श्यामनगर में बाघ की दहशत चार भैंसों का किया शिकार

सतना | क्या जनपद पंचायत उचेहरा की ग्राम पंचायत श्यामनगर के इर्द-गिर्द बाघ ने डेरा डाल रखा है? सवाल इसलिए क्योंकि श्यामनगर में इन दिनों भैंसों का शिकार हो रहा है। अब तक तीन भैंसों के कटे फटे शरीर मिलने के बाद भैंस पालकों में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत के निकट स्थित अमगर के जंगल में बाघ है जो भोजन की तलाश में आबादी में घुस रहा है। इतना ही नहीं बल्कि चारे की तलाश में जंगल के किनारे चरने वाले मवेशियों को भी शिकार बना रहा है। ग्रामीणों की मानें तो वन विभाग को सूचना देने के बाद भी अमला बाघ की मौजूदगी को नजरंदाज कर रहा है, जिससे बाघ के हमले का खतरा बढ़ रहा है। 

चार का किया शिकार 
ग्रामीणों की मानें तो श्यामनगर में चार भैंसों का बाघ ने अब तक शिकार किया है।   भैंस पालक रामभुवन कुशवाहा के मुताबिक रोज की तरह भैंस चरने जंगल गई हुई थी लेकिन 2 दिन बाद भी एक भैंस का पता नहीं चला। राम भुवन कुशवाहा ने बताया कि एक भैंस को काफी ढूंढने के बाद भी उसका पता नहीं चला। एक भैंस मृत अवस्था में जंगल में मिली जिसको बाघ द्वारा खाए जाने के निशान मिले। इसी प्रकार एक भैंस घायल अवस्था में आई जिसकी मौत हो गई, जबकि  एक गंभीर रूप से घायल है। ग्रामीणों के मुताबिक अब तक चार भैंसों का शिकार हुआ है जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है जबकि एक भैंस घयल अवस्था में जीवन-मौत के बीच संघर्षरत है। 

ग्रामीणों का बाघिन के साथ शावक होने का दावा 
ग्रामीणों ने दावा किया है कि ग्राम पंचायत से सटे जंगल में बाघिन है जिसके साथ दो शावक भी देखे गए हैं। बाघिन और शावकों को श्यामनगर बांध के इर्द-गिर्द भी देखने का दावा ग्रामीण ददुला प्रसाद कुशवाहा, अमरनाथ कुशवाहा,  स्वामी दीन कुशवाहा, रामभुवन कुशवाहा समेत अन्य ग्रामीणों द्वारा किया गया है, जिसकी जानकारी वन अधिकारियों को भी दी गई है, लेकिन वन विभाग बेफिक्र बना हुआ है। विभागीय अधिकारियों को सूचना देने के बाद दो भैंसों का शिकार हो चुका है लेकिन विभागीय अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। श्याम नगर के पूर्व सरपंच मईया दीन कुशवाहा ने बताया कि क्षेत्र में बाघ की  है, लोग शाम ढलते ही घरों में दुबक जाते हैं। 

कई बाघ मरे पर विभाग को फिक्र नहीं, चौकी में ताला 
जिले में बाघों के लिए अनुकूल रहवास है जिसंके चलते लगातार बाघों का कुूनबा बढ़ रहा है। मझगवां व उचेहरा वन परिक्षेत्र में बाघों की मौजूदगी के कई प्रमाण मिलते रहे हैं, लेकिन बाघों के लिए अनुकूल होने के बावजूद यह क्षेत्र उनके लिए कब्रगाह बनता रहा है। बीते एक साल के भीतर तीन बाघों व चार तेंदुओं की मौत तो कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है। अमूनन हर बाघ को देखे जाने के बाद ग्रामीण विभागीय अधिकारियों को सूचना देते हैं, लेकिन वन अमला केवल उनके मृत शरीर समेटने ही पहुंचता है। वन विभाग वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए कितना संजीदा है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि लगातार बाघ देखे जाने की सूचना के बाद भी कोई मौके पर नहीं पहुंचा है। यहां तक कि श्यामनगर की वन चौकी में अनवरत लटकता ताला ग्रामीणों का मुंह चिढ़ा रहा है।