सिंहपुर गोलीकांड: गैर इरादतन हत्या के आरोपी थानेदार और सिपाही का सरेंडर

सतना | सिंहपुर थाना के मालखाना में सर्विस पिस्टल से चली गोली से संदेही की मौत के मामले में पांच माह से फरार चल रहे गैर इरादतन हत्या के आरोपी थानेदार और सिपाही ने शुक्रवार की दोपहर रामपुर बाघेलान थाना में सरेंडर कर दिया। आरोपी थानेदार और सिपाही को एसआईटी ने गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी पर आईजी रीवा जोन के द्वारा 30-30 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। न्यायालय ने आरोपी थानेदार और सिपाही को शनिवार की पुलिस रिमांड पर पुलिस के सुपुर्द कर दिया है। 

दोपहर 11 बजे पहुंचे रामपुर बाघेलान थाना 
पांच माह से फरार चल रहे 30-30 हजार के इनामी निलंबित थानेदार विक्रम पाठक और सिपाही आशीष के शुक्रवार की दोपहर 11 बजे के करीब रामपुर बाघेलान थाना पहुंचकर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। फरार पुलिस कर्मियों के द्वारा सरेंडर किए जाने की जानकारी से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया गया। इधर जानकारी लगते ही सिंहपुर गोलीकांड की जांच के लिए आईजी के द्वारा गठित एसआईटी के इंचार्ज एसडीओपी सिरमौर बीएस परस्ते रामपुर बाघेलान थाना पहुंचे। एसआईटी इंचार्ज के द्वारा आरोपी थानेदार और सिपाही से पूछताछ की गई। 

भगोड़ा घोषित कर की गई थी सम्पत्ति कुर्क 
नागौद न्यायालय से गैर इरादतन हत्या के आरोपी सिंहपुर के तत्कालीन थानेदार विक्रम पाठक और सिपाही आशीष सिंह के विरुद्ध उद्घोषणा जारी कर न्यायालय में हाजिर होने की तिथि मुकर्रर की थी। निश्चित तिथि पर हाजिर न होने पर न्यायालय ने आरोपी थानेदार और सिपाही को भगोड़ा घोषित कर दिया था। तत्पश्चात तहत अचल सम्पत्ति कुर्क करने की कार्रवाई शुरू की गई। न्यायालय से अनुमति मिलने पर एसआईटी के द्वारा आरोपी सिपाही आशीष का मैहर तहसील के नौगांव हल्का स्थित मोहनिया गांव में आराजी क्र. 70/1/1/क/1 व आराजी क्र. 70/1/2 पर बने ढावा को कुर्क करने के साथ ही बैंक खाता में जमा 4 हजार रुपए के आहरण पर रोक लगा दी गई थी। आरोपी थानेदार विक्रम की अचल सम्पत्ति की जानकारी प्राप्त नही हो पाई थी। विक्रम के खाते में जमा 80 हजार रुपए की राशि को कुर्क कर आहरण पर रोक लगा दी गई थी। 

पैरवी के लिए साथ आए सुप्रीम कोर्ट के वकील 
गैर इरादतन हत्या के मामले में नागौद न्यायलय के बाद उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बावजूद पांच माह से सिपाही के साथ फरार चल रहे थानेदार के द्वारा सरेंडर करने के पहले अपने अधिवक्ताओं से सलाह ली गई, नागौद न्यायलय में आरोपी थानेदार और सिपाही की पैरवी दिल्ली से आए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता के द्वारा की गई। 

सर्विस पिस्टल से चली थी गोली, गई थी संदेही की जान 
27 सितम्बर 2020 को चोरी के प्रकरण में संदेह के आधार पर नारायणपुर निवासी राजपति कुशवाहा को पूछताछ के लिए सिंहपुर थाना लाया गया। थाना के मालखाना में राजपति से तत्कालीन थानेदार विक्रम पाठक ओैर सिपाही आशीष सिंह के द्वारा पूछताछ की जा रही थी। इस दौरान थानेदार विक्रम की सर्विस पिस्टल से गोली चली, गोली राजपति के माथे में लगी। घायल राजपति को पुलिस के द्वारा बिरला अस्पताल के बाद रीवा ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई।

इस मामले में सिंहपुर थाना के सामने दो दिन तक बवाल चला। घटना के बाद विक्रम और आशीष को निलंबित कर दिया गया। जांच के उपरांत दोनों के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया। मुकदमा कायम होते ही विक्रम और आशीष फरार हो गए। दोनों की तलाश के लिए पुलिस अधीक्षक के द्वारा इनाम घोषित कर विशेष टीम बनाई गई। पुलिस की टीम एमपी- यूपी और बिहार के कई जिलों में आरोपी थानेदार और सिपाही की तलाश में भेजी गई थी। इस मामले में बवाल के उपरांत तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल का तबादला भोपाल कर दिया गया था। 

नागौद थाना में व्हीआईपी ट्रीटमेंट, टीआई के छुए पैर 
30-30 हजार के इनामी गैर इरादतन हत्या का आरोपी थानेदार और सिपाही के प्रति पुलिस विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा सहानुभूति जताई जा रही है। न्यायालय से एक दिन की रिमांड पर पुलिस के सुपुर्द किए जाने पर आरोपी थानेदार और सिपाही को नागौद थाना ले जाया गया। नागौद थाना में आरोपी थानेदार विक्रम पाठक और आशीष को व्हीआईपी ट्रीटमेंट दिए जाने की  खबरें सामने आई हैं।

सूत्रों की मानें तो गैर इरादतन हत्या का आरोपी होने के बावजूद दोनों को हथकड़ी नहीं लगाई गई है उनके खाने- पीने का बेहतर इंतजाम थाना में किया गया है, सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में आरोपी पुलिस कर्मी नागौद टीआई आरपी सिंह का पैर छूकर आशीर्वाद लेते हुए दिखाई दे रहा है। सूत्रों का कहना है कि टीआई का पैर छूने वाला शख्स आरोपी सिपाही आशीष सिंह है। सिपाही आशीष पर लूट का मुकदमा भी न्यायालय के निर्देश पर कायम किया गया था। 

न्यायिक जांच और एसआईटी में पाए गए थे दोषी 
थाना के मालखाना के अंदर सर्विस पिस्टल से चली गोली से संदेही की मौत की घटना की न्यायिक जांच हुई। न्यायिक जांच में तत्कालीन थानेदार विक्रम पाठक और सिपाही आशीष सिंह गैर इरादतन हत्या के दोषी पाए गए। घटना की जांच के लिए रीवा जोन के आईजी उमेश जोगा के द्वारा एसडीओपी सिरमौर बीएस परस्ते की अगुवाई में पांच सदस्यीय एसआईटी गठित की गई। एसआईटी की जांच में थानेदार और सिपाही दोषी पाए गए थे। इतना ही नहीं जांच के दौरान आरोपी थानेदार और सिपाही सम्मन मिलने के बावजूद एसआईटी और न्यायिक जांच कर रहे मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। 

थाना वाहन से ले जाया गया नागौद न्यायालय 
आरोपी थानेदार विक्रम पाठक और सिपाही आशीष सिंह की गिरफ्तारी शुमार कर दोनों को मेडिकल के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रामपुर बाघेलान ले जाया गया। मेडिकल के उपरांत आरोपी थानेदार और सिपाही को थाना वाहन में बैठाकर एसआईटी इंचार्ज श्री परस्ते की अगुवाई में एसआई शिवनंदन पुशाम, प्रधान आरक्षक सुरेन्द्र कुमार, आरक्षक रविन्द्र दोहरे के द्वारा नागौद ले जाया गया। आरोपी थानेदार और सिपाही को नागौद में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अदालत में पेश किया गया। 

एक दिन की मिली रिमांड 
गैर इरादतन हत्या के आरोपी विक्रम पाठक और सिपाही आशीष सिंह को नागौद के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी रुपेश कुमार साहू की अदालत में पेश किया गया। अदालत के समक्ष एसआईटी ने रिमांड के लिए आवेदन लगाया, दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं का तर्क सुनने के उपरांत अदालत ने आरोपी थानेदार और सिपाही को शनिवार तक की रिमांड पर एसआईटी के सुपुर्द कर दिया गया है। आरोपी थानेदार और सिपाही को नागौद थाना में रखकर पूछताछ की जा रही है।