आवंटित थी रजौला में जमीन, रिटायर फौजी बना शिकार
सतना। चित्रकूट में जमीन के घोटालों का कोई ओर-छोर नहीं मिल रहा है, कहीं धार्मिक महत्व की जमीनों पर कब्जा जमाया जा रहा है तो कहीं आश्रम व मंदिरों की जमीन खरीदी व बेंची जा रही है। यहां तक कि चित्रकूट की फिजाओं में जमीन घोटाला इस कदर घुल गया है कि आवंटन पाने वाले आदिवासी भी अब शातिर भू कारोबारियों की राह पर चल पड़े हैं। मझगवां तहसील अन्तर्गत ग्राम रजौला में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें एक आदिवासी परिवार ने पुत्री की शादी, कर्ज अदायगी व इलाज के नाम पर न्यायालय कलेक्टर में जमीन बेंचने की अनुमति का आवेदन लगाया। मप्र भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 (6)के अन्तर्गत आवेदक लीला आरख, रामकेश आरख, राकेश आरख, भोले आरख, सुनीता आरख समेत अन्य आवेदकों को जमीन की बिक्री की अनुमति मिल गई।
यूं जाल में फंसा फौजी
फौज से रिटायर होने के बाद चित्रकूट जिला अन्तर्गत रानीपुर निवासी ओम प्रकाश सिंह ने राकेश आरख व लीला आरख से आराजी क्र. 254/5 रकवा 0.321 हे. भूमि को जरिए रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से 30 अगस्त 2017 को क्रय किया। क्रय करने के उपरांत उक्त विक्रय पत्र के आधार पर विधिवत नामान्तरण राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया गया। इन प्रक्रियाओं के पूरा होने के पश्चात भूमि विक्रेताओं ने अतिरिक्त पैसा हड़पने के उद्देश्य से ओम प्रकाश सिंह को परेशान करना शुरू कर दिया।
ओम प्रकाश ने बताया कि पहले तो कई बार विक्रेताओं द्वारा आपत्ति लगाई गई, हालांकि 4 जुलाई 2016 को कलेक्टर न्यायालय से जमीन बेंचने की अनुमति मिलने के बाद लीला आरख द्वारा 15 नवम्बर 2017 को एक गैर न्यायिक स्टाम्प पेपर में शपथ पूर्वक बताया गया कि सीतापुर भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में 20 लाख का चेक 30 अगस्त 2017 को ओम प्रकाश और प्रेमलता द्वारा दिया गया था। चूंकि चेक हस्ताक्षर का मिलान नही होने के कारण कैस नही हुआ था ऐसी स्थिति में 20 लाख रुपए प्राप्त हो चुके हैं जिसके कारण नामान्तरण में कोई आपत्ति नहीं है और न ही मेरे वारिशों को आपत्ति है। 6 अपै्रल 2018 को राकेश आरख ने भी 100 रुपए के स्टाम्प के जरिए शपथ पूर्वक बताया कि आराजी क्र. 254/5 के मामले में बहकावे में आकर जिला दंडाधिकारी महोदय के न्यायालय मे आपत्ति लगाई थी। उसने शपथ पूर्वक यह भी कथन किया कि उक्त विक्रय पत्र का नामान्तरण क्रेता ओम प्रकाश सिंह के नाम पर कर दिया जाए।
तो इसलिए आया फैसला
इस मामले में कलेक्टर न्यायालय के 4 जनवरी 2016 को पारित आदेश के मुताबिक रामकेश, लीला आरख को भूमि विक्रय की अनुमति दी गई थी। कलेक्टर ने क्रेता के द्वारा पूरा प्रतिफल आदिवासी व्रिक्रेता को न दिए जाने के प्रमाण न मिलने पर आवेदकगण के नाम पुन: भू स्वामित्व में दर्ज किए जाने का आदेश 5 फरवरी को जारी किया था। इस संबंध में ओम प्रकाश सिंह का कहना है कि उसने तय रकम से ज्यादा रकम का भुगतान अब तक किया है।
ओम प्रकाश के मुताबिक यह सच है कि एक चेक डिसआॅनर हुआ था लेकिन इसके बाद पूरी रकम विक्रेता पक्ष को दे दी गई है। पूरी रकम पाने के बाद ही विक्रेता ने सम्पूर्ण रकम पाने का हलफनामा दिया था जिसके आधार पर नामांतरण किया गया। अब जब सब प्रक्रिया हो गई तब राशि न मिलने का आरोप लगाया जा रहा है जबकि तयशुदा रकम से अधिक की राशि विक्रेता को दी जा चुकी है। ओमप्रकाश ने एक वार्ता के जरिए कलेक्टर से आग्रह किया है कि वे लेन-देन के समस्त दस्तावेजों का अवलोकन करेंगे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। ओमप्रकाश ने यह भी कहा कि जीवन भर सरहद की रक्षा की अब रिटायर होकर फ्राड तो नहीं करूंगा?
और हैं एग्रीमेंट
ओमप्रकाश के अनुसार उक्त आराजी का तीन अलग-अलग लोगों से सौदा किया गया है। ओमप्रकाश के मुताबिक सतना के संतोष तिवारी, काशी समेत तीन अन्य लोग भी हैं जिनके साथ इस आराजी का सौदा किया गया है। इसके अलावा यह सवाल भी उठाया कि यदि विक्रेता को उक्त जमीन दी जा रही है तो तकरीबन 40 लाख की उस राशि की जवाबदारी कौन लेगा जो उनके द्वारा आरख परिवार को चुकता की जा चुकी है?