सतना-नागौद सड़क मार्ग: सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ तो काटे पर लगाए एक भी नहीं
सतना | सड़के निश्चित तौर पर किसी भी क्षेत्र के विकास का द्योतक होती हैं लेकिन पर्यावरण संरक्षण के वैकल्पिक उपायों को ताक पर रखकर किया गया विकास किसी विनाश से कम नहीं होता है। सड़कों के मामले में सरकारी रवैया कुछ ऐसा ही है। सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदारों के आगे प्रशासन इस कदर बेबस बना हुआ है कि सड़क निर्माण के दौरान पर्यावरण को लेकर बनाई गई गाइडलाइन का पालन तक नहीं करा पा रहा है। इसका नमूना सतना-नागौद सड़क मार्ग में देखा जा सकता है जहां सड़क चौड़ीकरण के लिए हरे-भरे दरख्तों को बेरहमी से काट दिया गया। हालांकि इसकी प्रशासन ने अनुमति दी थी लेकिन अनुमति के साथ ही प्रशासन ने जो प्रावधान बनाया है वह बताता है कि प्रशासन हरे पेड़ों को लेकर कितना संजीदा है।
क्या है मामला
गौरतलब है नेशनल हाइवे क्र.-39 (पुराना नाम एनएच-75) के सतना-नागौद सड़क मार्ग स्थित ग्राम पंचायत बाबूपुर के ग्राम देवरा व सरिसताल में वर्षों पुराने हरे-भरे पेड़ों को जुलाई माह में बेदर्दीपूर्वक काट डाला गया था। श्रीजी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड प्राइवेट कंपनी द्वारा वर्र्षों से राहगीरों को छाया और फल दे रहे देवरा की आराजी नं.158 के 20 पेड़ व सरिसताल में 10 पेड़ काटे गए थे। इलेक्ट्रिक आरी जब इन दरख्तों पर चली तो वर्र्षों से राहगीरों को छाया और फल दे रहे बड़े-बड़े दरख्त जमीन पर आ गए।
दरअसल राष्टÑीय राजमार्ग 75 के दोनो तरफ ग्राम देवरा व सरिसताल के अंतर्गत विभिन्न प्रजातियों के कुल 31 वृक्ष स्थित थे। इन वृक्षों में 3 नीम, 12 कहुआ, 1 गुलमोहर, 4 बरगद,3 शीशम, 4 आम, 3 जामुन व 1 वृक्ष बबूल का था । राष्ट्रीय राजमार्ग 75 के सुदृढ़ीकरण एवं उन्नयन के नाम पर सालों पुराने वृक्षों को को श्रीजी इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा काट तो दिया गया है लेकिन नियम के मुताबिक काटे पेड़ों के बदले में 10 गुना पेड़ 8 माह बीत जाने के बाद भी अब तक नहीं लगाए गए हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या श्रीजी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी अनुबंध के अनुसार 10 गुना पेड़ लगाकर उनकी 5 साल तक देखभाल करेगी अथवा इस मामले में वह भी पूर्ववर्ती निर्माण कंपनियों की तरह नियमों को ठेंगा दिखाकर आगे बढ़ जाएगी?
सवाल इसलिए क्योंकि इसके पूर्व पेड़ों को लगाने के मामले में सड़क ठेकेदारों की नीयत साफ नहीं रही है। सड़क निर्माण के लिए इसके पूर्व भी सतना जिला समेत समूचे संभाग में हजारों पेड़ काटे जा चुके हैं, लेकिन लगाए 10 फीसदी भी नहीं गए हैं। हर मर्तबा प्रशासन से निर्माण ठेकेदार अनुबंध करते हैं और निर्माण पूरा होने के बाद पेड़ लगाने के अनुबंध को धता बताकर चले जाते हैं। उदाहरण के लिए विंध्य से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों में बनाई जा रही फोरलेन सड़क के किनारे सौ से दो सौ वर्ष पुराने फलदार विभिन्न प्रजाति के पेड़ एवं इमारती वृक्ष लगे हुए थे और उसे सड़क निर्माण कार्य करने वाले कंपनियों के द्वारा कटाई करके पूरे मार्ग को पेड़ विहीन कर दिया गया था, लेकिन बदले में एक भी पेड़ कंपनी के द्वारा नहीं लगाए गए।
इसी तरह वर्ष 2012-13 में रीवा से हनुमना के बीच 3 हजार 582 पेड़ तथा मनगवां से चाकघाट के बीच 2 हजार पेड़ काटे गए हैं। पेड़ तो काटे गए, लेकिन उसके बदले में उक्त कंपनी के द्वारा नए पेड़ नहीं लगाए गए हैं। सड़क निर्माण कार्य का ठेका होने के दौरान पेड़ कटाई के एवज में 60 हजार नए पौधे सड़क के दोनों किनारों पर लगाया जाना था और 5 वर्षो तक उक्त पेड़ों की देखभाल करने सहित ट्रीगार्ड व तार फेनसिंग करके उक्त पेड़ों को सुरक्षित करने का अनुबंध तय किया गया था।
बावजूद इसके सड़क निर्माण कंपनी ने अनुबंध के तहत काम पूरा नहीं किया और सड़कें पौधे विहीन है। बाद में जांच में गर्दन फंसती देख आनन फानन नर्सरी से लाकर पेड़ लगाए गए लेकिन देखरेख के अभाव मे 90 फीसदी पेड़ सूख गए । सवाल यह है कि क्या थी्रजी इफ्रास्ट्रक्चर कंपनी काटे गए दरख्तों के एवज में अनुबंधानुसार पौधे रोपकर उनके पेड़ बनने तक देखभाल करेगी अथवा अपना भुगतान लेकर सतना के पर्यावरण से खिलवाड़ करेगी?
सड़क में धूल का गुबार
हाइवे के किनारे तकरीबन 8 माह पूर्व सड़क बनाने के नाम पर पेड़ तो काट दिए गए लेकिन सड़क का चौड़ीकरण अब तक नहीं किया गया नतीजतन सड़क किनारे जहां पेड़ काटे गए हैं, वहां मिट्टी का मलबा धूल का गुबार पैदा करता है जिससे हादसे की संभावना बनी रहती है। गनीमत है कि बारिश नहीं हुई अन्यथा मिट्टी का मलबा सड़क पर फैलकर आए दिन हादसों का कारण बनता है। यहीं से बायपास के लिए भी सड़क मुड़ती है जहां मिट्टी का ढेर मुसीबत का सबब बना हुआ है।