परिवार कल्याण कार्यक्रम का लक्ष्य, टारगेट के लिए हर दिन करनी होगी 98 नसबंदी

रीवा | कोरोना संक्रमण का असर स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भी पड़ा है। बात करें यदि परिवार कल्याण कार्यक्रम की तो जिले में इसकी स्थितीय अत्यंत दयनीय है। आकड़ों के अनुसार जिले में 9 माह में महज 20 प्रतिशत ही नसबंदी हो पाई है, जबकि बचे हुए तीन माह में लक्ष्य प्राप्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग को हर दिन औसतन 98 लोगों की नसबंदी करनी होगी। लेकिन यह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

ज्ञात हो कि जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा परिवार कल्याण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। हर वर्ष इस कार्यक्रम के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। लोगों को नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन इसके बाद भी लोग इससे परहेज कर रहे हैं। इधर इस वर्ष कोरोना संक्रमण कॉल ने इस कार्यक्रम को और भी गर्त में पहुंचा दिया है।

अकेले रीवा जिले की बात करें तो यहां पर 11 हजार 246 महिला व पुरुष की नसबंदी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन 9 माह बीतने के बाद यहां पर महज 2 हजार 491 लोगों ने ही नसबंदी कराया है। जबकि 8 हजार 755 की नसबंदी करना शेष है। ऐसे में प्रतिशत देखा जाए तो जिले में 20 फीसदी काम हुआ है। जबकि बचे हुए 80 प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर दिन औसतन 98 महिला-पुरुष की नसबंदी करनी होगी। तब कहीं जाकर लक्ष्य पूरा होगा।

शुरुआत के चार माह रहे निरंक
कोरोना का संक्रमण देखते हुए मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह  में लॉक डाउन कर दिया गया था। यह स्थिति करीब-करीब जून-जुलाई तक निर्मित रही। जिसके कारण इस बीच नसबंदी के एक भी प्रकरण नहीं किए गए। हालांकि अगस्त के बाद से कुछ प्रगति देखने को मिली है, लेकिन इसके बाद भी लक्ष्य अभी कोसों दूर है।

मैदानी अमले पर निर्भर अधिकारी
परिवार कल्याण कार्यक्रम का दारोमदार मैदानी अमले पर रहता है। इसमें आशा-ऊषा कार्यकर्ता मुख्य तरह से काम करती हैं। उनके सपोर्ट में एमपीडब्ल्यू रहते हैं। जबकि अधिकारी-कर्मचारी उन्हीं पर निर्भर रहते हैं। यही वजह है कि जिले में हर वर्ष लक्ष्य प्राप्ति नहीं हो पाती है।

कोरोना संक्रमण के चलते अधितर स्टाफ की ड्यूटी उसी में लगी है। जिसके चलते अन्य कार्यक्रम की पूरा करने में समस्या हो रही है। फिर भी प्रयास जारी है। तीन माह में अधिक से अधिक नसबंदी कराने के प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए ब्लॉक स्तर पर शिविर लगाने की तैयारी भी चल रही है।
डॉ. एमएल गुप्ता, सीएमएचओ रीवा