कृषि यंत्रों और शराब-सिगरेट में फर्क समझिए सरकार, तभी आत्मनिर्भरता का सपना होगा साकार
सतना | कोविड संक्रमण के दौर में प्रदेश सरकार द्वारा बजट पेश किया गया, जिसमें कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों के लिए 2021-22 के बजट में 35 हजार 353 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। किसानों द्वारा उम्मीद की जा रही थी कि कोविडकाल के बजट में कृषि क्षेत्र और किसानों को सरकार भरपूर राहत देगी लेकिन बजट को लेकर किसान निराशा जता रहे हैं। सबसे बड़ी आशा यह थी कि सरकार कृषि आदान सामग्रियों के टैक्स में राहत देगी लेकिन यह भी ख्याली पुलाव ही साबित हुआ।
सरकार ने कृषि आदान सामग्रियों पर भी ठीक वैसा ही टैक्स वसूल रही है जिस प्रकार से शराब, सिगरेट व तंबाखू जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाने वाले पदार्थों पर वसूलती है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि जब बात टैक्स वसूली की हो तो सरकार की नजर में कृषि अदान सामग्रियों और मादक पदार्थों में कोई फर्क नहीं है। किसानों का मानना है कि हर साल चंद हजार रूपए की खैराती राशि बांटने के बजाय यदि सरकार कृषि अदान सामग्रियों व बिजली बिलों में किसानों को राहत दे तो आत्मनिर्भर किसान और आत्मनिर्भर भारत का सपना आकार ले सकेगा।
पहले नहीं लगता था टैक्स
किसानों के मुताबिक जीएसटी लागू होने के पूर्व सरकार कृषि अदान सामग्रियों पर टैक्स में काफी रियायत देती थी लेकिन 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद कृषि अदान सामग्री भी इसके दायरे में ले आई गर्इं। अब हालात यह है कि सरकार कृषि उपकरणों पर 30 से 40 फीसदी तक की सब्सिडी के दावे तो करती है लेकिन बैकडोर से टैक्स लग जाने के कारण किसान को राहत नहीं मिलती। ऐसे में किसानों को सब्सिडी का वह लाभ नहीं मिल पा रहा है जितने का दावा सरकार करती है।
निश्चित तौर पर किसान परेशान है। सरकार को चाहिए कि वह 2 -4 हजार की खैरात देने के बजाय कृषि अदान सामग्रियों का टैक्स हटाए ताकि किसानों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े। किसान यदि सस्ते दर पर आदान सामग्रियां खरीदेगा तभी किसानी लाभ का धंधा बन सकेगी।
पद्यश्री बाबूलाल दाहिया
किसान हितैषी का मुखौटा ओढ़कर सरकार किसानों के साथ लगातार छल कर रही है। कोविडकाल के बजट में कृषि अदान सामग्रियों पर टैक्स लेना किसानों की कमर तोड़ने वाला है। व्यापारी हो या आम आदमी हर वर्ग महंगाई से परेशान है। सरकार को कृषि से जुड़ी सामग्रियों पर टैक्स में छूट देना चाहिए।
रवींद्र सिंह सेठी, प्रदेश सचिव कांग्रेस
सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है। मादक पदार्थोँ की तर्ज पर कृषि यंत्रों पर टैक्स वसूलना सरकार की मंशा को प्रदर्शित करता है। सरकार की निगाहों में किसान और शराब कारोबारी के बीच कोई फर्क नहीं है। सरकार को चाहिए कि कृषि अदान सामग्रियों को कर रहित करे।
कृष्णेंद्र सिंह, प्रगतिशील किसान
किसानों द्वारा खरीदे जाने वाले कृषि उपकरणों, खाद, बीज व अन्य सामग्रियों पर भारी भरकम टैक्स लेना बताता है कि सरकार को किसानों की चिंता नहीं है। सरकार से कृषि अदान सामग्रियों पर लगने वाले टैक्स में रहात देने की मांग की जाएगी।
पुष्पराज सिंह, अध्यक्ष किसान कांग्रेस