दो कमरों में लगती हैं कक्षाएं, विभाग से मिल जाती है एनओसी

रीवा | मध्यप्रदेश शासन ने प्राइवेट युनिवर्सिटी और कॉलेज के लिए जमीन और भवन से संबंधित कई नियम बनाए हैं। मगर संभाग में कुछ प्राइवेट कॉलेजों को छोड़ दें तो बाकी सभी शासन द्वारा निर्धारित मापदण्ड की धज्जियां उड़ा रहे हैं। बता दें कि मप्र शासन ने निजी विश्वविद्यालयों के लिए न्यूनतम 25 एकड़ और प्राइवेट कॉलेज के लिए कम से कम 5 एकड़ जमीन अनिवार्य की है। बावजूद इसके रीवा-शहडोल संभाग के अंदर एक से दो कमरों में सैकड़ों निजी कॉलेजों का संचालन वर्षों से हो रहा है।

ताज्जुब की बात तो यह है कि सालों से दो कमरों के सहारे चल रहे निजी महाविद्यालयों परउच्च शिक्षा विभाग के किसी भी अधिकारी की नजर नहीं पड़ी। जबकि वह निरंतर उच्च शिक्षा विभाग के नियम कानून की अवहेलना करते आ रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब शासन ने निजी कॉलेजों के संचालन के लिए पहले ही 5 एकड़ भूमि का होना अनिवार्य किया है, तो शिक्षा विभाग से कॉलेज संचालन के लिए उन्हें एनओसी कैसे मिल गई। जाहिर है कि एनओसी की प्रक्रिया शासन स्तर से की जाती है। ऐसे में यह साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारी निजी महाविद्यालयों के संचालकों से साठगाठ करके बिना भौतिक सत्यापन किए कॉलेज की एनओसी क्लियर कर देते हैं।

नियम का क्या औचित्य
संभाग में निजी महाविद्यालयों की संख्या प्रति वर्ष बढ़ती जा रही है। जो शासन द्वारा बनाए गए नियमों का पालन कतई नहीं करते हैं। वहीं अधिकारी भी बिना भौतिक सत्यापन किए कॉलेज खोलने की स्वीकृति दे देते हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब दो कमरों में निजी कॉलेज संचालित होते हैं तो शासन द्वारा पांच एकड़ के बनाए नियम का क्या औचित्य है।

दस्तावेजों में खेल के मैदान
शासन द्वारा निजी महाविद्यालयों को पांच एकड़ जमीन के साथ-साथ प्रत्येक कॉलेज में खेल के मैदान होने का भी नियम बनाया है। बकायदा अधिकारी कागजों में हर वर्ष निरीक्षण की कागजी कार्रवाई भी करते हैं। बता दें कि रीवा संभाग में कई ऐसे कॉलेज हैं जहां खेल के मैदान तो दूर वह स्वयं किराए के भवन के सहारे संचालित हैं।