कृषि अभियांत्रिकी विभाग: ऑडीटोरियम नहीं, किसान हॉस्टल बनाए सरकार
सतना | जिला मुख्यालय स्थित कृषि अभियांत्रिकी विभाग के संभागीय कार्यालय परिसर की बेशकीमती जमीन हड़पने के चल रहे प्रयासों के विरोध मे जिले के किसान अब लामबंद होने लगे हैं। किसानों का कहना है कि सात जिलों के किसानों को खेती में यंत्रीकरण के मामले में लाभ पहुंचाने वाले इस कार्यालय परिसर की भूमि किसी अन्य प्रयोजन के लिये अधिगृहीत करना किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं हैं। सही तो यह है कि शहर के मध्य आॅडीटोरियम बनाने का कोई औचित्य ही नहीं है। किसानों का आरोप है कि सरकार व प्रशासनिक अधिकारी भू माफिया के दबाव में काम करते हुए इस जमीन को खुर्द-बुर्द करने का मंसूबा पाले हुए हैं जिसे पूरा नहीं होने दिया जाएगा। सरकार यदि कुछ करना ही चाहती है तो वहां जिले के अन्य क्षेत्रों के साथ ही बाहर से आने वाले किसानों के लिये विश्राम ग्रह बनवा दे।
किसानों के हितों की अनदेखी मंजूर नहीं
जिले के प्रगतिशील किसान प्रणवीर सिंह बघेल ‘हीरा जी’ का कहना है कि जिला प्रशासन व अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा किसानों के हितो की लगातार उपेक्षा की जा रही है। सरकारी योजनाएं जो हैं वो तो हैं पर अन्य कोई ऐसे काम नहीं हो रहे जो भविष्य में किसानों के लिये लाभकारी हों। सतना में जिन जनप्रतिनिधियों ने कृषि अभियांत्रिकी विभाग की कर्मशाला खोली होगी कुछ सोच कर ही की होगी। यहां से रीवा और शहडोल संभाग के किसानों को न केवल खेती में काम आने वाले कृषि यंत्र किराये पर शुलभ हैं बल्कि विभाग विभिन्न योजनाओं के जरिये किसानों को नई तकनीक के यंत्र अनुदान पर उपलब्ध करा रहा है। इस कर्मशाला को छोटा करने में किसानों का कुछ भला नहीं होगा। यदि जनप्रतिनिधि किसानों के लिये कुछ करना ही चाहते हैं तो ऐसा विजन सामने लाएं जिसके लाभ दूरगामी हों। सबसे अच्छा तो यही रहेगा कि इस परिसर में किसानों के लिये विश्राम गृह अथवा प्रशिक्षण के लिये कोई भवन का निर्माण करा दिया जाए।
किसानों के लिये अभी कोई व्यवस्था नहीं
प्रगतिशील किसान अजय सिंह परिहार सेमरी भटनवारा का कहना है कि जिला मुख्यालय में कृषि से संबंधित कई कार्यालय तो हैं पर ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां किसानों के लिये आयोजित होने वाले प्रशिक्षण अथवा बैठकों का आयोजन हो सके। जब कभी आयोजन होते हैं तो या तो उसके लिये चेम्बर का सभागार लिया जाता है अथवा अन्य कोई स्थान। वैसे तो इस परिसर को यथावत रहने दें और यंत्रीकरण की दिशा में कर्मशाला को और आधुनिक बनायें। यदि ऐसा नहीं हो सकता तो इस परिसर में विश्राम गृह अथवा प्रशिक्षण के लिये एक बड़ा भवन ही बनवा दिया जाए तो किसानों का कुछ भला हो सकेगा।