अगले साल छह नए सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू करने की तैयारी
भोपाल | प्रदेश में छह नए मेडिकल कॉलेज शुरू करने की तैयारी तेज हो गई है। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की तरफ से इनकी विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है। इसके बाद कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर कॉलेज बनाने का काम शुरू होगा। 2022-23 के सत्र से इन कॉलेजों में एमबीबीएस सीटों में दाखिला शुरू करने की तैयारी है। राजगढ़, नीमच, मंदसौर, श्योपुर, सिंगरौली और मंडला में कॉलेज खोले जाने हैं।
भारत सरकार ने एक साल पहले कॉलेज खोलने को मंजूरी दी थी। एक कॉलेज शुरू करने में 325 करोड़ रुपये खर्च आएगा। इसमें 60 फीसद राशि केंद्र सरकार व 40 फीसद राज्य सरकार देगी। हर कॉलेज में 150 सीटें होंगी। इस तरह 900 एमबीबीएस सीटें बढ़ जाएंगी। बता दें कि प्रदेश में अभी 13 सरकारी कॉलेज हैं। सतना में कॉलेज 2020-21 से शुरू हो सकता है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि छह नए कॉलेज खोलने का काम और पहले शुरू हो जाता, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते करीब छह महीने की देरी हो गई है।
प्रदेश में पुराने मेडिकल कॉलेज
- इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर।
- दूसरा चरण (पांच साल के भीतर खुले मेडिकल कॉलेज)- विदिशा, शहडोल, छिंदवाड़ा, दतिया, खंडवा, रतलाम और शिवपुरी।
- राशि- 189 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया था। इसमें भी 60 फीसद राशि केंद्र सरकार ने दी थी।
- तीसरा चरण : सतना
- राशि- 250 करोड़ रुपये का प्रविधान। इसमें 60 फीसद राशि केंद्र सरकार ने दी।
- चौथा चरण (प्रस्तावित) - मंडला, श्योपुर, राजगढ़, नीमच, मंदसौर और सिंगरौली
- लागत राशि- 325 करोड़। इसमें 60 फीसद राशि केंद्र सरकार देगी।
कहां कितनी एमबीबीएस सीटें
- इंदौर- 250
- भोपाल- 250
- ग्वालियर- 180
- रीवा- 150
- जबलपुर- 150
- सागर- 125
- रतलाम-180
- विदिशा- 180
- दतिया- 120
- खंडवा-120
- छिंदवाड़ा- 100
- शहडोल-100
- शिवपुरी- 100
नए कॉलेज खुलने से यह होगा फायदा
- प्रदेश में डॉक्टरों की कमी दूर हो सकेगी।
- जिला अस्पतालों का उन्नयन कर मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे, लिहाजा मरीजों को सुविधा होगी
- शोध के अवसर बढ़ जाएंगे।
- सरकारी और निजी कॉलेजों के लिए यहां तैयार होने वाले डॉक्टर फैकल्टी के तौर पर नियुक्त हो सकेंगे।
यह होगी बड़ी चुनौती
छोटी जगह पर मेडिकल कॉलेज में उच्च स्तर के फैकल्टी जैसे प्राध्यापक और सह-प्राध्यापक के पद भरना चुनौती भरा होता है। दूसरे चरण में सात नए मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए भी पहले से चल रहे कॉलेजों से फैकल्टी भेजे गए थे। मप्र चिकित्सा शिक्षक संघ ने इसका विरोध किया था।