लोक अभियोजक ने कहा शिवानी मुखर्जी को इजराय प्रकरण चलाने की अधिकारिता नहीं
सतना | लम्बे अर्से से विवादित चल रही करोड़ों की जल संसाधन विभाग की जमीन के मामले में हाईकोर्ट द्वारा बीते दिनों जारी की गई नोटिस जमीन बचाने की लड़ाई लड़ रहे जिला प्रशासन को अपना पक्ष मजबूत करने का एक अवसर दे सकती है बशर्ते जवाब में वे सभी तथ्य व साक्ष्य हाईकोर्ट के संज्ञान में लाएं जाएं जो शिवानी मुखर्जी को इजराय प्रकरण चलाने की अधिकारिता को चुनौती देते हैं। गौरतलब है कि बीते दिनों हाईकोर्ट ने सतना में न्यायालय के आदेश के बाद भी 2.82 एकड़ जमीन का कब्जा नहीं दिलाने पर सख्ती दिखाई है। जस्टिस नंदिता दुबे की एकल पीठ ने आदेश दिया है कि सतना कलेक्टर एक सप्ताह में स्पष्टीकरण पेश करें या फिर उन्हें कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा। मामले की अगली सुनवाई आगामी 10 मार्च को निर्धारित की गई है। कानून के जानकार हाईकोर्ट की इस नोटिस को जिला प्रशासन के लिए जमीन बचाने के एक बडेÞ मौके के तौर पर देख रहे हैं।
क्यों मान रहे अवसर
शिवानी मुखर्जी के मामले में हाईकोर्ट द्वारा जारी नोटिस को कानूनविद अवसर के तौर पर इसलिए देख रहे हैं क्योंकि इसके पूर्व विभाग की ओर से न्यायालय में ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए जो पूरे मामले को फर्जी एवं कूटरचित साबित करते हैं। लोक अभियोजक एड. रमेश मिश्रा के अनुसार वादी एसडी मुखर्जी की मृत्यु के पश्चात फर्जी वारसाना - नामान्तरण के प्रकाश में आने व शिवानी मुखर्जी का नाम विलोपित होने के बाद शिवानी मुखर्जी को जल संसाधन विभाग की जमीन पर हक जताने का कोई अधिकार शेष नहीं है।
एड. मिश्रा के मुताबिक यह तथ्य हाल ही में जिले की इजराय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है जिस पर अभी निर्णय आना बाकी है। चूंकि अब हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है , अत: इस नोटिस को उन कूट रचित दस्तावेजों व फर्जी वारसाना नामांकतरण के दस्तावेज पेश करने के लिए मिले अवसर की तरह लेना चाहिए । चूंकि शिवानी मुखर्जी उन्ही कूटरचित दस्तावेज के जरिए इजराय का आवेदन किया था , अत: उनका प्रकरण चलाने का अधिकर स्वयं स्वमेव समाप्त हो जाता है।
विलोपित कर दिए थे वारिसों के नाम
शासकीय अभिभाषक ने राजस्व अभिलेखों के हवाले से न्यायालय में पक्ष रहते हुए बताया है कि पड़ताल के दौरान शिवानी मुखर्जी की ओर से उप पंजीयक सतना के समक्ष 28 अगस्त 2003 को निष्पादित कराए गए विक्रय पत्र क्रमांक 1719 से स्पष्ट है कि आवेदक सुश्री शिवानी मुखर्जी के तीन भाई क्रमश: श्रीनाथ दास मुखर्जी, श्रीकांत मुखर्जी, श्रीचंद्र मुखर्जी तथा बहन कुमारी आभा मुखर्जी एवं कु. विभा बनर्जी थीं। श्रीनाथ मुखर्जी एवं उनकी पत्नी वाणी मुखर्जी की नि:संतान मृत्यु हो गई व श्रीकांत मुखर्जी, कु. आभा मुखर्जी व कु. विभा मुखर्जी की अविवाहित हालत में मृत्यु हुई। इस प्रकार दोनों भाइयों एवं दोनों बहनों की मृत्यु बिना किसी वारिश के हो गई। जबकि भाई श्रीकांत मुखर्जी की पत्नी राजेन्द्र मुखर्जी व पुत्र अमर मुखर्जी हैं।
राजस्व अभिलेखों में दर्ज ये ब्यौरा बताता है कि सुश्री शिवानी मुखर्जी के द्वारा मूल डिक्रीदार एसडी मुखर्जी के नाम तत्समय दर्ज आराजी. 370/494 रकवा 2.82 एकड मौजा सतना पटवारी हल्का नं. 1096 (नया पटवारी हल्का नं. 76) का कराया गया वारसाना नामान्तरण प्रकरण में मिथ्या साक्ष्य के आधार पर कूटरचित दस्तावेज सजरा खानदान आदि प्रस्तुत कर उक्त मूल्यवान सम्पत्ति का अंतरण अपने नाम पर कराया जाना पाया गया। जाहिर है कि वारसाना नामान्तरण फर्जी है ऐसे में शिवानी मुखर्जी की अधिकारिता भी संदिग्ध है। इन तथ्यों से स्पष्ट है कि सुश्री शिवानी मुखर्जी द्वारा स्व. एसडी मुखर्जी के नाम दर्ज आराजी क्र. 317/494 का नामान्तरण पंजी क्र. 118 के द्वारा स्वयं के नाम कराया गया वारसाना नामान्तरण निरस्त हो चुका है।
सिटी कोतवाली में दर्ज है प्रकरण
शासकीय अभिभाषक के अनुसार 24 जुलाई 2004 को हस्तगत इजराय आवेदन यह लेख करते हुए प्रस्तुत किया गया था कि वह डिक्रीदार की सगी बहन है। उसका नाम खसरे में बतौर भू स्वामी चढ़ चुका है तथा वे एसडी मुखर्जी की कानूनी प्रतिनिधि हैं। इसी आधार पर डिक्रीदार बनकर शिवानी ने इजराय आवेदन प्रस्तुत किया था। इस मामले में कथित डिक्रीधारी के द्वारा मूल डिक्रीधारी के विधिक प्रतिनिधियों का नाम छिपाकर यह कहते हुए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था कि कथित डिक्रीधारी शिवानी मुखर्जी अकेली वारिस है। जबकि अभिलेखों की जांच करने पर डिक्रीधारी द्वारा कराया गया वारसाना नामान्तरण फर्जी पाया गया था। जिसका वारसाना आदेश निरस्त करते हुए डिक्रीधारी के खिलाफ सिटी कोतवाली में आपराधिक मामला पंजीबद्ध कराया जा चुका है।
शिवानी मुखर्जी का वारिसाना नामांतरण फर्जी पाए जाने के बाद वे इजराय प्रकरण चलाने की अधिकारिता उन्हें नहीं है। माननीय न्यायालय को दस्तावेज पेश किए गए हैं।
एड. रमेश मिश्रा, शासकीय अभिभाषक