श्रम कार्यालय में दर्ज नहीं पलायन करने वाले मजदूरों की जानकारी

रीवा | काम की तलाश में जिले के हजारों श्रमिक दूसरे प्रांतों और जिलों में पलायन कर रहे हैं। हर महीने दूसरे राज्यों को पलायन करने वाले इन युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिल रहे हैं। विडम्बना की बात यह है कि कितनी संख्या में श्रमिक जिले भर से दूसरे प्रांतों में पलायन कर गए हैं इसका कोई रिकार्ड ही नहीं है। जबकि दूसरे महानगरों में प्रति वर्ष हजारों श्रमिक रोजगार की तलाश में अन्यत्र स्थान जा रहे हैं। मगर इसकी सही-सही जानकारी किसी को भी नहीं है। 

जानकारों की मानें तो श्रम अधिनियम के तहत जिले से बाहर दूसरे राज्यों में जाने वाले मजदूरों का लेखा-जोखा जिले के श्रम कार्यालय में दर्ज होना आवश्यक है। नियमानुसार रोजी-रोटी की तलाश में राज्य से बाहर जाने वाले श्रमिकों की संख्या और उनकी डिटेल जिला श्रम कार्यालय में होना जरूरी होता है।

आपदा में काम आती है जानकारी
दूसरे राज्यों में जाने वाले श्रमिकों के साथ अगर किसी भी तरह की आपदा या दुर्घटना होती है तो उनके द्वारा विभाग में दी गई जानकारी उस वक्त काम आती है। मगर विभाग के पास पलायन करने वालों का कोई रिकार्ड नहीं है। अगर ऐसी घटनाएं घटित होती हैं तो किस मजदूर के साथ किसी प्रकार की समस्या हुई है इसका पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है और उसकी मदद कर पाना भी विभाग के लिए असंभव हो जाता है। देखा जाए तो जिले से हजारों की तादात में अन्य प्रदेशों की ओर किसान पलायन कर रहे हैं। उनका पता लगा पाना भी असंभव नहीं है। मालूम हो कि किसी प्रदेश में बड़ी दुर्घटना होने के समय जिला एजेंसी द्वारा उनके रिकार्ड में मौजूद पंजी के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि जिले के कितने मजदूर उक्त स्थान पर कार्यरत थे। जिसके जरिए संबंधित श्रमिक का क्लेम किया जा सकता है।