पटरी पर नहीं आ रही ऑनलाइन खाद वितरण व्यवस्था, अधिकांश डीलरों के स्टॉक निल नहीं

सतना | देश में उर्वरक वितरण व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिये केन्द्र सराकर द्वारा शुरू की गई आनलाइन डीबीटी व्यवस्था पांच साल का समय गुजर जाने के बाद भी पटरी पर नहीं आ रही। हालत यह है कि खाद विक्रेता डीबीटी की व्यवस्था से परेशान हैं तो व्यवस्था देखने वाले विभाग और उनके अधिकारी खाद वितरकों से। दोनों तरफ से एक दूसरे पर आरोप तो लगाते रहते हैं पर व्यवस्था में सुधार हो इसके लिये ऊपर शिकायत करने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा।

योजना अच्छी पर व्यवस्था खराब
5 साल पहले देश के अन्य स्थानों के साथ ही सतना जिले में भी कोरोमंडल कम्पनी की ओर से सहकारी और निजी क्षेत्र के सवा तीन सौ के करीब खाद विक्रेताओं को पीओएस मशीनों का वितरण किया गया था। पहले तो विक्रेता मशीन की खराबी के साथ ही नई तकनीक के कारण परेशान रहे। बाद में जब मशीन चलाते बनने लगा तो सर्वर ठप हो जाने का रोना शुरू हो गया। हालांकि इन दिनों पहले की तरह समस्या नहीं हो रही बावजूद इसके विके्रताओं द्वारा अपने यहां के स्टाक को मशीनों में घटाया नहीं जा रहा।

हालत यह है कि जिले में यूरिया और डीएपी का गोदाम में माल भले न हो पर अभी भी उर्वरक मंत्रालय का पोर्टल भारी भरकम स्टॉक दिखा रहा है। पोर्टल से स्टॉक कम न होने के चलते पीक समय में जिले को पर्याप्त मात्रा में यूरिया नहीं मिल पाता। सबसे बड़ी समस्या खाद निर्माता कम्पनियों को हो रही जिनकी सबसिडी सरकार ने बिक्री न दिखने के कारण अटका रखी गई है। यही कारण है कि स्थानीय स्तर पर काम करने वाले कम्पनी प्रतिनिधि लगातार सहकारी समितियों व निजी वितरकों को स्टॉक निल करने की सलाह दे रहे हैं बावजूद इसके स्टॉक है कि मशीन में समाप्त ही नहीं हो रहा।

विक्रेताओं में असंतोष
केन्द्र सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना में अभी तो किसानों की पहचान के साथ ही उनकी जरूरतों का आकलन हो रहा है पर कुछ महीनों बाद खाद में मिलने वाली सबसिडी सीधे किसानों के खातों में डाली जाएगी। यह व्यवस्था उसी का होमवर्क है। हालांकि इस योजना को सभी विके्रता अच्छा बता रहे हैं पर उन्हें व्यवस्था की खराबी से शिकायत हैं। पिछले दिन सतना में चम्बल फर्टिलाइजर द्वारा आयोजित डीबीटी के प्रमोशन कार्यक्रम में विंध्य के विभिन्न कोनों से आए खाद विक्रेताओं ने योजना को समझाने के लिये भोपाल से सतना आये स्टेट क्वार्डिनेटर डीबीटी शाश्वत सिंह के सामने भी खुलकर अपनी समस्याएं रखीं।

अधिकांश लोगों की शिकायत सर्वर के सही तरीके से काम न करने की थी जिसके चलते उन्हें किसानों के गुस्से का शिकार होना पड़ता है। हालांकि श्री सिंह ने उनकी शंकाओं का समाधान काफी सरल शब्दों में किया भी पर विक्रेताओं का कहना था कि जब तक तकनीकी खामी दूर नहीं होती यह समस्या बनी ही रहने वाली है।

आगे सबसिडी डीबीटी के जरिये सीधे किसानों तक पहुंचाने वाली है। नई व्यवस्था में परेशानी तो होती ही है पर सुधार हो रहा है। विक्रेता अपने हिस्से का काम ईमानदारी से करें और कोई समस्या हो तो लिखित रूप से वरिष्ठ कार्यालय को अवगत कराएं।
शाश्वत सिंह, स्टेट क्वार्डिनेटर डीबीटी