय मांगों को लेकर पूर्व घोषित चकाजाम पूरी तरह सफल रहा। संघ के संरक्षक रामरुचि शुक्ला ने बताया कि सीधी बस हादसा सड़कों की जर्जर हालत तथा घाटी में गहरे और चौड़े गड्ढों के कारण हुआ है। धरना दिनांक से पांच दिन पहले हुए इस हादसे का जिम्मेदार एमपीआरडीसी के महाप्रबंधक को माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा प्रशासनिक लापरवाही भी पूरी जिम्मेदार है।

व्यापारियों द्वारा किए गए भारत बंद में चालक-परिचालक तथा बस मालिकों ने भी अपना समर्थन देकर बंद को पूरी तरह से सफल बनाया है। संघ ने मांग की है कि नवीन बस स्टैण्ड में भी पुराने बस स्टैण्ड की तरह सस्ते भोजन के लिए दीनदयाल थाली की कैंटीन खोली जाए। उनके द्वारा शासन, प्रशासन से मांगी गई तीन सूत्रीय मांग का निराकरण नहीं हुआ तो संघ अनिश्चितकालीन हड़ताल करेगा।