लफड़े में स्वाशासी महाविद्यालय का नैक मूल्यांकन, टीम ने नहीं किया काम फिर भी मिल गए दाम

सतना | शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सतना का नैक मूल्यांकन रिन्यूवल तय समय बीतने के बाद भी  नहीं हो पा रहा है। नैक के मूल्यांकन के बाद महाविद्यालय को मिलने वाले ग्रेड के अनुसार ही बजट मिलता है जिससे शैक्षणिक व्यवस्थाएं और भी बेहतर होती है। इसके रिन्यूवल के लिए कॉलेज ने प्रयास किए। प्राचार्य बदलते रहे तो रिन्यूवल का कामकाज करने वाली टीम भी। इसके बाद भी काम पूरा नहीं हो सका है। अब इस काम के न पूरा होने के बाद भी टीम को पारिश्रमिक दे दिया गया है।

स्वशासी कॉलेज के नैक मूल्यांकन को एक्सपायर हुए करीब 4 साल होने को हैं।  इसके बाद भी काम नहीं हो सका। बताया गया है कि नैक से बी ग्रेड के तमगाधारी इस कॉलेज का रिन्यूवल2018 में ही हो जाना चाहिए था लेकिन प्राचार्यों का आना जाना और आईक्यूएसी के बदलते प्रभारियों के चक्कर में यह अटका रहा। नए प्राचार्य ने टीम बनाई है। इसके लिए पिछले दिनों प्रशिक्षण भी दिया गया। माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक नैक मूल्यांकन हो सकेगा।

डेढ़ लाख से ज्यादा का भुगतान 
टीम मे शामिल सदस्यो को डेढ़ लाख से ज्यादा का भुगतान किया गया है। कॉलेज से जुड़े विश्वस्त सूत्रों की मानें तो संयोजक रहे डॉ. ज्ञान प्रकाश पांडेय को करीब 28 हजार रुपए, डॉ. रमेश श्रीवास्तव को करीब 27 हजार रुपए, डॉ. रामपाल यादव को करीब 18 हजार रुपए, डॉ. हरेश्वर राय को करीब 18 हजार रुपए, डॉ अविनाश कुमार दीक्षित को करीब 17 हजार, डॉ. नागेश्वर अग्रवाल को करीब 41 हजार रुपए, डॉ. कन्हैया लाल मौर्य को सबसे कम करीब आठ हजार रुपए दिए गए है।  पुरानी टीम के संयोजक पूर्व में  प्राचार्य प्रभारी रहे डॉ. ज्ञान प्रकाश पांडेय को आईक्यूएसी का संयोजक बनाया गया। इस टीम के संयोजक के साथ-साथ सदस्यों ने कोई काम नहीं किया। यह काम आईक्यूएसी और नैक से संबंधित थे इसके बाद भी स्वशासी कॉलेज प्रबंधन ने इन्हे इनका पारिश्रमिक दे दिया।

3 माह रहे प्राचार्य 
डॉ. ज्ञान प्रकाश पांडेय मात्र तीन माह तक प्राचार्य की कुर्सी  संभाली। इस बीच आईक्यूएसी के प्रभारी रहे डॉ.पद्म कुमार जैन को पारितोषिक के रूप में परीक्षा एवं गोपनीय नियंत्रक बना दिया। जबकि डॉ. जैन के रहते हुए प्रदेश भर में कॉलेज की किरकिरी हो चुकी है। क्वेरी के बाद नैक मूल्यांकन समिति के जवाब नहीं दिया गया था। इनके अलावा डॉ रमेश कुमार श्रीवास्तव को उपनियंत्रक बना 
दिया गया। 

बदलते रहे प्राचार्य 
आईक्यूएसी के संयोजक रहे अंग्रेजी के प्राध्यापक डॉ. पद्म कुमार जैन मूल्यांकन समिति के क्वेरीज का जवाब नहीं दे पाए। तब तक प्राचार्य बदल गए। डॉ. रामबहोरी त्रिपाठी को विभाग ने हटा दिया। प्रभार भू गर्भ के डॉ. ज्ञान प्रकाश पांडेय को मिला। इन्होने टीम का संयोजक प्राणिशास्त्र के प्राध्यापक डॉ शिवेश सिंह को बनाया। इनके पास पहले से अकादमिक नियंत्रक का कामकाज था। डॉ. सिंह ने मना कर दिया। इसके बाद प्राचार्य के रूप में डॉ नीरजा खरे को बैठाया गया।

उन्होने पूर्व में प्राचार्य रहे डॉ. पांडेय को संयोजक बना दिया। तब से यही संयोजक थे। कोरोना के कारण बीते वर्ष नैक का मूल्यांकन नहीं कराया जा सका। इसके बाद भी मानदेय दे दिया गया। इसके अलावा संयोजक डॉ. पांडेय थे इसके बाद भी डॉ. जैन ने अब जाकर प्रभार क्यों दिया, इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाए हैं। यह प्रभार वर्तमान प्रभारी प्राचार्य डॉ आरएस गुप्ता द्वारा बनाई गई टीम के संयोजक को दिया गया है। सवाल ये है कि जब कागज में ही डॉ पांडेय और उनकी टीम काम देख रही थी तो मानदेय देने का औचित्य क्या है?