MP News: रीवा में आदिम जाति कल्याण विभाग में विद्युतीकरण के नाम पर बड़ा घोटाला उजागर
रीवा जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग में भारी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। छात्रावासों के विद्युतीकरण और छात्रवृत्ति वितरण में बिना नियमों के लाखों रुपये का भुगतान किया गया। जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर दो कर्मचारियों को निलंबित और तत्कालीन जिला संयोजक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है। कई छात्रावासों में बिना काम के भुगतान और दस्तावेजों की कमी भी उजागर हुई है।

REWA. जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग में भारी वित्तीय अनियमितताओं का मामला सामने आया है, जिसने विभागीय कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्रावासों के विद्युतीकरण के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया और टेंडर के कर दिया गया। वहीं छात्रवृत्ति वितरण में भी नियमों को दरकिनार कर मनमाने ढंग से भुगतान किए गए। इस पूरे मामले में जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है, जबकि तत्कालीन जिला संयोजक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए संभागायुक्त को प्रतिवेदन भेजा गया है। मामले की शिकायत कमल सिंह बघेल ने भोपाल में उच्च अधिकारियों से शिकायत की। भोपाल से शिकायत के संकेत मिलते ही रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने मामले की जांच के निर्देश दिए थे। कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच के लिए सहायक कलेक्टर प्रपंज आर (आईएएस) अपर कलेक्टर को दी थी, उनकी दी गई गई विस्तृत जांच में गंभीर वित्तीय गड़बड़ियां उजागर हुईं। जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया कि वर्ष 2023 में छात्रावासों के विद्युतीकरण कार्य के लिए बिना किसी निविदा प्रक्रिया के निजी फर्मों को कार्यादेश जारी कर दिया गया। 14 मार्च 2023 को एक ही दिन में 68.34 लाख रुपये का भुगतान अधीक्षकों के खातों में ई-भुगतान के माध्यम से किया गया। यह कार्य न तो विभागीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप था और न ही इसमें आरईएस (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) की स्वीकृति ली गई, जबकि कलेक्टर ने स्पष्ट रूप से टेंडर प्रक्रिया अपनाने का निर्देश दिया था। बता दें रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने जांच रिपोर्ट के आधार पर सहायक ग्रेड-3 विकास तिवारी और शिवप्रसाद पटेल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। जिसके बाद अब तत्कालीन जिला संयोजक पी.के. पांडेय (संयुक्त कलेक्टर) की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई हेतु संभागायुक्त को प्रतिवेदन भेजा गया है।
जबरन चेक दिलवाकर कराया भुगतान
छात्रावासों के अधीक्षकों में गुढ़, चरैया, बालक पिपराही, खुटहा और हर्रई प्रताप सिंह ने अपने बयान में बताया कि सहायक ग्रेड-3 विकास तिवारी ने उन्हें कार्यालय बुलाकर तत्कालीन जिला संयोजक के नाम पर दबाव बनाकर चेक जारी करवाया। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया कि जिन छात्रावासों में बिजली फिटिंग और पंखों की आपूर्ति दिखाकर भुगतान किया गया, वहां वास्तव में कोई कार्य नहीं किया गया था। जड़कुड़ और बिछरहटा छात्रावासों के मामले में तो भुगतान से संबंधित कोई अभिलेख तक उपलब्ध नहीं मिले। साथ ही 14 छात्रावासों के खातों में जीएसटी की राशि अब तक जमा है, जिसे शासन के खाते में होना चाहिए था।
छात्रवृत्ति वितरण में भी मिली गंभीर गड़बड़ी
जांच का दूसरा हिस्सा छात्रवृत्ति वितरण से जुड़ा था। इसमें यह खुलासा हुआ कि बिना सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के 46.64 लाख रुपये की राशि ऑफलाइन भुगतान कर दी गई। इस राशि का आहरण बिना नोटशीट और विधिवत अनुमोदन आदेश के किया गया, जो वित्तीय नियमों का सीधा उल्लंघन है। इस मामले में छात्रवृत्ति शाखा के प्रभारी शिवप्रसाद पटेल को निलंबित किया गया है।