17 वर्षों से चिकित्सकों को नहीं मिला इमरजेंसी भत्ता

रीवा | इमरजेंसी के वक्त मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने वाले चिकित्सकों को वर्षों से अतिरिक्त भत्ता नहीं मिला है। संजय गांधी अस्तपताल में यह स्थिति करीब 17 वर्ष से निर्मित है। बजट के अभाव में चिकित्सकों का लाखों रुपये शासन के खाते में अटक कर रह गया है। हैरानी की बात यह है कि शासन के द्वारा बनाए गए नियम के बाद इमरजेंसी ड्यूटी करने वाले चिकित्सक इस भत्ते को पाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर शासन स्तर तक पत्राचार कर चुके हैं, लेकिन हर जगह उन्हें निराशा ही हाथ लगी।

जानकारी के अनुसार करीब 17 वर्ष पूर्व यानी 2002 में स्वास्थ्य विभाग ने एक नियम बनाया था। जिसके आधार पर नाइट में इमरजेंसी ड्यूटी करने वाले चिकित्सकों को अलग से भुगतान यानी उनको मेहनताना दिया जाएगा। इसी प्रकार छुट्टी के दिन भी सेवा देने वाले चिकित्सकों को भी मानदेय दिया जाना था। लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी संजय गांधी अस्पताल के चिकित्सक अपना मेहनताना पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जहां कहीं भी गुहार लगाई जाती है वहां से सिर्फ एक जबाव मिलता है कि बजट नहीं है। लिहाजा इमरजेंसी सेवा देने में चिकित्सकों का मोह भंग होता जा रहा है।

500 रुपए मिलता है अतिरिक्त
शासन के नियमानुसार इमरजेंसी के वक्त सेवा देने वाले चिकित्सकों को अलग से मेहनताना दिया जाता है। बताया गया है कि रात के वक्त यदि कोई चिकित्सक अस्पताल एवं स्वास्थ्य केंद्र में ड्यूटी कर रहा है तो उसे 500 रुपये एवं छुट्टी के समय दिन में ड्यूटी करने वाले चिकित्सकों को 150 रुपये प्रति दिन के हिसाब से दिया जाता है। 

डीएचएस से आता है बजट
जानकारी के अनुसार इमरजेंसी में सेवा देने वाले चिकित्सकों का अतिरिक्त भत्ता डीएचएस (जिला स्वास्थ्य समिति) के मद से दिया जाता है। लेकिन संजय गांधी अस्पताल में अब तक इस मद से अतिरिक्त भत्ता देने के लिए बजट ही नहीं दिया गया। लिहाजा यहां सेवा देने वाले चिकित्सक अपने मेहनताना के इंतजार में इधर-उधर भटक रहे हैं।

इमरजेंसी में सेवा देने वाले चिकित्सकों को अलग से मेहनताना दिया जाता है। लेकिन एसजीएमएच के ऐसे किसी भी चिकित्सक को अब तक यह भत्ता नहीं दिया गया। इसके लिए अब तक डीएचएस से बजट ही नहीं दिया गया।
डॉ. अतुल सिंह, उप अधीक्षक एसजीएमएच