मनरेगा: चार जनपदों में उपयंत्रियों को प्रभारी सहायक यंत्री का प्रभार
सतना | जनपद पंचायतों में प्रभारी सहायक यंत्री (मनरेगा ) का दायित्व निर्धारण करने में आला अधिकारियों द्वारा मनमानी की गई है। जिले की कई जनपदों में नियमित सहायक यंत्रियों की मौजूदगी के बावजूद उपयंत्रियों को मनरेगा के प्रभारी सहायक यंत्री का प्रभार दिया गया जबकि राज्य शासन के साफ निर्देश हैं कि जहां नियमित सहायक यंत्री मौजूद हैं, वहां उपयंत्रियों को प्रभारी सहायक यंत्री न बनाया जाए।
क्या हैं निर्देश
प्रदेश के विकास आयुक्त मनोज श्रीवास्तव ने कलेक्टर व जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पत्र क्रमांक-2575/22/वि-3/ग्रायांसे/2020 जारी करते हुए लेख किया था कि जिले में नियमित सहायक यंत्रियों को हटाकर उनके स्थान पर उपयंत्रियों को प्रभारी सहायक यंत्री (मनरेगा ) का प्रभार देकर पदस्थ किया जा रहा है जो उचित नहीं है। विकास आयुक्त मनोज श्रीवास्तव ने स्पष्ट निर्देश देते हुए पत्र में कहा है कि यदि ऐसा करना आवश्यक हो तो कारण सहित प्रस्ताव अधेहस्ताक्षरकर्ता को भेजा जाय अधोहस्ताक्षरी के अनुमोदन के बिना नियमित सहायक यंत्रियों को हटाकर उपयंत्री को सहायक यंत्री का प्रभार न दिया जाय, लेकिन जून 2020 में विकास आयुक्त द्वारा दिए गए निर्देशों को ताक पर रखकर रहस्यमयी तरीके से जिले की चार जनपदों में उपयंत्रियों को प्रभार दे दिया गया है।
विभागीय सूत्रों की मानें तो उपयंत्रियों को मनरेगा के प्रभारी सहायक यंत्री का प्रभार देने के दौरान न तो विकास आयुक्त से अनुमोदन लिया गया और न ही उस प्रक्रिया का पालन किया गया जिस प्रक्रिया के तहत ही उपयंत्रियों को सहायक यंत्री का प्रभार देने के लिए विकास आयुक्त ने अनिवार्य किया था। ऐसे में सवाल यह है कि क्या विकास आयुक्त की पत्रावली का यहां कोई औचित्य नहीं है? यदि है तो प्रक्रिया का उल्लंघन कर उपयंत्रियों को दिए गए प्रभार वापस लेकर कब तक सहायक यंत्रियों को दिए जाएंगे?