करोड़ों के विकास कार्य रुके, सरकार के पास पैसा नहीं
सतना | एक ओर सरकार निर्माण एजेंसियों पर समय पर काम पूरा करने के लिए दबाव बनाती हैं और कई मर्तबा लेट लतीफी पर उन्हें दंडित भी करती है लेकिन जब सरकार की गलती से ही निर्माण कार्य लेट लतीफी का शिकार हों तो समाधान कहां से होगा? जिले में चल रहे सरकारी विकास कार्यों के मामले में कुछ ऐसा ही देखा जा रहा है। एक ओर निर्माण एजेंसियों व संविदाकारों पर समय पर काम पूरा करने का दबाव बनाया जा रहा है तो दूसरी ओर विगत कई माह से निर्माण कार्यों के लिए सरकार बजट नहीं जारी कर पा रही है, नतीजतन जिले के कई आवश्यक निर्माण कार्य बजट के इंतजार में अधर में लटके हुए हैं।
सतना की यातायात व्यवस्था के लिए रामबाण बताकर जब वर्ष 2016 में फ्लाईओवर का निर्माण प्रारंभ किया गया था तब शहरवासियों को अहसास तक नहीं था कि फ्लाईओवर का निर्माण शहर की यातायात व्यवस्था के लिए नासूर बन जाएगा। फ्लाईओवर का काम वर्ष 2018 में पूर्ण होना था लेकिन निर्माण अवधि के दो साल बीतने के बाद भी फ्लाईओवर का निर्माण पूर्ण नहीं हो सका है। निर्माण में हुई देरी से तकरीबन 6 करोड़ की लागत बढ़ गई है ।
पहले निर्माण की लागत 36 करोड़ 91 लाख 44 हजार 906 रूपए आंकी गई थी जो लेट लतीफी के कारण बढ़कर 42 करोड़ 82 लाख 22 हजार 916 रूपए पहुंच गई है। फ्लाईओवर का काम करने वाली स्काईलार्क कंपनी के पदाधिकारियों का कहना है कि फ्लाईओवर निर्माण में लेटलतीफी के लिए बजट का अभाव भी कम जिम्मेदार नहीं रहा है। समय समय पर बजट नहीं मिलने से फ्लाईओवर के निर्माण में पेंच फंसती रही।
मेडिकल कॉलेज में भी बजट का टोटा
मेडिकल कालेज के निर्माण के लिए भूमिपूजन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था लेकिन तब से लेकर अब तक मेडिकल कालेज का सपना अब तक पूरा नहीं हो सका है। 220 करोड़ के मेडिकल कॉलेज निर्माण की नीव तो रख दी गई है लेकिन इसका निर्माण भी फ्लाईओवर व बायपास की गति से ही चल रहा है। हालांकि पीआईयू के अधिकारी बता रहे हैं कि अब कालेज निर्माण का बजट मिला है जिससे काम प्रारंभ हो गया है। शुरूआती चरण में पीएम आवास बाधा बने और अब काम में लेट लतीफी बाधा बन रही है। पीआईयू के अधिकारियों का कहना है कि जहां हॉस्टल और डॉक्टर्स क्वार्टर बनने हैं वहां काम तेजी से चल रहा है और ग्राउण्ड लेबल से ऊपर तक का निर्माण हो चुका है।
कॉलेज व हॉस्टल का निर्माण थमा
बजट के अभाव में जिले में बनाए जा रहे कालेज भवनों के निर्माण पर भी ग्रहण लगा हुआ है। गौरतलब है कि इन दिनों विवेकानंद कालेज मैहर , मझगवां कालेज के अलावा धवारी में 100 सीटर छात्रावास भी बनाया जा रहा है। इन भवनों के निर्माण के लिए टेंडर जारी हुए जिसके बाद निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। इनका निर्माण करने वाले संविदाकारों का कहना है कि उन्हें विगत तीन -चार माह से राशि नहीं मिली है जिसके कारण वे काम को जारी रखने में असहाय महसूस कर रहे हैं। यहां तक कि उन्हें अब श्रमिकों को भुगतान करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
और ग्वालियर चला गया एक छात्रावास
अब इसे सतना जिले के जनप्रतिनिधियों की चुप्पी का खामियाजा कहा जाय अथवा सतना के प्रति प्रदेश सरकार द्वारा बरती जाने वाली उपेक्षा कि सतना के लिए स्वीकृत दो छात्रावासों में से एक छात्रावास ग्वालियर शिफ्ट कर दिया और सतना के नेताओं के मुंह से एक बोल नहीं फूटे। गौरतलब है कि सतना में बदखर के निकट दो छात्रावास स्वीकृत हुए थे जिसके लिए जमीन व बजट दोनो स्वीकृत हुए लेकिन निर्माण शुरू होने के पूर्व ही एक छात्रावास को ग्वालियर शिफ्ट कर दिया गया है।
ऐसी जानकारी हमे मिली है जिसके बाद शासन स्तर पर सतना की जरूरतों से अवगत कराया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही बजट मुहैया करा दिया जाएगा। जिले के विकास कार्यों में आर्थिक बाधा नहीं आने दी जाएगी।
रामखेलावन पटेल
राज्यमंत्री मप्र शासन
यह सही है कि कुछ निर्माण कार्यों में बजट का संकट संक्रमण काल में रहा है, जिससे उच्च स्तरीय प्रशासन वाकिफ है। उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक बजट आ जाएगा और काम पूरी क्षमता से जारी रह सकेंगे। हालांकि दूसरे जिलों की तुलना में हमारे यहां कुछ अपवादों को छोड़कर बजट की उतनी किल्लत नहीं रही है। मेडिकल कालेज का बजट दिया गया है और काम जारी है।
सुभाष पाटिल
ईई पीडब्लूडी-पीआईयू