बीहर-बिछिया के ग्रीन बेल्ट में बने अवैध निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं

रीवा | बीहर एवं बिछिया नदी में अनट्रीटेड सीवर एवं मास्टर प्लान पर लगाई गई याचिका पर 1 अगस्त को एनजीटी ने अपना फैसला सुनाया था। मुख्य सचिव ने यह आदेश दिए थे कि नदी में मिल रहे नाले से होने वाले प्रदूषण एवं ग्रीन बेल्ट में किए गए अतिक्रमण पर रोक लगाई जाए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल की बेंच द्वारा यह फैसला सुनाया गया था कि नदियों में कचरा फेंकने वालों पर सख्त कार्रवाई करें और उन पर जुर्माना लगाएं। साथ ही ग्रीन बेल्ट में बने अतिक्रमण को हटाए मगर पांच महीने बीत जाने के बाद भी पीसीबी और नगर निगम ने इस मामले में एक र्इंट तक नहीं खिसकाई।

गौरतलब है कि बीहर एवं बिछिया में कई गंदे नाले मिलते हैं जिनके कारण यह निर्मल नदियां जहर में तब्दील होती जा रही हैं। नगर निगम द्वारा 2001 में एक मास्टर प्लान बनाया गया था। जिसमें नदियों के किनारे 50 मीटर तक पेड़ लगाने थे। नगर निगम ने न तो पेड़ लगाए और न ही अतिक्रमण को रोकने में कोई कार्रवाई की। बाकी जो पेड़ पहले से लगे हुए थे उन्हें अतिक्रमणकारियों ने काटकर घर बना लिया। इस मामले में एड. नित्यानंद मिश्रा ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल में याचिका दायर की थी और नदी में अनट्रीटेड सीवर तथा ग्रीन बेल्ट से बनाए गए अवैध भवनों को हटाने की मांग की थी। जिस पर एनजीटी की बेंच ने यह आदेश दिया था कि मास्टर प्लान 2001 के तहत अवैध भवनों को हटाया जाए और नदी में मिलने वाले गंदे नाले के पानी पर रोक लगाई जाए।

दो सौ से अधिक मकान कैचमेंट एरिया में
शहरी क्षेत्र के भीतर बीहर और बिछिया नदी के दोनों तरफ कई आलीशान मकान तैयार हो गए हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार किसी भी तालाब या नदी के 50 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का स्थायी और अस्थायी अधोसंरचना नहीं होनी चाहिए मगर रीवा शहर में ही दो सौ से अधिक मकान कैचमेंट एरिया में बने हुए हैं। देखा जाए तो नदियों के किनारे बनी बसाहट को नगर निगम और जिला प्रशासन को हटा देना चाहिए। मगर एनजीटी की बेंच के फैसले को पीसीबी, जिला प्रशासन और नगर निगम नजरअंदाज करता आ रहा है।

पहले दिखाई दिलचस्पी बाद में कर लिया किनारा
बीहर और बिछिया के दोनो तरफ बनाए गए अवैध भवनों को गिराने की प्रक्रिया कुछ दिनों पूर्व शुरू की गई परंतु लोगो के बिरोध के चलते इस कार्यवाही को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया है। गौर करने बाली बात यह है कि रिवर फ्रंट के लिए जमीनों को खाली कराने के लिए जिला प्रशासन ने पूरे जोर शोर से कार्यवाही की कुछ मकान गिराए भी गए, परंतु यह कार्यवाही अचानक क्यों रोक दी गई है इसकी जानकारी अधिकारी भी नही दे पा रहे है। एनजीटी द्वारा दिए गए आदेश का पालन समय सीमा में नही किया गया तो कंटम आफ कोर्ट से भी गुजरना पड़ सकता है।