उधर मुख्यमंत्री गमगीन परिवार के पोंछ रहे थे आंसू, इधर भाजपा विधायक चमका रहे थे नेतागिरी
सतना | बुधवार को जब सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सीधी बस हादसे में दिवंगत हुए लोगों के परिजनों से मिलकर उनकर दुख दर्द बांट रहे थे, तब भाजपा के एक विधायक अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए सभा कर रहे थे। मुट्ठी भर लोगों की मौजूदगी में भाजपा विधायक ने सभा तो कर ली लेकिन यह सवाल छोड़ गए कि क्या राजनीति चमकाने के लिए मानवीय संवेदनाओं की बलि लेना ठीक है? एक बड़ा सवाल यह भी है कि पार्टीगाइडलाइन को ताक पर रखकर काम करने वाले भाजपा नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने वाला संगठन भाजपा विधायक द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों को लेकर इतना लाचार क्यों है? बहरहाल शोक के बीच आयोजित हुई राजनीतिक सभा को लेकर विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठन से जुड़े लोगों ने आलोचना की है।
हमारा विंध्य हमें लौटा दे का अलापा राग
बुधवार को नागौद बस स्टैंड में आयोजित सभा की शुरूआत मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने बसंत पंचमी की शुभकामनाएं देते हुए की। इस दौरान नारायण त्रिपाठी ने कहा कि विंध्य प्रदेश हमारा अधिकार है जिसे सरकार को विंध्यवासियों को लौटा देना चाहिए। गुरुवार को साइडिंग में आयोजित सभा में उन्होने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि जब तक युवा शक्ति अपना विंध्य लेने के लिए आगे नहीं आएगी तब तक अपना विंध्य प्रदेश का सपना साकार नहीं होगा। नागौद में कैलाश शर्मा, विपिन तिवारी, श्रीपाल, राहुल सिंह, शैलेंद्र कुशवाहा, नागौद जनपद अध्यक्ष वीरेंद्र पटेल,मन्नू चौधरी सरपंच जिगनहट सतीश चौबे, विनोद कुशवाहा समेत आसपास के ग्रामीण मौजूद रहे, जबकि गुरुवार को साइडिंग में हुई सभा में अखिल त्रिपाठी, समीर खान, तुषार द्विवेदी, राघवेन्द्र द्विवेदी, अविनीश शर्मा, राजकुमार बुनकर, बृजेन्द्र चन्द्र पांडेय, चन्द्रशेखर पांडेय, बाल मुकुंदर शुक्ला आदि लोग उपस्थित रहे।
क्या है मामला
दरअसल बुधवार को मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी की अगुवाई में नागौद बस स्टैंड के निकट एक सभा का आयोजन किया गया। पृथक विंध्यप्रदेश की मांग को लेकर आयोजित की गई सभा में एक बार पुन: नारायण त्रिपाठी के वही चिर परिचित बगावती तेवर नजर आए जिन तेवरों के साथ वे पार्टी-संगठन पर पहले भी दबाव बनाते रहे हैं। बस स्टैंड में जब नारायण त्रिपाठी मुट्ठी भर लोगों की मौजूदगी में पृथक विंध्य प्रदेश का राग गा रहे थे तब उस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सीधी पहुंचकर उन दिवंगतों के परिजनों से मिलकर उनके आंसू पोछ रहे थे जिन्होने बाणसागर नहर में बस गिरने से अपनों को खोया था। ऐसे गाढ़े वक्त पर सभा करना लोगों को रास नहीं आ रहा है।
हासिए पर आते ही छेड़ते हैं मुद्दे, मुकाम मिलते ही छोड़ देते हैं
गाहे-बगाहे पृथक विंध्य प्रदेश के मुद्दे को हवा यहां मिलती रही है। विंध्य के खाली बैठे नेताओं के लिए यह एक ऐसा विषय रहा है जिसे वो जब चाहे उछाल देते हैं और जब मर्जी दरकिनार कर देते हैं। इस तथ्य को कदापि नहीं नकारा जा सकता कि, विंध्यवासियों के भावनाएं अपने अलग प्रदेश को लेकर कसमसा रही हैं। लेकिन, सियासत की भंवर में पृथक विंध्य प्रदेश का सपना दम तोड़ रहा है। कुछ नेताओं को छोड़ दें तो माना जाना चाहिए कि, विंध्य के मौजूदा सक्षम नेताओं की ही इसमें खास रुचि नहीं है। अटल संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में दशकों से यह विषय अंजाम तक नहीं पहुंच सका।
दूर की कौड़ी होने के बाद भी जैसे ही इस दिशा में पहल शुरू होती है सबसे पहले श्रेय लेने की होड़ लग जाती है। आंदोलन की जमावट के साथ ही अगुवाई का संघर्ष होने लगता है। नतीजन, आंदोलन का गर्भपात हो जाता है। उसके बाद विचारों में बिखराव के साथ सब कुछ हासिये में चला जाता है। याद कीजिये, बीते साल भाजपा-कांग्रेस के बीच ऊहापोह की स्थिति से गुजर रहे मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने दबाव की राजनीति के चलते लोगों का ध्यान खींचने के लिए पृथक विंध्य के मुद्दे का सियासी इस्तेमाल किया था। समूचे विंध्य का दौरा कर अलग प्रदेश के लिए आंदोलन का माहौल बनाने की पहल की। दो-चार जगह गए भी। कालेज और स्कूल के छात्रों को शामिल करने के लिये अपनी मंशा जताई।
मामला आगे बढ़ता, इसके पहले दो बातें हुईं। पहली, कमलनाथ द्वारा मैहर को जिला बनाने की घोषणा से नारायण कृतज्ञ भाव से कांग्रेस के पाले में खड़े रहे। दूसरा, स्थितियां बदलते ही भाजपा के हो लिए। इसी के साथ उनके लिए पृथक विंध्य का मुद्दा और आंदोलन गौण हो गया। सारी रणनीति और वादे हवा हो गए। इसके पहले उन्होने सवर्ण आयोग बनाने की मांग की और फिर इस मुद्दे को छोड़ दिया। मैहर को मिली स्मार्ट सिटी बनाने के मुद्दे की तो अब वे चर्चा तक नहीं करते । लोगों का मानना है कि, नारायण मुद्दे तो उठाते हैं पर उनका तात्कालिक लाभ न मिलने पर उन्हें छोड़ देते हैं।
ज्यादातर का मानना है कि, नारायण त्रिपाठी जब भी अपनी सियासी जमीन को कमजोर पाते हैं कोई न कोई नया विषय उठा देते हैं।अब एक बार पुन: वे भाजपा की राजनीति में वे हासिए पर हैं। सरकार और संगठन ने उन्हें संजीदगी से लेना छोड़ दिया है तो उन्होने पिछले कुछ दिनों से पृथक विंध्य प्रदेश का राग छेड़ा है, जबकि भाजपा के प्रदशाध्यक्ष वीडी शर्मा तक इस मुद्दे को हवा न देने की नसीहत दे चुके हैं। उनके मुद्दे सही होने के बाद भी समर्थन हासिल नहीं कर पाते क्योंकि, लोगों को भरोसा ही नहीं होता कि वो स्वयं अपने ही मुद्दों के साथ कब तक न्याय कर पाएंगे और कब छोड़कर दूसरी राह पकड़ लेंगे।