बिजली कम मिले या पूरी, छूट में फुल स्टाप की तैयारी
सतना | ऐसे छोटे या बड़े उद्योग जो ग्रामीण क्षेत्र के फीडरों के कनेक्शनधारी हैं उनको अब विद्युत कंपनी झटका देने की तैयारी में है। ऐसे उच्चदाब कनेक्शनों में ऊर्जा खपत करने के लिए बिजली कम मिले चाहे पूरी पर खपत की गई ऊर्जा में कुछ छूट के नाम पर मिलने वाली राहत में कंपनी फुल स्टाप लगाने की तैयार में हैं। रूरल फीडरों में संचालित उद्योगों को पहले बिलों में छूट दी जाती थी पर अब कंपनी इसे खत्म करने जा रही है। इसके लिए विद्युत नियामक आयोग को कंपनी स्तर से प्रस्ताव भेजा गया है हालांकि अभी तक उक्त प्रस्ताव पर आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया है पर आने वाले दिनों में आशंका है कि महंगाई का असर इन उद्योगों पर भी पड़ेगा, जबकि ग्रामीण फीडरों में सतत पॉवर सप्लाई नहीं मिलती है।
प्रस्ताव में ये है कंपनी का तर्क
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के फीडरों से संचालित और उनसे बिजली के कनेक्शन लेकर चल रहे उद्योगों में सरकार टैरिफ में बदलाव कर राहत देती है ,जिसे अब समाप्त करने की तैयारी है। यदि नियामक आयोग कंपनी के प्रस्ताव को हरी झंडी दे देता है तो छूट बंद हो जाएगी। आयोग को दिए प्रस्ताव में कंपनी का तर्क है कि शहर हो चाहे गांव पूर्व क्षेत्र कंपनी में बिजली सप्लाई एक जैसी है। जब सप्लाई एक जैसे यानि बराबर है तो ऐसे में छूट क्यो दी जाएगी। जबकि सूत्रों का दावा है कि शहरी कनेक्शन में किसी उद्योग को कोई छूट नहीं है।
अभी ऐसे मिलती है छूट
विद्युत कंपनी के जानकार बताते हैं कि शहरी संभाग में संचालित उद्योगों की अपेक्षा जो कारखाने या उद्योग ग्रामीण फीडरों से संचालित हैं , ऐसे उद्योगों को बिजली के उच्च दाब विद्युत कनेक्शन के लिए कंपनी रियायत देती है। हालांकि अब तक ये माना जातर रहा है कि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण फीडरों पर विद्युत प्रवाह कम होता है और यहां लोड के साथ कनेक्शन धारियों को सप्लाई भी कम मिलती है, लिहाजा उच्च दाब के उपभोक्ताओं को 5 फीसद फिक्स जार्च में छूट और 20 प्रतिशत की छूट न्यूनतम खपत पर दी जाती है। अब कंपनी का दावा और तर्क है कि पहले की अपेक्षा अब ग्रामीण इलाकों में भी पूरी बिजली मिल रही है। विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव में यह बताया गया है कि 24 घंटे बिजली सप्लाई की जा रही है लिहाजा रियायत को बंद कर दिया जाना चाहिए।